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| सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग, उत्तराखण्ड /Micro, Small and Medium Enterprises Department, Uttarakhand | 
योजनायें :-
- मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना (राज्य सरकार)
 - मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना अति सूक्ष्म (नैनो) उद्यम
 - स्टार्टअप नीति-2023
 - सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति-2023
 - मेगा इण्डस्ट्रियल एण्ड इनवेस्टमेंट पॉलिसी-2021
 - उत्तराखण्ड राज्य शिल्प रत्न पुरस्कार
 
योजना का
नाम:- मुख्यमंत्री  स्वरोजगार  योजना (राज्य  सरकार)
 
लाभ:- विनिर्माण
क्षेत्र के उद्यम के लिये परियोजना की अधिकतम लागत रू0  25 लाख तथा सेवा व व्यवसाय
क्षेत्र के लिये अधिकतम लागत रू0  10
लाख बैंकों के माध्यम से वित्त पोशण किया जाता है।  श्रेणी-ए के जनपदों हेतु 25
प्रतिषत (विनिर्माणक-अधिकतम 6.25  लाख
एवं सेवा-अधिकतम 2.50 लाख), व श्रेणी-बी व बी$ हेतु 20  प्रतिषत
(विनिर्माणक-अधिकतम 5 लाख एवं सेवा-अधिकतम 2 लाख),  श्रेणी-सी व डी हेतु 15 प्रतिषत (विनिर्माणक-अधिकतम 3.75 लाख  एवं सेवा-अधिकतम 1.50 लाख)
सब्सिडी का प्राविधान है। श्रेणीवार  जनपदों
का वर्गीकरण अनुलग्नक-1 पर संलग्न है। 
पात्रता/लाभार्थी:- आवेदक की आयु न्यूनतम 18 वर्श  होनी चाहिये, राज्य
का स्थायी/मूल  निवासी
होना चाहिए। षैक्षिक योग्यता की बाध्यता नहीं है। योजनान्तर्गत
उद्योग सेवा एवं  व्यवसाय
क्षेत्र में वित्त पोशण सुविधा  उपलब्ध होगी। साथ ही एप्पल,  आर्किड, पषुपालन एवं एग्री बेस्ड पर  भी वित्त पोशण की सुविधा
अनुमन्य  है। आवेदक या इकाई किसी भी  राष्ट्रीयकृत बैंक/वित्तीय संस्था/ सहकारी
बैंक या संस्था इत्यादि का  डिफाल्टर नहीं होना चाहिये। आवेदक सम्बन्धित क्षेत्र के वित्त  पोशक बैंक का खाता धारक
होना  चाहिये।
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  योजना में लाभान्वित होने हेतु  ऑनलाईन पोर्टल  www.msy .uk.gov.in के माध्यम से आवेदन  किया जाता है। ऑनलाईन माध्यम से  ही पात्र आवेदन बैंकों
को वित्त  पोशण हेतु अग्रसारित
किये जाते हैं। योजनान्तर्गत नई परियोजनायें एवं  छोटे स्तर पर कार्य कर
रहे उद्यमों  को उच्चीकरण करने हेतु
भी वित्तीय  सहायता अनुमन्य की जा
सकती है।
आवेदन हेतु आवष्यक दस्तावेज आवेदक
का फोटोग्राफ, आधार कार्ड,  स्थाई/मूल
निवास प्रमाण पत्र,
