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कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान|Corbett National Park

 

कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान|Corbett National Park

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, जिसे हाथीपुर राष्ट्रीय उद्यान के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड, भारत में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है और इसे 1936 में स्थापित किया गया था। 1318.54 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जिसमें से 520 वर्ग किमी मुख्य क्षेत्र है और इसमें विभिन्न प्रकार के वनस्पति और जीव हैं, जिनमें बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, हिरण, जंगली सुअर और कई पक्षी प्रजातियां शामिल हैं।

कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान|Corbett National Park


कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान (नैनीताल) हिमालय एवं शिवालिक पर्वत श्रेणियों के अंचल में प्रवाहित रामगंगा के दोनों ओर स्थित कार्वेट राष्ट्रीय उद्यान अपने अनुपम प्राकृतिक छटा एवं वन्य प्राणियों के बाहुल्य के लिए विश्वविख्यात है, यह उद्यान देश-विदेश के पर्यटकों का एक प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है. इसे भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान होने का गौरव प्राप्त है. इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना सन् 1935 में की गई थी तथा राज्य के तत्कालीन गवर्नर सर मैल्कम हेली के नाम पर इसका नाम 'हेली नेशनल पार्क' रखा गया. भारत के स्वतन्त्र होने के पश्चात् इसका नाम बदलकर 'रामगंगा नेशनल पार्क' कर दिया गया. सन् 1957 में इसका नाम पुनः बदलकर प्रख्यात शिकारी स्वर्गीय जिम कार्बेट की स्मृति में 'कार्बेट नेशनल पार्क' रखा गया.

उद्यान का नाम प्रसिद्ध शिकारी और संरक्षणवादी जिम कॉर्बेट के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस क्षेत्र में बाघों का अध्ययन और शिकार किया था। कॉर्बेट का मानना था कि बाघों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित किया जाना चाहिए, और उन्होंने इस क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, और यह वन्यजीव सफारी, हाथी सफारी, नौका विहार और पक्षी देखने के लिए प्रसिद्ध है। यहां कई आवास विकल्प भी हैं, जिसमें लक्जरी लॉज से लेकर बजट गेस्ट हाउस तक शामिल हैं।


कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान|Corbett National Park


यहां जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान जाने के कुछ कारण 

  • बाघों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का मौका।
  • विभिन्न प्रकार के अन्य वनस्पतियों और जीवों का अनुभव करें।
  • वन्यजीव सफारी, हाथी सफारी, नौका विहार और पक्षी देखने सहित विभिन्न गतिविधियों का आनंद लें।
  • क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और संस्कृति के बारे में जानें।
  • आराम करें और प्रकृति की सुंदरता का आनंद लें।

यदि आप वन्यजीवों के उत्साही हैं या बस एक सुंदर और प्राकृतिक स्थान की तलाश में हैं, तो जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान निश्चित रूप से देखने लायक है।

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान जाने का सबसे अच्छा समय:

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक होता है, जब मौसम सुखद होता है। ग्रीष्मकाल (अप्रैल से जून) बहुत गर्म और शुष्क हो सकता है, जबकि मानसून (जुलाई से सितंबर) भारी बारिश ला सकता है।


कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान|Corbett National Park


जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचें:

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान पंतनगर हवाई अड्डे से निकटतम हवाई अड्डा है, जो दिल्ली, लखनऊ और देहरादून से उड़ानों द्वारा जुड़ा हुआ है। रामनगर निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो दिल्ली, लखनऊ और हावड़ा से ट्रेनों द्वारा जुड़ा हुआ है। उद्यान सड़क मार्ग से भी सुलभ है, और दिल्ली, लखनऊ, देहरादून और अन्य शहरों से नियमित बस सेवाएं हैं।

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में कहां रुकें:

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में ठहरने के लिए कई विकल्प हैं, जिसमें लक्जरी लॉज से लेकर बजट गेस्ट हाउस तक शामिल हैं। 

कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान|Corbett National Park


जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास:

शुरुआती दिन:

  • 19वीं शताब्दी के अंत में, उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के कुमाऊँ मंडल में बाघों की संख्या में गिरावट आई।
  • शिकारी जिम कॉर्बेट ने इस क्षेत्र में बाघों का अध्ययन और शिकार किया, और उन्होंने देखा कि इन शानदार जानवरों को कैसे खतरा है।
  • कॉर्बेट ने बाघों के संरक्षण की वकालत शुरू की, और उन्होंने इस क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना:

  • 1936 में, हैली नेशनल पार्क की स्थापना की गई, जो भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था।
  • इसका नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर सर विलियम मैल्कम हैली के नाम पर रखा गया था।
  • यह 583 वर्ग किलोमीटर (225 वर्ग मील) के क्षेत्र में फैला था और इसमें मुख्य रूप से साल के जंगल शामिल थे।

जिम कॉर्बेट का योगदान:

  • 1950 में, कॉर्बेट को पार्क का पहला वार्डन नियुक्त किया गया था।
  • उन्होंने शिकार पर प्रतिबंध लगाया, और उन्होंने पार्क में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कई अन्य कदम उठाए।
  • कॉर्बेट ने अपने अनुभवों के बारे में कई किताबें भी लिखीं, जिनमें "मैन-ईटिंग टाइगर ऑफ रुद्रपुर" और "द टेंपल टाइगर" शामिल हैं।
  • इन पुस्तकों ने दुनिया भर में बाघों और उनके संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद की।

बाद के वर्ष:

  • 1957 में, पार्क का नाम बदलकर जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया।
  • 1970 और 1980 के दशक में, पार्क का विस्तार 1,318 वर्ग किलोमीटर (513 वर्ग मील) तक किया गया।
  • इसमें रामनगर अभयारण्य और ढिकाला अभयारण्य शामिल किए गए, जो दोनों बाघों के महत्वपूर्ण आवास थे।

कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान|Corbett National Park

आज:

  • जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है।
  • यह बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, हिरण, जंगली सुअर और कई पक्षी प्रजातियों सहित विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जीवों का घर है।
  • यह वन्यजीव सफारी, हाथी सफारी, नौका विहार और पक्षी देखने के लिए प्रसिद्ध है।

जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान न केवल बाघों के संरक्षण के लिए, बल्कि भारत में वन्यजीव संरक्षण आंदोलन के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह दर्शाता है कि मनुष्य और प्रकृति एक साथ रह सकते हैं, और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।



 

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