प्रेरणा की मिसाल: गांव चरी की युवा प्रधान किरन नेगी
उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदानगर ब्लॉक में स्थित गांव चरी आज पूरे क्षेत्र में एक नई पहचान बना रहा है। इस पहचान के पीछे जिस नाम की सबसे अधिक चर्चा है, वह है—ग्राम प्रधान किरन नेगी।
किरन नेगी न केवल कम उम्र की प्रधान हैं, बल्कि उन्हें गांव वालों ने निर्विरोध (बिना किसी विरोध या चुनावी मुकाबले के) अपना प्रधान चुना। यह अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि गांव के लोग उनके चरित्र, सोच और नेतृत्व क्षमता पर पहले से ही भरोसा करते थे।
किरन नेगी अभी अविवाहित हैं और पेशे से एक सफल फैशन डिजाइनर हैं। वे अपनी खुद की वेबसाइट https://kiranikaa.com के माध्यम से अपने डिज़ाइन किए हुए कपड़े ऑनलाइन बेचती हैं। शहरों में रहकर आरामदायक जीवन जीना उनके लिए आसान था, लेकिन उन्होंने अपने गांव और समाज के लिए काम करना चुना—यही उन्हें खास बनाता है।
शराब के खिलाफ ऐतिहासिक निर्णय
उत्तराखंड के कई गांवों की तरह चरी गांव भी शराब की बढ़ती समस्या से अछूता नहीं था। शराब के कारण बच्चों और युवाओं का भविष्य खराब हो रहा था, घरेलू हिंसा बढ़ रही थी और सामाजिक ताना-बाना कमजोर पड़ रहा था।
इन हालातों को देखते हुए प्रधान किरण नेगी ने आज दिनांक 29 दिसंबर 2025 को गांव में एक खुली ग्रामसभा बैठक बुलाई। इस बैठक में महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं की उपस्थिति में एक साहसिक और ऐतिहासिक फैसला लिया गया—
👉 गांव चरी में पूर्ण रूप से शराब बंदी।
इस फैसले को केवल प्रस्ताव तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि उसे सख्ती से लागू करने के लिए स्पष्ट नियम बनाए गए:
- गांव में शराब बेचने पर ₹21,000 का जुर्माना
- शराब खरीदने पर ₹11,000 का जुर्माना
- गांव के किसी भी समारोह, शादी-ब्याह या सामाजिक आयोजन में शराब परोसने पर महिलाओं द्वारा पूर्ण सामाजिक बहिष्कार
महिलाओं ने एकजुट होकर साफ संदेश दिया कि अगर शराब परोसी जाएगी, तो वे ऐसे कार्यक्रमों में भाग नहीं लेंगी।
क्यों लिया गया यह कठोर कदम?
यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि उत्तराखंड के गांवों में शराब का बढ़ता चलन सीधे-सीधे बच्चों और युवाओं को बिगाड़ रहा है। किरण नेगी का मानना है—
“अगर आज हमने अपने बच्चों को नहीं बचाया, तो कल गांव को कोई नहीं बचा पाएगा।”
बदलाव की शुरुआत
इस फैसले के बाद गांव चरी में माहौल बदलने लगा है।
- घरेलू झगड़े कम हो रहे हैं
- बच्चों पर सकारात्मक असर दिख रहा है
- महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है
- गांव में एक नई सामाजिक जागरूकता आई है
किरन नेगी ने यह साबित कर दिया कि नेतृत्व उम्र से नहीं, सोच और साहस से तय होता है। आधुनिक शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सामाजिक जिम्मेदारी—इन तीनों का सुंदर संतुलन उनकी पहचान बन चुका है।
निष्कर्ष
गांव चरी की यह बेटी आज केवल एक ग्राम प्रधान नहीं है, बल्कि वह उत्तराखंड के ग्रामीण समाज के लिए एक प्रेरणा, एक उदाहरण और एक उम्मीद बन चुकी है।
किरन नेगी की कहानी बताती है कि जब इरादे मजबूत हों, तो पहाड़ों में भी बड़े बदलाव संभव हैं।
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