विषेश  श्रेणी/जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू  हो), प्रोजक्ट
रिपोर्ट, शपथ-पत्र,  शिक्षा
का प्रमाण-पत्र, बैंक  डिटेल
कॉपी, दिव्यांग प्रमाण- पत्र (यदि लागू हो) एवं राशन  कार्ड कॉपी। (समस्त
स्वप्रमाणित  दस्तावेज ऑनलाईन पोर्टल
पर ही  अपलोड किया जायेगा)
योजनान्तर्गत
स्थापित परियोजना 2 वर्श के निरन्तर  सफल संचालित करने के
पष्चात् ही  निर्धारित उपादान
अनुमन्य होगा। 
योजना का
नाम:- मुख्यमंत्री  स्वरोजगार  योजना अति  सूक्ष्म (नैनो)  उद्यम 
योजना का नाम:- स्टार्टअप नीति-2023
लाभ:- मान्यता
प्राप्त स्टार्टप्स या छात्र उद्यमियों के स्टार्टप्स को रू. 15,000  प्रतिमाह का, एक
वर्श तक मासिक भत्ता तथा महिला/अनुसूचित  जाति/जनजाति/दिव्यांग/ट्रांसजेन्डर
या ग्रासरूट नवाचारों पर  आधारित
स्टार्टप्स को रू. 20,000 प्रतिमाह का, मासिक भत्ता दिया  जाता
है।  मान्यता प्राप्त स्टार्टप्स
को रू. 10 लाख तक की एक मुष्त सीड  फण्डिंग।
महिला/अनुसूचितजाति/जनजाति/दिव्यांग/ट्रांसजेन्डर या  ग्रासरूट नवाचारों पर आधारित
स्टार्टप्स को रू. 12.50 लाख तक की  सीड
फण्डिंग सहायता। पेटेंट के लिए प्रति पेटेंट रू. 01 लाख तथा
अन्तर्राश्ट्रीय पेटेंट के लिए रू. 05 लाख की प्रतिपूर्ति सहायता। ट्रेडमार्क तथा
औद्योगिक डिजाइन  के
लिए आवेदन दाखिल करने पर रू. 10 हजार की प्रतिपूर्ति  सहायता। एमएसएमई नीति में
प्रदत्त वित्तीय प्रोत्साहन, यथाः विषेश  पूंजी
उपादान, ब्याज उपादान, स्टाम्प षुल्क में छूट, एसजीएसटी की  प्रतिपूर्ति
सहायता। प्री-इन्क्यूबेषन सपोर्ट, इन्क्यूबेषन सपोर्ट के लिए  एक मुष्त निषुल्क सहायता। नए
इन्क्यूबेषन सेंटर्स की स्थापना के  लिए
रू. 01 करोड़ तक तथा विद्यमान इन्क्यूबेषन सेंटर के विस्तार के  लिए रू. 50 लाख तक का
पूंजीगत उपादान। वेंचर फण्ड की स्थापना के लिए रू. 200 करोड़ का प्राविधान
किया  गया है।  
पात्रता/लाभार्थी:- राज्य में स्टार्टअप पारिस्थितिकि तंत्र  के विकास, विष्व
स्तरीय संस्थागत  बुनियादी
ढांचे के निर्माण और  इन्क्यूबेषन
परामर्षी नेटवर्क की  स्थापना, पूंजी
तथा बाजार तक पंहुच  को
बनाने के लिए नई स्टार्टअप  नीति-2023 प्रख्यापित की गई है। नीति
में स्टार्ट-अप की परिभाशा  उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार  विभाग, भारत
सरकार द्वारा परिभाशित  स्टार्ट-अप
परिभाशा के अनुसार रखी  गयी
है। अनुलग्नक-2 पर संलग्न है। नीति की अधिसूचना जारी होने की  तारीख से लागू होकर पांच
वर्श या  नई नीति लागू होने तक, जो
भी  पहले घटित हो, प्रभावी
