गढ़वाल के गढ़ या किले/Garhwal Citadel or Fort |
गढ़वाल के गढ़ या किले
- अजयपाल से पहले सम्पूर्ण गढ़वाल का क्षेत्र छोटे-छोटे 52 गढ़ों में बंटा था
- पहला गढ़ नागपुर गढ़, जो जौनपुर परगने में था
- नागपुर गढ़ में नाग देवता का मंदिर था, इसे नागनाथ गढ़ भी कहा जाता है
- नागपुर गढ़ के अंतिम गढ़पति भवान सिंह था
- दूसरा गढ़ कोल्ली गढ़ बछवाण बिष्टों से सम्बन्धित था
- तीसरा गढ रवाड़ गढ़ जो बद्रीनाथ के पास स्थित था, और रवाड़ी जाति का गढ़ था
- चौथा गढ़ फल्याण गढ़ था, जो फाल्दाकोट में था
- फल्याणगढ़ को शमशेर सिंह ने ब्रह्मणों को दान दिया था
- पाँचवा गढ़ बांगर गढ़ था, जो खसिया जाति के नागवंशी राणों का गढ़ था
- 6 वां गढ़ कुईली गढ़ था, जिसे जौरासी गढ़ भी कहा जाता है
- 7वां गढ़ भरपुर गढ़, जिसका अंतिम गढ़पति गोविन्द सिंह था
- 8वां गढ़ कुजंणी गढ़ जिसका अंतिम गढ़पति सुल्तान सिंह था
- 9वां गढ़ सिलगढ़ जिसका अंतिम गढ़पति सजवाण सबल सिंह था
- 10वां गढ़ मुंगरा गढ़ रंवाई क्षेत्र में रावत जाति का गढ़ था, जहां अब रौतेला रहते है
- 11वां गढ़ रैका गढ़ का अंतिम गढ़पति रमोला जयचंद था
- 13 वां गढ़ उप्पू गढ़ उदयपुर के कफ्फू चौहान से सम्बन्धित था
- चांदपुर गढ़ चमोली के गैरसैण के पास स्थित था
- चांदपुर गढ़ के अंतिम गढ़पति भानुप्रताप था
- नालागढ़ देहरादून में स्थित था
- रामी गढ़ शिमला में राणा जाति से सम्बन्धित था
- बिराल्टगढ़ जौनपुर में थोकदार भूप सिंह से सम्बन्धित था
- राणीगढ़ एक रानी द्वारा बनाया गया एक गढ़ था
- बधाण गढ़ पिण्डर नदी के उपरी क्षेत्र है जो गढ़वाल व कुमाऊँ का विभाजक था
- गड़तांग गढ़ टकनौर उतरकाशी में भोटिया जाति से सम्बन्धित था लंगूर गढ़ में भैरव देवता का एक प्रसिद्ध मंदिर था इडिया गढ़ बड़कोट में था, जिसे रूपचंद नामक व्यक्ति ने नष्ट कर दिया था
- दशोली गढ़ का अंतिम गढ़पति मालवर सिंह था
- नयालगढ़ का अंतिम सरदार भग्गु था
- गुजडू गढ़ पौडी जिले में पड़ता है
- देवलगढ़ पौडी जिलें में अजयपाल ने राजधानी बनाई थी
- लखनपुर गढ़ यह गढ़ अल्मोडा क्षेत्र में स्थित था, इसका नाम कत्यूरी वंश के लखनपाल देव के नाम पर पड़ा
- 52 वां गढ़ लोदन गढ़ देवलगढ़ के पास पड़ता है
चमोली जनपद के गढ़
चांदपरी गढ़
- पंवार राजाओं की प्रथम राजधानी चाँदपुर गढ़ थी
- चमोली के आदि बद्री के आसपास का क्षेत्र था
- अंतिम गढ़पति भानुप्रताप या सोनपाल था
लोहाब गढ़
- यहाँ नेगी जाति के दिलेवर सिह व प्रताप सिंह सरदार थे
नागपुर गढ़
- चमोली जिले में नागनाथ पोखरी के समीप स्थित था,
कंडारा गढ़
- मंदाकिनी उपत्यका में स्थित था, यहां फैगू का प्रसिद्ध मंदिर था और अंतिम गढ़पति मंगल सेन थे
बधाण गढ़
- पिंडर नदी क्षेत्र पर स्थित है, जो गढ़वाल व कुमाऊँ का विभाजक है
- रूद्रचंद का सेनापति पुरखुपंत बधाण गढ़ की लड़ाई में मारा गया
- लक्ष्मीचंद के समय यहाँ का गढ़पति खतड़ सिंह था
मनीला गढ़
- यह गढ़ दूधातौली पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित था, यह गढ़ कत्यूरियों से सम्बन्धित था, बाजबहादुर चंद ने इस गढ़ पर आक्रमण किया था
दशोली गढ़
- यह चमोली जिले दशोली क्षेत्र में स्थित था
पौड़ी जिले में स्थित गढ़
देवलगढ़
- यह गढ़ पौडी गढ़वाल में श्रीनगर के पास स्थित है।
- अजयपाल ने 1512 ई० में अपनी राजधानी चांदपुर गढ़ से देवलगढ़ स्थानान्तरित की
- देवलगढ़ के पास सत्यनाथ की गुफा है।
- अजयपाल ने यहाँ पर गोरजादेवी का मंदिर बनाया .
