उत्तराखण्ड के साहित्यकार
सुमित्रानंदन पंत
- सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी मे हुआ
- सुमित्रानंदन पंत के बचपन का नाम गोसाई दत था सुमित्रानंदन पंत के पिता गंगादत पंत की 8वीं सन्तान थी
- सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य के छायावादी युग के कवि है हिन्दी साहित्य का प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1968 में चिदम्बरा के लिए पंत जी को मिला
- सुमित्रानंदन पंत के नाम पर 2015 में डाक टिकट जारी हुआ
- पंत जी के परामर्श पर ही ऑल इंडिया रेडियो का नाम आकाशवाणी रखा गया
- पंत जी को 1960 में कला व बूढा चाँद रचना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 1961 में पंत जी को पद्म भूषण मिला
- पंत जी का 1964 में विशाल महाकाव्य लोकायतन का प्रकाशन हुआ, इसके लिए उन्हे सोवियत नेहरू शांति पुरस्कार मिला
- पंत जी की छायावादी काव्य रचनाओं में प्रमुख वीणा, ग्रंथि, पल्लव, गुंजन और ज्योत्स्ना है
- युगवाणी व ग्राम्या रचनाएं पंत जी की प्रगतिवादी रचनाऐं हैं
- शिल्पी, रजत शिखर, उतरा, वाणी, पतझर नवचेतनावादी काव्य है
- पंत जी को प्रकृति का चित्त-चितेरा कवि जाता है
शैलेश मटियानी
- शैलेश मटियानी का जन्म 1931 को अल्मोडा में हुआ
- राज्य के आंचलिक कथाकार या कथाशिल्पी थे
- इनका मूल नाम रमेश चन्द्र था
- शैलेश मटियानी ने विकल्प पत्रिका का प्रकाशन किया
- महाभोज कहानी के लिए उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान का प्रेमचंद्र पुरस्कार मिला, मुठभेंड उपन्यास के लिए इन्हें फणीश्वर नाथ रेणु पुरस्कार मिला
- शैलेश मटियानी की कुछ कहानी संग्रह, दो दुखो का एक सुख, चील, भविष्य और मिट्टी, हारा हुआ, बर्फ की चट्टाने, जंगल में मंगल, हत्यारे, नाच जमुरे नाच, महाभोज और उनकी पहली कहानी संग्रह मेरी 33 कहानियां थी
- शैलेश मटियानी के कुछ उपन्यास बोरी बल्ली से बोरीबन्दर, कबूतरखाना, चौथी मुट्ठी, एक मूंठ सरसो, भागे हुए लोग, छोटे-छोटे पक्षी,उगते सूरज की किरण, रामकली, बावन नदियों का संगम, मुठभेड और चंद औरतो का शहर आदि उनका पहला उपन्यास बोरी बल्ली से बोरीबन्दर था
- शैलेश जी का निबन्ध संग्रह कागज की नांव और कभी-कभार है
डा० अजय सिंह रावत
- अजय सिंह रावत का सम्बन्ध पिथौरागढ़ से है, जो एक इतिहासविद्ध है, ये वानिकी शोध की सबसे पुरानी संस्था इंटरनेशनल यूनियन ऑफ फारेस्ट रिसर्च आर्गेनाइजेशन वियाना के पहले एशियाई चैयरमैन रहे है।
- अजय रावत द्वारा लिखित पुस्तक हिस्ट्री ऑफ गढ़वाल, हिस्ट्री ऑफ इंडियन फॉरेस्टी और मैन एंड फारेस्ट है
अबोध बहुगुणा
- इनका सम्बन्ध पौड़ी जिले से है इनके द्वारा रचित प्रथम गढ़वाली काव्य भूम्याल है
- इन्हें गढ़वाली साहित्य का खिला हुआ बुरांस कहा जाता है इनके द्वारा रचित प्रसिद्ध एकांकी चक्रचाल है