रहेगी। इस  नीति के प्रयोजन के लिए
किसी इकाई को प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी,  एलएलपी अथवा पंजीकृत साझेदारी  फर्म के रूप में पंजीकृत
होना  आवष्यक है। नई स्टार्टअप
नीति के  तहत पांच वर्शों में
1000 स्टार्टप्स को  बढ़ावा
देना, प्रत्येक जिले में कम से  कम एक इन्क्यूबेषन सेंटर के साथ  राज्य भर में 30 नए
इन्क्यूबेषन सेंटर  स्थापित
करना लक्ष्य है। 
आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- योजना में लाभान्वित होने हेतु ऑनलाईन पोर्टल www. startuputtarakhand.com के माध्यम से ऑनलाईन आवेदन किया जाता है तथा ऑनलाइन आवेदन हेतु दस्तावेजों का विवरण
https://www.startup
uttarakhand.com/attachments/164006819441.pdf  पर उपलब्ध  है।
लाभ:- उत्तराखण्ड
को वैष्विक स्तर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों,  विषेशकर स्टार्टप्स, स्थानीय कच्चेमाल पर आधारित उत्पाद,  नवीकरणीय एवं हरित ऊर्जा तथा
प्रदूशण मुक्त उद्योगों के लिए  वित्तीय
प्रोत्साहन राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा है। विनिर्माणक
क्षेत्र में अनुमन्य क्रियाकलाप/गतिविधियों के लिये नीति  के अन्तर्गत प्रोत्साहन
सहायताओं का विवरण अनुलग्नक-3 पर  संलग्न
है एवं वित्तीय प्रोत्साहनों की अनुमन्यता के लिए क्षेत्रों का  वर्गीकरण अनुलग्नक 4 पर
संलग्न है। 
पात्रता/लाभार्थी:- कोई भी व्यक्ति, जो राज्य में सूक्ष्म,  लघु एवं मध्यम उद्यम
स्थापित करके  इनवेस्ट
करना चाहता है, पात्र होंगे।  
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- योजना में प्रदत्त
वित्तीय प्रोत्साहनों  के
लाभार्थ निवेषकों द्वारा एकल  खिड़की व्यवस्था के अन्तर्गत  विकसित पोर्टल www.investuttarakhand.gov.in  में  ऑनलाईन आवेदन किया जाता  है।पंजीकरण हेतु सम्पूर्ण प्रक्रिया का  विवरण निम्नवत लिंक के
मैनुअल में  उपलब्ध https://investuttarakhand.uk.gov.i
n/themes/backend/uploads/User_ Manual_Registration.pdf प्राप्त
आवेदनों को गठित जिला  स्तरीय
प्राधिकृत समिति/राज्य  स्तरीय
प्राधिकृत समिति के समक्ष निर्णय हेतु प्रस्तुत किया जाता है। 
योजना का
नाम:- मेगा  इण्डस्ट्रियल  एण्ड इनवेस्टमेंट  पॉलिसी-2021 
लाभ:- अचल
पूँजी निवेश के आधार पर परियोजनाओं का  वर्गीकरणः लार्ज
प्रोजेक्टस- रू. 50 करोड़ से रू. 75 करोड़ तक। मेगा
प्राेजेक्टस-रू. 75 करोड़ से अधिक एवं रू. 200  करोड़ तक। अल्ट्रा मेगा प्राेजेक्टस-
प्लान्ट व मशीनरी में  रू.