- नयाल गढ़ देवलगढ़ के समीप नयाल जाति से सम्बन्धित था
- भैरों गढ़ी पौड़ी के लैंसडाउन के पास स्थित है
- कांड़ा गढ़ पौडी जिले की नयार घाटी में स्थित है, इस गढ़ के
- पास दीवा का डांडा है
- गुराड़ गढ़ चौंदकोट परगने में चौंदपुर पर्वत श्रृंखला पर स्थित है, इस क्षेत्र में एकेश्वर देवता का प्रसिद्ध मंदिर है
- गूजडू गढ़ पौड़ी के मल्ला सलाण क्षेत्र में गुर्जर-प्रतिहार राजपूतों से सम्बन्धित था
- उल्खा गढ़ यह गढ़ पौड़ी जिले के खिर्स मार्ग पर स्थित था, इस गढ़ को कठूली गढ़ भी कहा जाता था
- तारागढ़ यह पौड़ी के राठ क्षेत्र में स्थित था
टिहरी गढ़वाल के गढ़
- धत्यूड़ गढ़ यह गढ़ जौनपुर क्षेत्र के धत्यूड घाटी में था, यहां अगलाड़ नदी, यमुना नदी में बहती है, अगलाड नदी में ही मौण मेला लगता है
- उप्पू गढ़ यह गढ़ टिहरी-उतरकाशी मार्ग पर उदयपुर परगने में पड़ता है, कफ्फू चौहान यहाँ का गढ़पति था
- मौल्या गढ़ यह गढ़ टिहरी के सेम-मुखेम क्षेत्र में था, यह गढ गंगू रमोला व सिद्धवा विद्धवा का गढ़ था
- धमोडू गढ़ यह गढ़ राणा जाति का था
- कोटा गढ़ टिहरी जौनपुर के इड़ालस्यू में स्थित था
गंगू रमोला
- टिहरी गढ़वाल के रमोली गढ़ में वीर गढ़पति गंगू रमोला था
- गंगु रमोला के दो पुत्र सिदुवा व विदुवा थे
- गंगू चौहान वंशीय गढ़पति था
- गंगू रमोला ने सेम- मुखेम में 7 मंदिरों का निर्माण करवाया।
गढ़वाल का परमार या पंवार वंश
- चांदपुर गढ़ में परमार वंश या पंवार वंश की नींव पड़ी चांदपुर गढ़ का प्रतापी शासक भानुप्रताप था
- परमार वंश का संस्थापक कनकपाल था
- पंवार वंश का प्राचीनतम अभिलेख 1455 ई० का राजा जगतपाल का मिला
- प्राचीनतम अभिलेख देवप्रयाग के रघुनाथ मंदिर से प्राप्त हुआ
- एटकिंसन द्वारा दी गई पंवार शासकों की सूची को अल्मोड़ा। सूची कहा जाता है
- पंवार राजाओं की सूची के बारे में 4 अलग-2 सूची प्राप्त है
- विकेट की सूची सर्वाधिक मान्य है क्योकि यह सूची सुदर्शन शाह के सभासार ग्रंथ से मेल खाती है
- गढ़वाल वर्णन पुस्तक के लेखक हरिकृष्ण रतूड़ी है
- गढ़वाल जाति प्रकाश पुस्तक के लेखक बालकृष्ण शांति भट्ट है
ये भी पढ़ें
- उत्तराखण्ड का इतिहास/History of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड में पुरा प्रजातियाँ/ Pura species in Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का प्रागैतिहासिक काल/Prehistoric period of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का आद्य ऐतिहासिक काल/Proto-historic period of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक काल/Historical period of Uttarakhand
- उत्तराखण्ड का कार्तिकेयपुर राजवंश/Kartikeyapur Dynasty of Uttarakhand
- कुमाऊँ का चंद राजवंश/Chand Dynasty of Kumaon
- गढ़वाल के गढ़ या किले/Garhwal Citadel or Fort
- गढ़वाल पंवार वंश राजाओं की सूची/List of Garhwal Panwar Dynasty Kings
- परमार शासक /Parmar Ruler
- उत्तराखण्ड में गोरखा शासन/Gorkha rule in Uttarakhand
- 1815 ई0 के बाद गढ़वाल नरेश/Garhwal king after 1815 AD
- गढ़ नरेशों का प्रशासन/Administration of the Garh Kings
- पंवार राजवंश के समय कुछ साहित्य/Some literature during the Panwar dynasty
- पंवार वंश में प्रयोग प्रमुख शब्दावली/Major terminology used in Panwar dynasty
- पंवार वंश से सम्बन्धित प्रश्नोतरी/Questions Related to Panwar Dynasty
- उत्तराखण्ड का दिल्ली सल्तनत व मुगल सम्बन्ध/Delhi Sultanate and Mughal relations of Uttarakhand
Follow Us