भोटिया जनजाति
- भोटिया जनजाति किरात वंशीय अर्द्धघुंमतु जनजाति है
- भोटिया जनजाति के लोग अपने आप को खस राजपूत कहते है
- भोटिया लोग 1962 से पहले नीति, माणा, दारमा आदि दरों के माध्यम से तिब्बत से व्यापार करते थे
- भोटिया महाहिमालय की सर्वाधिक आबादी वाली जनजाति है
- भोटिया जनजाति की अन्य उपजाति व्यासी, जेठरा व छापडा (बखरिया) है भोटिया जनजाति की लगभग 10 उपजातियां राज्य में निवास करती है
भोटिया जनजाति निवास स्थान
- भोटिया जनजाति के लोग पिथौरागढ, चमोली अल्मोडा, उतरकाशी जिलो के 291 गांवों में वास करती है • चमोली जिले में रहने वाले भोटिया को मारछा व तोल्छा कहते हैं
- चमोली के माणा, मलारी व टोला गांव भोटिया जनजाति का निवास स्थान है
- पिथौरागढ़ जिले में शौका, जोहारी, चौंदासी व दरमिया जाति के भोटिया रहते है
- पिथौरागढ़ के तेडांग, जोलिंग व कोंग कुटी का सम्बध भोटिया जनजाति से है
- उत्तरकाशी जिले में जाड़ भोटिया रहते है
भोटिया जनजाति की विशेषता
- भोटिया जनजाति तिब्बती व मंगोलों का मिश्रित रूप है।
- सिर बड़ा कद छोटा व नाक चपटी भोटियों की पहचान है
- चेहरा गोल, शरीर में बालों की कमी व आंखे छोटी भी भोटिया लोगों की पहचान है, भोटिया जनजाति ऋतु प्रवास वाली जनजाति है
- भोटिया जनजाति के ग्रीष्मकालीन आवास को मैत कहा जाता है।
- भोटिया जनजाति के शीतकालीन आवास को मुनसा या गुण्डा कहते हैं, भोटिया जनजाति एक पशुपालक व भ्रमण जनजाति है।
- भोटिया जनजाति के लोग शराब को छंग कहते है, जिसका प्रयोग विशेष अवसरों में करते है
- भोटिया लोगों का मुख्य पेय पदार्थ ज्या है, जिसको बनाने के लिए वृक्ष की छाल का प्रयोग होता है
भोटिया जाति में विवाह प्रथा
- भोटिया जनजाति में दामोला विवाह प्रथा पायी जाती है दामोला विवाह में बराती वर के नाम पर ही दुल्हन को ले आते है
- भोटिया जनजाति के लोग विवाह को दामी कहते है
- भोटिया जनजाति में प्रचलित दूसरी विवाह प्रथा तत्सत प्रथा है
- भोटिया लोग सगाई की रस्म को थौची कहते है
- पहले भोटियों में युवा गृह या रंग-बंग प्रथा का प्रचलन था
- रंग-बंग प्रथा के तहत गांव के बाहर अलग से घर बनाया जाता था इसमें अविवाहित युवक-युवतियां रात में शामिल होते थे
- पने सगे सम्बन्धियो को भोटिया लोग स्वारा कहते है।
- विवाह के अवसर पर भोटिया लोग पौणा नृत्य करते है
- पौणा नृत्य एक प्रकार का युद्ध नृत्य है, जो एक हाथ में रूमाल लेकर किया जाता है
भोटिया जनजाति की धार्मिक व्यवस्था
उत्तराखण्ड में भोटिया जनजाति/Bhotia tribe in Uttarakhand |
- भोटिया जनजाति के लोग भूम्याल देवता की पूजा करते है
- भोटिया लोग ग्वाला, कैलाश पर्वत, नंदादेवी, हाथी पर्वत की भी पूजा करते है घंटाकर्ण देवता की पूजा बुग्यालो में चरने वाले पशुओ की रक्षा के लिए करते है
- साई देवता की पूजा खोये पशुओं का पता लगाने के लिए करते है भोटिया जनजाति के लोग पशुओं की रक्षा के लिए सिध्वा व विध्वा देवता की भी पूजा करते है