200 करोड़ से अधिक एवं रू. 400 करोड़ तक। सुपर  अल्ट्रा मेगा प्राेजेक्ट्स-
प्लान्ट व मशीनरी में रू. 400  करोड़
से अधिक पूंजी निवेश।  वित्तीय
प्रोत्साहनः  सिडकुल औद्योगिक क्षेत्रों
में भूमि की प्रचलित दरों में  छूट/रियायत
(केवल विनिर्माणक उद्योगों को) :- लार्ज  प्रोजेक्टस-
15 प्रतिशत। मेगा प्रोजेक्टस- 25 प्रतिशत। अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्टस- 30 प्रतिशत। सुपर अल्ट्रा मेगा  प्रोजेक्ट्स- 30 प्रतिशत। ब्याज
उपादान : 5 वर्ष तक बैंक से लिये गये सावधि ऋण  के ब्याज पर प्रतिपूति र्
सहायताः- लार्ज प्रोजेक्ट्स- 7 प्रतिशत, अधिकतम रू. 25 लाख  प्रतिवर्ष।
मेगा प्रोजेक्ट्स- 7 प्रतिशत, अधिकतम रू. 35.00  लाख
प्रतिवर्ष। अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट्स- 7 प्रतिशत, अधिकतम रू. 50.00 लाख प्रतिवर्ष। सुपर अल्ट्रा मेगा  प्रोजेक्ट्स- 7 प्रतिशत, अधिकतम
रू. 75.00 लाख प्रतिवर्ष। एस.जी.एस.टी. की प्रतिपूति र् (केवल विनिर्माणक उद्यमों
हेतु)% स्वनिर्मित माल/वस्तु के बीटूसी विक्रय पर इनपुट टैक्स  क्रेडिट (प्ज्ब्) के समायोजन
के बाद 5 वर्ष तक कुल शुद्ध एस.जी.एस.टी. की प्रतिपूर्तिः- लार्ज प्रोजक्टस- 30  प्रतिशत। मेगा
प्रोजक्टस/अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट्स/सुपर  अल्ट्रा
मेगा प्रोजेक्ट्स- 50 प्रतिशत। विद्युत बिल में प्रतिपूति र् सहायता (केवल विनिर्माणक
उद्यमों  हेतु)% उत्पादन प्रारम्भ
करने की तिथि से आगामी 5 वर्ष  तक
देय विद्युत बिल में रू. 1.00 प्रति यूनिट की दर से  विद्युत प्रतिपूति र्
सहायताः- लार्ज प्रोजेक्ट्स- रू. 50 लाख  प्रतिवर्ष।
मेगा प्रोजेक्ट्स- रू. 75 लाख प्रतिवर्ष। अल्ट्रा  मेगा प्रोजेक्ट्स- रू. 1
करोड़ प्रतिवर्ष। सुपर अल्ट्रा मेगा  प्रोजेक्ट्स-
रू. 1 करोड़ 50 लाख प्रतिवर्ष। इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की प्रतिपूर्तिः शत-प्रतिशत
प्रतिपूति र्।  स्टा
ॅम्प ड्यूटी की प्रतिपूति र्ः भूमि क्रय विलेख पत्र तथा लीज  डीड के निष्पादन में देय
स्टॉम्प शुल्क प्रभार पर 50  प्रतिशत
की प्रतिपूति र्। भूमि क्रय विलेख पत्र/लीज डीड के निबन्धन के पंजीकरण  शुल्क पर प्रति रू. 1000 पर
रू. 999 की दर से प्रतिपूति र्। ई0टी0पी0 पर उपादानः म्ज्च् संयंत्र की स्थापना हेतु 30  प्रतिशत, अधिकतम
रू. 50.00 लाख का पूंजीगत उपादान। बृहत रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने हेतु
च्ंलतवससेंपेजंदबमः च्ंलतवससेंपेजंदबम सहायता की अनुमन्यता हेतु  लार्ज प्रोजेक्ट के लिए 50, मेगा
प्रोजेक्ट के लिए 100,  अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट के
लिए 200 तथा सुपर अल्ट्रा मेगा  प्रोजेक्ट
के लिए 400 लोगों को नियमित रोजगार की  न्यूनतम