- अबोध बहुगुणा द्वारा रचित नाटक अंतिम गढ़ व डूबता हुआ गाँव है
- गोपेश्वर कोठियाल कोठियाल जी का सम्बन्ध टिहरी गढ़वाल से है
- 1947 को देहरादून से निकलने वाले साप्ताहिक अखबार युगवाणी। का सम्पादन किया
- हेंवलघाटी टिहरी में इन्होंने इंटर कॉलेज की स्थापना की
गोविन्द चातक
- गोविन्द चातक का सम्बन्ध टिहरी गढ़वाल से है गोविन्द चातक की प्रमुख रचनाएं केंकडे, दूर का आकाश, बांसुरी बजती रही, काला मुँह आदि,
- गोविन्द चातक जी ने रैबार व अंगार नामक पत्रिका का प्रकाशन किया
- गोविन्द चातक का एकांकी संग्रह जंगली फूल है
मनोहर श्याम जोशी
- मनोहर श्याम जोशी का जन्म 1935 को अजमेर में हुआ, मूलरूप से अल्मोडा के थे 1982 में दूरदर्शन पर पहला नाटक हमलोग धारावाहिक मनोहर को श्याम जोशी ने लिखा था
- मनोहर श्याम जोशी को क्याप उपन्यास के लिए 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला
- मनोहर श्याम जोशी ने हिन्दी फिल्म पापा कहते है कहानी के लेखक है
- मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखित उपन्यास कुरु-कुरु स्वाह, कसप, कौन हूँ मै, उत्तराधिकारिणी आदि
- मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखित धारावाहिक हमराही, भैया जी कहिन, मुंगेरी लाल के हसीन सपने, बुनियाद आदि क्याप व कसप इनके कुमाऊँनी उपन्यास है
- पीताम्बर दत बड़थ्वाल इनका जन्म 1901 में पौड़ी गढ़वाल में हुआ
- हिन्दी विषय से डाक्ट्रेट करने वाले पहले व्यक्ति थे
- इनका शोध ग्रंथ का विषय दि निर्गुण स्कूल ऑफ हिन्दी पोइट्री था
- बाल्यकाल में अम्बर नाम से कवितांए लिखते थे
- इन्होंने हिलमैन पत्रिका का सम्पादन किया इनकी रचनांए गद्य सौरभ, गोरखवाणी, रैदास की सखी, कबीर की सखी, रूपक रहस्य तथा कबीर ग्रंथावली आदि
- अंग्रेजी भाषा की रचना मिस्टिसिज्म इन हिन्दी पोइट्री है
गौरा पंत शिवानी
- गौरा पंत शिवानी का जन्म 1923 में राजकोट में हुआ
- गौरापंत मूलरूप से अल्मोडा निवासी थी
- गौरापंत को भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सम्मान 1979 एवं 1981 में पदम श्री तथा 1997 ई० में हिन्दी सेवानिधि राष्ट्रीय पुरस्कार मिला गौरापंत की रचनाएँ विषकन्या, चौदह फेरे, गहरी नींद, अतिथि, गेंदा, मायापुरी व कृष्णाकली आदि है
राजेश जोशी
- राजेश जोशी को दो पंक्तियों के बीच रचना लिए 2002 ई० में
- साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला
- इनके द्वारा लिखित लम्बी कविता समर गाथा है।
- इनकी अन्य रचना एक दिन पेड बोलेंगे, मिट्टी का चेहरा, नेपथ्य में हँसी आदि
मंगलेश डबराल
- इनका जन्म 1948 में टिहरी गढ़वाल में हुआ
- मंगलेश डबराल को हम जो देखते है रचना के लिए 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला
- मंगलेश डबराल के पाँच काव्य संग्रह पहाड़ पर लालटेन (1981), घर का रास्ता, हम जो देखते है, नये युग के शत्रु व आवाज भी एक जगह में आदि