- विपति के समय भोटिया लोग तिब्बती देवी-देवता फैला व घूरमा की पूजा करते है
- भोटिया जनजाति के लोग प्रत्येक 12 वर्ष बाद कंडाली उत्सव मनाते है, कंडाली उत्सव को किर्जी उत्सव भी कहा जाता है
- भोटिया जनजाति के लोग मतृक की शांति के लिए ग्वन संस्कार करते है, भूमौं संस्कार भोटियों में नवजात बालक के तीन माह बाद किया जाता है
उत्तराखण्ड में भोटिया जनजाति/Bhotia tribe in Uttarakhand |
भोटियों की आर्थिक व संस्कृति परम्परा
- भोटिया लोग चीन से गम्मया पद्धति से व्यापार करते थे
- गम्मया पद्धति में एक पत्थर के दो टुकड़े करके एक दूसरे के पास मितुर या साझीदार के प्रतीक के रूप में रखा जाता है भोटिया जनजाति पशुपालक जनजाति है, जो ग्रीष्मकाल में बुग्यालों की तरफ निवास करने जाते हैं।
- ग्रीष्म काल में भोटिया लोग पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ी नुमा खेती करते
- भोटिया लोग झूम खेती की भांति काटिल विधि से वनों को साफ कर खेती करने योग्य बनाते हैं
- भोटिया जनजाति का मुख्य वाद्ययंत्र हुड़का है तुबेरा, बाज्यू व तिमली भोटिया जनजाति के लोकगीत है
- तिमली लोकगीत सामाजिक विषय पर आधारित गीत है
- बाज्यू लोकगीत वीर रस प्रधान गीत है
भोटियों की जाड उपजाति
- उत्तरकाशी में रहने वाले जाड़ अपने आप को जनक के वंशज मानते हैं, जाड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है
- जाड़ों की बोलचाल की भाषा रोम्बा है, जो तिब्बती भाषा से मिलती-जुलती है
- जाड़ लोग जो ब्राह्मण पूजा पाठ कार्य करते है उसे लामा कहते है • लौहसर व शूरमैन जाड़ लोगों के प्रमुख त्यौहार है
- लौहसर त्योहार बंसत पंचमी को मनाया जाता है
- उत्तरकाशी के जांदूग व नेलंग घाटी का सम्बन्ध जाड़ भोटिया जनजाति से है।
- जाड़ लोगो द्वारा पहना जाने वाला वस्त्र चोगा या वपकन है
- जाड़ जनजाति का समाज तीन वर्गों में विभक्त है
उत्तराखण्ड में भोटिया जनजाति/Bhotia tribe in Uttarakhand |
भोटिया से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बिन्दु
- भोटिया लोग चावल से बने भोजन को भात या छाकू कहते है
- भोटियों द्वारा बनायी गई बड़े आकार की रोटी को पूली कहा जाता है
- भोटिया जनजाति के लोग मांस या मीट को शीतकाल के लिए सुखाकर रखते हैं
- भोटिया लोग घूटने तक पहने जाने वाले कोट परिधान को रंगा कहते है, तथा भोटियों द्वारा पहना जाने वाला ऊनी पैजामें को गैजू या खगचसी कहा जाता है
- भोटिया लोग ऊन से बने जूते को बांखे कहते है
- भोटिया बोली में आभूषणों के लिए साली-पुली कहा गया
- भोटिया लोग चांदी से बनी सिक्कों की माला को बलडंग कहते है
- भोटिया जाति की स्त्रियां बीरावली व पतेली बाली नामक आभूषण सिर पर पहनती है
- मंसाली एक प्रकार की लाल मनके की माला होती है।
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