निर्दिष्ट सीमा होगी। निर्दिष्ट सीमा से अधिक  अतिरिक्त नियोजित
कर्मचारियों पर रू. 500/- प्रतिमाह  प्रति
कर्मचारी की दर से आगामी 5 वर्ष तक उपादान के  रूप में पे-रॉल असिस्टेंस
सहायता दी जायेगी। महिला  कर्मचारियों
हेतु यह दर रू. 700/- प्रतिमाह प्रति कर्मचारी  होगी। 
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:-  नीति के अन्तर्गत प्रदत्त वित्तीय  प्रोत्साहनों के लाभार्थ
निवेषकों द्वारा  एकल
खिड़की व्यवस्था के अन्तर्गत  विकसित पोर्टल पर ूूण्पदअमेजनजजंतांंदकण्हवअण्पद में ऑनलाईन आवेदन किया जाता  है। पंजीकरण हेतु सम्पूर्ण प्रक्रिया का  विवरण तथा किन
दस्तावेजों की  आवश्यकता
होगी, का विवरण भी  वेबसाइट   में उपलब्ध है।  
योजना का
नाम:- उत्तराखण्ड  राज्य शिल्प  रत्न पुरस्कार
लाभ:- उत्तराखण्ड
राज्य के 25 शिल्पियों को प्रतिवर्ष ‘‘उत्तराखण्ड राज्य  षिल्प रत्न पुरस्कार’’ से
सम्मानित किया जाता है। पुरस्कार राषि के  रूप
में चयनित उत्कृश्ठ शिल्पि को एक लाख रूपये धनराषि, प्रतीक  चिन्ह, अंगवस्त्र
एवं प्रषस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। 
पात्रता/लाभार्थी:- उत्तराखण्ड राज्य का स्थायी निवासी  कोई भी सिद्धहस्तशिल्पि, जिसकी
 आयु 45 वर्श से कम न हो
तथा जो  असाधारण स्तर या विषिश्ट
षिल्प  कला में पारंगत हो और
जिसने  परम्परागत षिल्प क्षेत्र
में अभूतपूर्व  योगदान
दिया हो।
राष्ट्रीय/राज्य स्तर से पुरस्कार प्राप्त  शिल्पियों को
प्राथमिकता।
शिल्पि द्वारा युवाओं को प्रषिक्षण दिये  जाने में योगदान दिया
हो। शिल्पि  द्वारा तैयार कलाकृतियों
की  गुणवत्ता/ उत्कृश्ठता के
आधार पर।
षिल्प क्षेत्र में कम से कम 15 वर्श  कार्य किया हो। कोई भी षासकीय/ अर्द्ध्रषासकीय/ सहकारी
संस्था /संघ के कर्मचारी  इस
पुरस्कार योजना में भाग नहीं ले  सकेंगे। 
आवेदन
प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदन पत्र, महाप्रबंधक
जिला  उद्योग केन्द्रों से
प्राप्त किया जा  सकता
है तथा https:// investuttarakhand.uk.gov.in/them
es/backend/acts/act_english15414 12900.pdf
के लिंक से भी डाउनलोड किया जा सकता है तथा  विभागीय वेबसाइट  V
https://doiuk. org/mysite/home पर भी देखा जा  सकता है। आवेदन प्रारूप
के साथ  आधार कार्ड, जन्मप्रमाण
 पत्र/जन्मतिथि संबंधी
दस्तावेज,  स्थायी निवास प्रमाण
पत्र,  गुरू/शिक्षक का
संक्षिप्त ब्यौरा,
 जिसने शिल्प सिखाया हो, शैक्षणिक/वोकेशनल
योग्यता, संबंधी  प्रमाण
पत्र यदि कोई हो,
शिल्प में  योगदान का विवरण, शिल्प निर्मित  उत्पादों को खरीदने का प्रमाण पत्र,  युवा शिल्पियों को प्रशिक्षित करने का  विवरण, मुख्य
प्रदर्शिनियों का विवरण,  जिनमें
प्रतिभाग किया हो,
औसतन  प्रतिमाह आय का विवरण आदि  उपलब्ध कराना होगा तथा शिल्पि  द्वारा निर्मित उत्कृश्ट
उत्पादों को