- डबराल जी का गद्य संग्रह लेखक की रोटी, कवि का अकेलापन है मंगलेश डबराल का यात्रावृतांत एक बार आयोवा है
- 2001 ई0 में आधार शिला पुरस्कार से सम्मानित किया गया
- मंगलेश डबराल जी की मृत्यु 2020 में हुयी है
शेखर जोशी
- इसका सम्बन्ध अल्मोड़ा से है
- शेखर जोशी की रचनाएँ मेरा पहाड़, कोसी का घटवार, एक पेड़ की याद, हलवाहा व डांगरी वाले है।
- नौरंगी बीमार कहानी संग्रह भी शेखर जोशी की है।
- एक पेड़ की याद रचना के लिए 1987 में महावीर प्रसाद द्विवेद्वी पुरस्कार मिला
डॉ शिव प्रसाद डबराल
- इनको चारण उपनाम से जाना जाता है डबराल जी का जन्म पौड़ी गढ़वाल में हुआ था
- इनके पिता कृष्ण दत डबराल और माता भानुमति डबराल थी
- घुमक्कड़ी शौक के कारण इनको इनसाइक्लोपीडिया ऑफ उत्तराखण्ड कहा जाता है
- भूगोल विषय से पीएचडी की, जिनके शोध का विषय अलकनंदा उपत्यका में घोषयात्रा, प्रवजन और ऋतुकालीन प्रवास था
- दुगड्डा स्थित अपने घर पर उत्तराखण्ड विद्या भवन पुस्तकालय खोला है और डबराल जी की कर्मस्थली दुगड्डा थी चारण की प्रमुख रचनाएँ 'उत्तराखण्ड का इतिहास 12 भागों मे, गोरा बादल, गढ़वाली मेघदूत, उत्तरांचल के अभिलेख व मुद्रा आदि मुंकुन्द राम बड़थ्वाल
- मुंकुन्द राम बड़थ्वाल दैवेज्ञ उपनाम से जाने जाते है
- पौड़ी के निवासी संस्कृत व ज्योतिष के महान विद्वान थे
- इन्होनें ज्योतिष में 1 लाख से अधिक श्लोकों की रचना की
- भारतीय ज्योतिष अनुसंधान ने इन्हें अभिनव बाराहमिहिर की उपाधि दी, और इनकी रचना जातक सूत्रम व ज्योतिष रत्नाकर है
दुर्गाचरण काला
- दुर्गाचरण काला की प्रमुख रचनाएँ मैमायर्स आफ द राज कुमाऊँ, जिम कार्बेट ऑफ कुमाऊँ, और हल्सन साहिब ऑफ गढ़वाल आदि
- हल्सन साहिब ऑफ गढ़वाल फ्रेडिक विल्सन की जीवनी है।
- अल्मोडा में सुधाकर नामक हस्तलिखित पत्रिका निकाली
- इलाचंद जोशी मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार थे इनकी प्रमुख रचनाएँ- जहाज का पंछी, पर्दे की रानी, संन्यासी, घृणामयी व प्रेत और छाया आदि है जोशी जी के सामाजिक उपन्यासों में सुबह के भूले व मुक्तिपथ है में इन्होनें विश्वमित्र नामक पत्रिका का सम्पादन किया
लीलाधर जगूड़ी
- टिहरी निवासी 2018 में उनकी रचना जितने लोग उतने प्रेम (2013) के लिए व्यास सम्मान दिया गया
- अनुभव के आकाश में चाँद कविता संग्रह के लिए 1997 ई० साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था
- 2004 में लीलाधर जगूडी को पद्म श्री सम्मान मिला
- इनकी प्रमुख रचनाएं- बची हुई पृथ्वी, ईश्वर की अध्यक्षता में, भय शक्ति देता है, रात अब भी मौजूद, नाटक जारी है व महाकाव्य के बिना आदि
वीरेन डंगवाल
- वीरेन डंगवाल का जन्म टिहरी गढ़वाल के कीर्तिनगर में हुआ
