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यशोधर मठपाल (जन्म: 1939) | Yashodhar Mathpal (born: 1939)

 


यशोधर मठपाल (जन्म: 1939) भारत के एक प्रख्यात पुरातत्वविद्, लोककलाविद्, और संरक्षणवादी हैं। वे उत्तराखंड की रॉक आर्ट (गुफा चित्रकला) और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और अध्ययन के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हें भारत के रॉक आर्ट (शैलचित्र) संरक्षण में अमूल्य योगदान के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई है।


🧑‍🎓 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

  • जन्म: 1939, उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के एक पहाड़ी गांव में।

  • प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में प्राप्त की।

  • आगे चलकर पुरातत्व (Archaeology) और आर्ट हिस्ट्री (Art History) में अध्ययन किया।

  • उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) से शिक्षा प्राप्त की थी।


🏛️ व्यवसाय और योगदान:

क्षेत्र योगदान
🪨 रॉक आर्ट / शैल चित्र भारत में विभिन्न स्थानों पर गुफा चित्रों की खोज और संरक्षण।
📚 लेखन कार्य शैल चित्रों, आदिवासी संस्कृति और भारतीय लोक कलाओं पर अनेक पुस्तकें और शोध लेख।
🏺 पुरातत्व मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में प्राचीन स्थलों की खोज और अध्ययन।
🏔️ उत्तराखंड की संस्कृति उत्तराखंड की पारंपरिक लोक कला, हस्तकला, और देव संस्कृति के संरक्षण में योगदान।
🏡 लोक संग्राहलय की स्थापना 'लोक संस्कृति संग्रहालय', चंद्रबदनी (अल्मोड़ा) की स्थापना की, जो आज उत्तराखंड की संस्कृति को संरक्षित करता है।

🌟 प्रमुख उपलब्धियाँ:

  1. भारतीय शैल चित्रों पर दुनिया में पहली बार गंभीर अध्ययन

  2. भारत सरकार द्वारा सम्मानित कई बार, जैसे:

    • पद्म श्री पुरस्कार (2005) — कला और संस्कृति के क्षेत्र में।

  3. UNESCO और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मान्यता।

  4. Rock Art Society of India के संस्थापक सदस्यों में से एक।

  5. उनके प्रयासों से भारत में रॉक आर्ट संरक्षण को एक नई पहचान मिली।


📚 प्रमुख पुस्तकें (Publications):

  • "Rock Art in Kumaon"

  • "Bhimbetka: Prehistoric Man and his Art"

  • "Rock Art of India"

  • "Folk Art and Craft of Uttaranchal"


🏆 सम्मान और पुरस्कार:

पुरस्कार वर्ष संस्था
🏅 पद्म श्री 2005 भारत सरकार
🏆 कालिदास सम्मान मध्यप्रदेश सरकार
🎖️ कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिनिधित्व UNESCO, ICOM आदि

🏡 वर्तमान कार्य और स्थिति:

  • उत्तराखंड में रहते हुए लोक संग्रहालय का संचालन कर रहे हैं।

  • छात्रों और शोधकर्ताओं को रॉक आर्ट और भारतीय लोक परंपरा पर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

  • उनके द्वारा संरक्षित संग्रहालय आज भी हजारों लोगों को प्रेरित करता है।


🔚 निष्कर्ष:

यशोधर मठपाल केवल एक पुरातत्वविद् नहीं, बल्कि एक ऐसे संस्कृति योद्धा हैं जिन्होंने भारतीय रॉक आर्ट और लोक परंपरा को विलुप्त होने से बचाया। उत्तराखंड और पूरे भारत की सांस्कृतिक धरोहर को उन्होंने अपने शोध और समर्पण से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।


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