किसी संग्रहालय, मन्दिरों, कला
 समीक्षकों द्वारा क्रय
किया गया हो। (  क्रय
के विवरण सम्बन्धी दस्तावेज  संलग्न करने होंगे)। उसके उपरांत  आवेदन पत्र जिला उद्योग
केन्द्र में  जमा करना पडता है। चयन  प्रक्रिया-ऐसे उत्कृश्ठ शिल्पियों
का  आवेदन पत्र मय प्रमाण
पत्रों को
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित  जिला स्तरीय चयन समिति
की  संस्तुति के उपरान्त
प्रमुख सचिव,  सूक्ष्म, लघु
एवं मध्यम उद्यम,
 उत्तराखण्ड षासन की
अध्यक्षता में  गठित
राज्य स्तरीय चयन समिति को  भेजे जाते हैं। तत्पष्चात् राज्य स्तरीय  चयन समिति द्वारा
प्राप्त संस्तुतियों/ आवेदनों पर विचार कर षिल्प रत्न  पुरस्कार हेतु चयन किया
जाता है।
उद्यमियों को प्रोत्साहन करने के लिये पुरस्कार योजना
लाभ:- पुरस्कार का स्वरूपः
1-राज्य स्तरीय पुरस्कार
हस्तकला क्षेत्र के उत्कृश्ठ हस्तशिल्पियों हेतु प्रथम पुरस्कार रू0  15000/-, द्वितीय पुरस्कार रू0 10000/- एवं तृतीय पुरस्कार  रू0 7000/- दिया जाता है।
हथकरघा(सूती एवं ऊनी वस्त्र) क्षेत्र के उत्कृश्ठ बुनकरों हेतु प्रथम  पुरस्कार रू0 15000/-, द्वितीय पुरस्कार रू0 10000/- एवं  तृतीय पुरस्कार रू0 7000/- दिया जाता है।
2-जनपद स्तरीय पुरस्कार :- हस्तकला क्षेत्र के उत्कृश्ठ हस्तशिल्पियों हेतु प्रथम पुरस्कार रू0  6000/- द्वितीय पुरस्कार रू0 4000/- दिया जाता है।  
हथकरघा(सूती एवं ऊनी वस्त्र) क्षेत्र के उत्कृश्ठ बुनकरों हेतु प्रथम  पुरस्कार रू0 6000/- द्वितीय पुरस्कार रू0 4000/- दिया जाता है।
पात्रता/लाभार्थी:-  बुनकर/हस्तशिल्पि अथवा उसका  उद्योग, जो उद्योग निदेषालय,  उत्तराखण्ड अथवा विकास आयुक्त (हथकरघा)/(हस्तषिल्प), भारत  सरकार के अधीन हथकरघा बुनकर/ हस्तशिल्पि के रूप में पंजीकृत हो। उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत  पंजीकृत हस्तकला/हथकरघा के  निजी दस्तकार तथा सहकारी  समितियां तथा पंजीकृत अषासकीय  संस्थाओं के हस्तशिल्पि एवं बुनकर  पुरस्कार हेतु पात्र होंगे। बुनकर/ हस्तशिल्पि, जिसकी सहकारी समिति /संस्था किसी भी प्रकार के विभागीय /बैंक ऋण के डिफाल्टर न हों, पात्र  होंगें। एक बार पुरस्कार प्राप्त हस्तशिल्पि /बुनकर की प्रविश्ठि को क्रमागत  आगामी तीन वर्शों तक पुनः पुरस्कार  के आवेदन पर विचार नहीं किया  जायेगा।
योजना का नाम:- हथकरघा  कताई-बुनाई  महिला कर्मकारों  को सहायता  योजना
लाभ:- चयनित महिला कर्मकारों को हथकरघा/पेंटलूम/फ्रेमलूम एवं अन्य  उपकरणों आदि उपलब्ध कराये जाने हेतु अधिकतम कुल रू0  25000/- का 90 प्रतिषत धनराषि विभाग द्वारा तथा अवषेश 10 प्रतिषत धनराषि लाभार्थी द्वारा स्वयं वहन की जायेगी।
