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उत्तराखंड में चीनी उद्योग|Sugar Industry in Uttarakhand

 

उत्तराखंड में चीनी उद्योग|Sugar Industry in Uttarakhand


उत्तराखंड में चीनी उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ 7 चीनी मिलें हैं, जिनमें से 4 सहकारी क्षेत्र की, 2 निजी क्षेत्र की और 1 सार्वजनिक क्षेत्र की हैं। 2020-21 के सीजन में, इन मिलों ने 10.5 लाख टन गन्ने की पेराई की और 1.2 लाख टन चीनी का उत्पादन किया।

इतिहास:

उत्तराखंड में चीनी उद्योग का इतिहास 19वीं शताब्दी का है। 1880 में, राज्य में पहली चीनी मिल स्थापित की गई थी। तब से, राज्य में कई चीनी मिलें स्थापित की गई हैं।

उद्योग का महत्व:

चीनी उद्योग उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। यह उद्योग राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में महत्वपूर्ण योगदान देता है और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करता है।

उद्योग का वर्तमान परिदृश्य:

आज, उत्तराखंड में 12 चीनी मिलें हैं। इन मिलों की कुल पेराई क्षमता 34,250 टन प्रति दिन है।

उद्योग के सामने चुनौतियां:

उत्तराखंड में चीनी उद्योग कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। इनमें गन्ने की कम पैदावार, कच्चे माल की बढ़ती लागत, और बाजार में प्रतिस्पर्धा शामिल हैं।

उद्योग का भविष्य:

इन चुनौतियों के बावजूद, उत्तराखंड में चीनी उद्योग का भविष्य उज्ज्वल है। राज्य सरकार उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। इन पहलों के फलस्वरूप, उद्योग के आने वाले वर्षों में विकसित होने की उम्मीद है।

उद्योग की कुछ प्रमुख विशेषताएं:

  • कच्चा माल: चीनी उद्योग का मुख्य कच्चा माल गन्ना है।
  • उत्पादन: उत्तराखंड में प्रति वर्ष 25 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन होता है।
  • खपत: राज्य में उत्पादित चीनी का उपयोग राज्य के घरेलू और औद्योगिक क्षेत्रों में किया जाता है।
  • निर्यात: राज्य में उत्पादित चीनी का कुछ हिस्सा पड़ोसी राज्यों को निर्यात किया जाता है।

उत्तराखंड में चीनी उद्योग के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  • स्थापना: 1936 में उत्तराखंड में पहली चीनी मिल काशीपुर में स्थापित हुई थी।
  • क्षेत्र: गन्ने की खेती उत्तराखंड के 13 में से 11 जिलों में होती है।
  • उत्पादन: 2020-21 में, उत्तराखंड में 1.2 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
  • रोजगार: चीनी उद्योग उत्तराखंड में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 1 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
  • चुनौतियाँ: चीनी उद्योग को गन्ने की कम पैदावार, पुरानी मशीनरी और कर्ज जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तराखंड सरकार ने चीनी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • गन्ने की बीजों की सब्सिडी
  • गन्ने की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण
  • चीनी मिलों के आधुनिकीकरण के लिए ऋण

उत्तराखंड में चीनी उद्योग के लिए भविष्य की संभावनाएं उज्ज्वल हैं सरकार की पहलों और किसानों की मेहनत से, यह उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था में और अधिक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

उत्तराखंड में चीनी मिलों की सूची:

  • सहकारी क्षेत्र
    • बाजपुर सहकारी चीनी मिल, बाजपुर
    • लक्सर सहकारी चीनी मिल, लक्सर
    • नादेही सहकारी चीनी मिल, नादेही
    • डोईवाला सहकारी चीनी मिल, डोईवाला
  • निजी क्षेत्र
    • किच्छा चीनी मिल, किच्छा
    • लिब्बरहेड़ी चीनी मिल, लिब्बरहेड़ी
  • सार्वजनिक क्षेत्र
    • इकबालपुर चीनी मिल, इकबालपुर

निष्कर्ष:

उत्तराखंड में चीनी उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था और समाज के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है। इन पहलों के फलस्वरूप, उद्योग के भविष्य उज्ज्वल है।

उद्योग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  • भारत की कुल चीनी उत्पादन में उत्तराखंड का हिस्सा 2% है।
  • उत्तराखंड भारत का छठा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है।
  • राज्य में सबसे बड़ी चीनी मिल डोईवाला चीनी मिल है, जिसकी पेराई क्षमता 5000 टन प्रति दिन है।

उद्योग के बारे में अधिक जानकारी के लिए:

  • उत्तराखंड सहकारी चीनी मिल्स संघ लिमिटेड की वेबसाइट: https://uttarakhandsugars.com/

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