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पंचबद्री| Panch Badri in Uttrakhand

पंचबद्री| Panch Badri in Uttrakhand 


पंचबद्री:-  पंचबद्री (पंच बद्री) उत्तराखंड में स्थित भगवान विष्णु के पांच पवित्र मंदिरों का एक समूह है। इन मंदिरों में बद्रीनाथ, योग ध्यान बद्री, वृद्ध बद्री, भविष्य बद्री और आदि बद्री शामिल हैं। माना जाता है कि इन मंदिरों के दर्शन से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पंच बद्री के बारे में निचे दिया गया है |


श्री बद्रीनाथ 

पुराणों में सर्वश्रेष्ठ भूमि बद्रिकाश्रम, चारों धामों में से एक प्रसिद्ध और पौराणिक धाम है. श्री बद्रीनाथ  जी का मनदिर नारायण पर्वत शिखरों के मध्य (10300 फीट) की ऊँचाई पर अलकनंदा नदी के किनारे, गरमपानी के चश्मे तप्त कुण्ड के पास स्थित है. स्कन्दपुराण के अनुसार आदिगुरु शंकराचार्य ने भगवान बद्रीनाथ (भगवान विष्णु) की प्रतिमा नारद कुण्ड से प्राप्त कर इस स्थल पर स्थापित की थी. यही मुख्य मंदिर है जो विशाल बद्री के नाम से विख्यात है. उत्तराखंड में श्री बद्री जी की पूजा पाँच विभिन्न स्थलों पर पाँच भिन्न-भिन्न नामों से की जाती है.

Badrinath Ji|बद्रीनाथ जी 

श्री आदिबद्री 


श्री अदिबद्री|Shri Aadi Badri



कर्णप्रयाग से 17 किलोमीटर तथा चांदपुर गढ़ी से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर भगवान विष्णु का एक भव्य मंदिर है। जहाँ नारायण “आदिबद्री” के नाम से जाने जाते हैं। यह मंदिर विष्णु को समर्पित है। आदिबद्री में जागेश्वर मंदिर समूहों के जैसे 16 मंदिरों का समूह हुआ करता था। जो मौजूदा वक्त में 14 रह गए हैं।

वर्तमान में उत्तराखंड में पंचबद्री (आदिबद्री, ध्यान बद्री, योग बद्री, बद्रीनाथ, भविष्य बद्री) भगवान विष्णु को समर्पित हैं। मंदिर के कपाट सालभर भक्तों के लिए खुले रहते हैं। लेकिन पूस महीने की 14 तारीख से जनवरी में मकरसंक्राति तक मंदिर के कपाट एक माह के लिए बंद किये जाते हैं। आदिबद्री मंदिर में भी पूजा का विधान बद्रीनाथ मंदिर के जैसा है। यहाँ प्रातः भगवान विष्णु का स्नान और साज सज्जा के बाद कपाट खोले जाते हैं और आरती की जाती है। वहीं संध्या में भी भगवान की आरती के बाद मंदिर के द्धार बंद कर दिये जाते हैं। भगवान बद्रीनाथ से मंदिर के दर्शनों से पहले आदिबद्री मंदिर के दर्शन की मान्यता है। कहते हैं कि जो आदिबद्री मंदिर के दर्शन के बाद तुलसी से बना चरणामीर्त ग्रहण करता है। भगवान विष्णु की सदैव उसपर कृपा दृष्टि रहती है।


वृद्ध बदी

Shri Virdh Badri| श्री  वीर्ध बद्री 


जोशीमठ से 17 किमी पीपलकोटि की दिशा में 4000 फीट की ऊँचाई पर आठीमठ-नामक स्थान पर स्थित है. यहाँ पर श्री लक्ष्मीनारायण की प्राचीन मूर्ति है.


योगध्यान बद्री

श्री योगध्यान बद्री |Shri Yogdhyan Badri

जोशीमठ में 20 किमी तथा बद्रीनाथ से 24 किमी की दूरी पर 5500 फीट की ऊँचाई पर पाण्डुकेश्वर में स्थित है. सामने की ऊँची चोटियों पर पाण्डु शिला है. यही पाण्डवों की जन्म स्थली है, यहीं पर राजा पाण्डु को मोक्ष प्राप्त हुआ था.


भविष्य बद्री 

श्री योगध्यान बद्री |Shri Yogdhyan Badri 

भविष्य बद्री, जिसे भविष्य बद्री भी कहा जाता है, समुद्र तल से 2,744 मीटर (9,003 फीट) ऊपर)[4] जोशीमठ से 17 किलोमीटर की दूरी पर सुभैन नामक एक गाँव में स्थित है, तपोवन से आगे और घने जंगल से होकर केवल ट्रेकिंग करके पहुँचा जा सकता है। यह धौली गंगा नदी के किनारे कैलाश पर्वत और मानसरोवर के लिए एक प्राचीन तीर्थ मार्ग पर स्थित है। यह नीति घाटी में तपोवन से लता के रास्ते पर स्थित है। भविष्य बद्री जोशीमठ से 19 किलोमीटर दूर सलधार से एक मोटर योग्य सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है, जिसके आगे मंदिर तक पहुँचने के लिए 6 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है।

भविष्य बद्री (शाब्दिक रूप से "भविष्य का बद्री") की किंवदंती के अनुसार, जब दुनिया में बुराई फैल जाती है, तो नर और नारायण के पहाड़ बद्रीनाथ के मार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं और पवित्र मंदिर दुर्गम हो जाता है। वर्तमान दुनिया नष्ट हो जाएगी और एक नई दुनिया स्थापित हो जाएगी। फिर, बद्रीनाथ भविष्य बद्री मंदिर में प्रकट होंगे और बद्रीनाथ मंदिर के बजाय यहीं उनकी पूजा की जाएगी। जोशीमठ में नरसिंह बद्री का मंदिर भविष्य बद्री की किंवदंती से निकटता से जुड़ा हुआ है (नीचे अनुभाग देखें)। वर्तमान में, भविष्य बद्री में नरसिंह की एक छवि है, जो सिंह-मुखी अवतार और विष्णु के दस अवतारों में से एक है।




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