पात्रता/लाभार्थी:- ऐसी महिला कर्मकार, जिनका पैतृक  व्यवसाय बुनकरी/ कताई-बुनाई है। ऐसी महिला कर्मकार, जिन्हें हथकरघा  क्षेत्र का अनुभव है, परन्तु करघा न  होने की स्थिति में बुनाई कार्य  सम्पादित नहीं कर पा रही हैं, को  प्राथमिकता के आधार पर लाभान्वित  किया जायेगा। भारत सरकार/राज्य  सरकार से पंजीकृत महिला कर्मकार।
आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदन पत्र, महाप्रबन्धक, जिला  उद्योग केन्द्र से प्राप्त कर सकते हैं  तथा विभागीय वेबसाइट   V https:// doiuk.org  से भी। आवेदन पत्र के  साथ आधार कार्ड, बैंक खाता, यदि  भारत/ राज्य सरकार में पंजीकृत  हो तो तत्संबंधी प्रमाण पत्र, अन्य  हस्तशिल्पि/बुनकर संबंधी  दस्तावेज/फोटो/प्रमाण पत्र  सम्बन्धित जिले के महाप्रबन्धक,  जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से  प्रस्तुत करेंगे। चयन प्रक्रिया-महाप्रबन्धक, जिला  उद्योग केन्द्र की अध्यक्षता में गठित  समिति द्वारा जनपद स्तर पर  पात्र महिला कर्मकारों का मानकों के  अनुसार चयन कर सूची सहित  विवरण अनुमोदन हेतु उद्योग  निदेषालय को प्रेशित किया जायेगा,  उसके उपरांत 90 प्रतिशत धनराशि  महिला कर्मकारों के खाते में भेजी  जाती है।  
योजना का नाम:- शिल्पियों हेतु  पेंषन योजना
लाभ:- 60 वर्श अथवा उससे अधिक उम्र के ऐसे शिल्पि, जो वृद्धावस्था पेंषन  प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें रू0 400/- का अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया  जाता है।  
पात्रता/लाभार्थी:- शिल्पि गरीबी रेखा से नीचे जीवन  यापन करने वाले परिवार से  सम्बन्धित होना चाहिये। यदि किसी शिल्पि का पु़त्र अथवा  पौत्र 20 या उससे अधिक आयु का  है, किन्तु वे गरीबी रेखा से नीचे  जीवन यापन कर रहा है, तो अभ्यर्थी  शिल्पि पेंषन हेतु पात्र होगा। राज्य के ऐसे शिल्पि, जो परम्परागत  रूप से विभिन्न हस्तषिल्पों यथा  पत्थर, लकड़ी, ताम्र, लोहा, ऐंपण,  रिंगाल, बांस एवं प्राकृतिक रेषे से उत्पाद विकास आदि एवं जिन षिल्पों  को षासन द्वारा समय-समय पर  अनुमोदन किया जायेगा, उन षिल्पों  में कार्य कर रहे शिल्पि योजना के  पात्र होंगे।
 आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदन पत्र, महाप्रबन्धक, जिला  उद्योग केन्द्र से प्राप्त कर सकते हैं  तथा विभागीय वेबसाइट   https://doiuk.org  से भी। आवेदन  पत्र के साथ आधार कार्ड, बैंक  खाता, वृद्धा वस्था पेंशन प्राप्त करने  संबंधी प्रमाण, बीपीएल प्रमाण पत्र,  जन्मतिथि हेतु जन्म प्रमाण  पत्र/आधार, परिवार परिभाषित करने  हेतु परिवार रजिस्टर की प्रमाणित  प्रति, शिल्पकार होने संबधी प्रमाणपत्र, सम्बन्धित जिले के महाप्रबन्धक, जिला उद्योग केन्द्र में जमा करेंगे। चयन प्रक्रिया- महाप्रबन्धक, जिला  उद्योग केन्द्र की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा पात्र शिल्पियों के  दस्तावेजों का परीक्षण कर पेंशन हेतु  चयनित किया जाता है।  चयन के उपरांत, अतिरिक्त प्रोत्साहन  पेंषन का भुगतान त्रैमासिक रूप से  बैंक/डाकघर खाते में किया जाता  है।
