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कैलाश (नैनीताल)|Kailash (Nainital)



नैनीताल जिले के भीमताल ब्लॉक में एक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित है  कैलाश(जिसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है) भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर 6,350 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और नैनीताल शहर के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। कैलाश की आकृति शंक्वाकार होने के कारण यह महादेव का लिंग कहलाता है. कहा जाता है कि यह तिब्बत में स्थित कैलाश के सदृश है और यह पर्वत श्रेणी बहुत पवित्र मानी जाती है. इसकी चोटी पर एक प्राचीन मन्दिर है. नैनीताल से यहाँ आने का साधन मानाघेरखलडुंगीखच्यर मार्ग द्वारा है. अक्टूबर के अन्त में यहाँ महादेव एवं ज्वाला देवी के सम्मान में तीन दिन तक मेला लगता हैजिसमें लगभग 5000 यात्री आते हैं। 

छोटा कैलाश मंदिर पहाड़ की जिस चोटी पर बना है वह आस-पास के पहाड़ों में सबसे ऊंची चोटी है। पिनरों गाँव से चलने के कुछ देर बाद इस मार्ग से पर्वतश्रृंखलाओं का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। कैलसा और गार्गी नदी की सुन्दर घाटियाँ भी लगातार दिखाई देती हैं।


मान्यता है कि सतयुग में भगवान महादेव एक बार यहाँ आये थे। अपने हिमालय भ्रमण के दौरान भगवान शिव तथा माता पार्वती ने इस पहाड़ी पर विश्राम किया था। महादेव के यहाँ पर धूनी रमाई थी,तभी से यहाँ अखण्ड धूनी जलायी जा रही है। मान्यता है कि यहाँ पहुंचकर शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु यहाँ पर घंटी और चांदी का छत्र चढ़ाते हैं।

मान्यता है कि महादेव ने यहाँ पार्वती-कुण्ड का निर्माण किया था परन्तु बाद के वर्षों में किसी भक्त द्वारा उसे अपवित्र कर देने के कारण उसका जल सूख गया और उस कुंड तक पहुँचने वाली तीन सतत जलधाराएँ विभक्त होकर पहाड़ी के तीन छोरों पर थम गयी।

सावन और माघ के महीने में यहाँ भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। शिवरात्रि के दिन यहाँ विशाल मेला लगता है। इस दिन दूर-दूर से हजारों भक्त यहाँ आकर पूजा-अर्चना करते हैं। महाशिवरात्रि की रात यहाँ पर हजारों लोग रात भर रूककर अनुष्ठान करते हैं और कुछ भक्त अपने हाथ बंधवाकर रात भर धूनी के आगे खड़े होकर मन्नत मांगते हैं। इनमें से अगर किसी का हाथ स्वयं खुल जाये तो उसे धूनी के आगे से हटा दिया जाता है।ॐ नमः शिवाय 






मंदिर का इतिहास:

कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 19वीं शताब्दी में कुमाऊं के राजा कर्दन सिंह ने की थी। मंदिर का निर्माण भगवान शिव के निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत के समान किया गया है।

मंदिर का महत्व:

कैलाश मंदिर नैनीताल में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर साल भर भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

मंदिर तक कैसे पहुंचें:

नैनीताल से कैलाश मंदिर तक पैदल या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 4 किलोमीटर की चढ़ाई है।

मंदिर में क्या देखना और क्या करना है:

मंदिर में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति है। मंदिर परिसर में कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं। मंदिर से नैनीताल शहर के शानदार दृश्य दिखाई देते हैं।

यहां कैलाश मंदिर जाने के कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • मंदिर जाने के लिए आरामदायक जूते पहनें क्योंकि आपको चढ़ाई करनी होगी।
  • मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपने जूते उतार दें।
  • मंदिर में प्रवेश करते समय विनम्र कपड़े पहनें।
  • मंदिर में दान करना स्वैच्छिक है।
  • मंदिर परिसर में शांत रहें।

आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी एवम और लोगो को भी भेजो।


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