- इनके पिता रघुनंदन प्रसाद डंगवाल थे दुष्चक्र में सृष्टा रचना के लिए 2004 में साहित्य अकादमी
- पुरस्कार मिला है अन्य रचनाएँ स्याही ताल व कवि ने कहा है • इनकी रचना इसी दुनिया में के लिए रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार मिला
रस्किन बांड
- इनका जन्म हिमाचल प्रदेश में हुआ, लेकिन यह मसूरी में रहते है
- रस्किन बांड देश के सबसे बड़े बाल साहित्यकार थे हुयी
- इनकी पहली पुस्तक रूम ऑन द रूफ 1955 में प्रकाशित में 1992 में रस्किन बांड जिन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला
- 2014 में रस्किन बांड को पद्म भूषण पुरस्कार मिला
गिरीश तिवारी गिर्दा
- गिरीश तिवारी गिर्दा अल्मोडा के रहने वाले थे, इनकी रचनाओं में प्रमुख नाटक नगाड़े खामोश है, और धनुष यज्ञ है गिर्दा ने लोक गायक झुसिया दमाई पर शोध किया
- हमारी कविता के आखर व शिखरों के स्वर गिर्दा जी की रचना है
अन्य प्रमुख साहित्यकार
- गोविन्द बल्लभ पंत जो उपन्यासकार है, इनका प्रसिद्वनाटक कोहिनूर का हीरा है, जिनका सम्बन्ध रानीखेत से है, इनके द्वारा अन्य रचनाएँ अंगूर की बेटी, सुहाग बिन्दी, गुरु दक्षिणा, काशी का जुलाह आदि
- सुरेन्द्र सिंह पांगती का सम्बन्ध पिथौरागढ़ से है, इन्होने धाद नामक संस्था का गठन किया, इनकी रचना उत्तराखण्ड कितना सच और कितना छल है
- गोविन्द प्रसाद नौटियाल पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े है, ये टाइम्स ऑफ इंडिया में संवाददाता रहे, जिनका सम्बन्ध नंदप्रयाग से है
- बलवंत मनराल की प्रमुख कविता पहाड़ के आगे: भीतर पहाड़ है • बलवंत जी ने रामपुर तिराह कांड से दुखी होकर कत्यूरी मानसरोवर
- पत्रिका का सम्पादन किया, इनका सम्बन्ध रानीखेत से है पंकज बिष्ट का सम्बन्ध अल्मोड़ा है, उस चिड़िया का नाम इनका उपन्यास है, और पंद्रह जमा पच्चीस व बच्चे गवाह नहीं हो सकते इनके द्वारा लिखित कहानी संग्रह है।
- राजेन्द्र धस्माणा की प्रमुख कविता संग्रह परवलय है और
- गढवाली नाटक जयभारत जय उत्तराखण्ड व अर्द्धग्रामेश्वर है उमाशंकर सतीश ने ए लिविस्टिक स्टडी ऑफ जौनसारी नामक पुस्तक लिखी, इनका सम्बन्ध रूद्रप्रयाग जिले में हैं, इनकी अन्य रचनाएं पत्थर बोलते है सूरीनाम में हिन्दी कविता और गढ़वाली में जिकुड़ी बोलली कविता आदि
- मोहन लाल बाबूलकर एक आँचलिक साहित्यकार है, इनकी रचना मिट्टी में सोना और सूरजमुखी का खेत आदि है विद्यासागर नौटियाल इनका सम्बन्ध टिहरी गढ़वाल से है, इनकी रचना यमुना के बागी बेटे, भैंस का कट्यिा, भीम अकेला और मूक बलिदान आदि, इनकी आत्मकथा मोहन गाता जायेगा।
- भजन सिंह की प्रमुख रचनाएँ सिंहनाद, आर्यों का आदि निवास | मध्य हिमालय, अमृत वर्षा, वीर वधू देवकी और कन्या विक्रय है भजन सिंह कृत सिंहनाद गढ़वाली साहित्य का अनमोल हीरा है
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