योजना का नाम:- थारू, बोक्सा  एवं अन्य  जनजाति की  महिलाओं हेतु  विषेश प्रोत्साहन  योजना  (प्रशिक्षण एवं  विपणन हेतु)
लाभ:- प्रशिक्षण प्रोत्साहन :- थारू बोक्सा एवं अन्य जनजातियों की  महिलाओं द्वारा सम्पादित किये जा रहे प्रचलित षिल्पों के साथ-साथ  बाजार की मांग के अनुरूप विभिन्न षिल्पों में प्रषिक्षण प्रदान करना। प्रषिक्षण कार्यक्रम की अवधि दो माह की होगी, जो एक माह में  अधिकतम 25 दिन स्वीकार्य होंगे। प्रत्येक प्रतिभागी को प्रतिदिन 5  घण्टे के अनुसार कुल प्रषिक्षण अवधि 250 घण्टे होगी। विपणन प्रोत्साहन-जिला स्तर पर आयोजित किये जाने वाले  परम्परागत मेलों, प्रदर्षनियों एवं जिला हथकरघा प्रदर्षनियों में  प्राथमिकता पर प्रतिभाग के अवसर प्रदान किया जाता है। भारत  सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा विपणन प्रोत्साहन के उद्देष्य से  समय-समय पर राज्य/देष में आयोजित किये जाने वाले  कार्यक्रम/प्रदर्षनियों/भारत अन्तर्राश्ट्रीय व्यापार मेले में शिल्पियों द्वारा  उत्पादित उत्पादों को प्रदर्षन एवं विपणन हेतु स्थान उपलब्ध कराये  जाते हैं। उक्त प्रदर्षनियों/मेलों में प्रतिभाग करने वाली महिलाओं को  आने-जाने का न्यूनतम किराया, उत्पादों को लाने एवं ले जाने हेतु  अधिकतम रू0 1000/- माल भाड़ा प्रति शिल्पि एवं स्टॉल किराया  भी राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
पात्रता/लाभार्थी:- राज्य में षिल्प क्षेत्र में कार्य करने  वाली थारू, बोक्सा एवं अन्य  जनजातियों की महिला शिल्पि  प्रषिक्षण एवं विपणन हेतु पात्र होंगी।
आवेदन प्रक्रिया एवं चयन प्रक्रिया:- आवेदन पत्र महाप्रबन्धक, जिला  उद्योग केन्द्र से प्राप्त कर सकते हैं  तथा विभागीय वेबसाइट   ीजजचेरूध्ध् कवपनाण्वतह से भी। आवेदन पत्र के  साथ आधार कार्ड, बैंक खाता,  मोबाईल नंबर, जाति प्रमाण पत्र,  शिल्पकार होने संबधी प्रमाण, एवं  प्रार्थना पत्र जिसमें प्रशिक्षण लेने  अथवा मेलों में प्रतिभाग करने का  अनुरोध किया गया हो, अथवा उद्योग  कार्यालय में पंजीकरण संबंधी प्रमाण  पत्र, सम्बन्धित जिले के महाप्रबन्धक,  जिला उद्योग केन्द्र में जमा करेंगे। चयन प्रक्रिया-महाप्रबन्धक, जिला  उद्योग केन्द्र की अध्यक्षता में गठित  समिति द्वारा प्राप्त आवेदन पत्रों का  परीक्षण किये जाने के उपरान्त पात्र  शिल्पियों के चयन हेतु निदेषक,  उद्योग विभाग द्वारा अनुमोदन प्रदान  किया जायेगा। उक्त के उपरांत संबंधित महिलाओं को प्रशिक्षण हेतु  एवं मेलों में प्रतिभाग करने हेतु  बुलाया जाता है।


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