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कुमाऊं के आभूषण — उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर |Kumaon Jewellery - Traditional Marvel of Uttarakhand

कुमाऊं के आभूषण — उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर |

 

कुमाऊं क्षेत्र (जिसमें नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत आदि जिले आते हैं) की संस्कृति में पारंपरिक आभूषणों (गहनों) का विशेष महत्व है। यहां की महिलाएं पारंपरिक परिधान के साथ-साथ सुंदर, भारी-भरकम और विशिष्ट डिज़ाइन वाले गहनों को पहनती हैं जो उनकी पहचान और सामाजिक स्थिति का प्रतीक होते हैं। आइए जानते हैं कुमाऊं के प्रमुख आभूषणों के बारे में:


🔷 1. नथ / नथुली

  • विवरण: नथ कुमाऊंनी संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण और भव्य आभूषण है, विशेषकर शादी में।

  • विशेषता: सोने की बनी होती है, इसमें कई मोती या नग जड़े होते हैं।

  • शादी में उपयोग: दुल्हन इसे विशेष दिन पहनती है। जितनी बड़ी नथ, उतनी उच्च सामाजिक स्थिति मानी जाती है।


🔷 2. पिछोड़ा (कपड़ा + आभूषण)

  • विवरण: शादी व शुभ अवसरों पर महिलाएं लाल-पीले रंग का पिछोड़ा पहनती हैं, जिसमें सुनहरी ज़री का काम होता है।

  • यह वस्त्र है, पर गहनों के साथ पहनने से इसका महत्त्व और बढ़ जाता है।


🔷 3. छरयूली / गुलोबन्द

  • विवरण: यह गले का गहना होता है, जिसे महिलाएं विशेष अवसरों पर पहनती हैं।

  • विशेषता: यह चांदी या सोने का होता है, और इसमें छोटे-छोटे सिक्के या पत्तियों जैसे लटकते हुए डिज़ाइन होते हैं।


🔷 4. चूड़ियाँ (चांदी की)

  • विवरण: पारंपरिक तौर पर महिलाएं भारी चांदी की चूड़ियाँ (जिसे धागुली भी कहते हैं) पहनती हैं।

  • विशेषता: हाथों को ढकते हुए ये चूड़ियाँ पारंपरिक व ग्रामीण पहचान देती हैं।


🔷 5. कड़ा / गहठी

  • विवरण: चांदी या सोने का मोटा कड़ा जो विवाहिता स्त्रियों की शोभा बढ़ाता है।

  • विशेष अवसरों पर: यह विशेष तौर पर त्योहारों या सामाजिक कार्यक्रमों में पहना जाता है।


🔷 6. मांगटीका / सिसोली

  • विवरण: सिर के मध्य में पहना जाने वाला यह गहना मांग को सजाता है।

  • विशेषता: ये सादगी और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है।


🔷 7. बिचुए और पायजेब (चांदी के)

  • बिचुए: विवाहिता स्त्री के पैरों में पहना जाता है।

  • पायजेब: चांदी की होती है और उसमें घंटियों की मधुर ध्वनि निकलती है।


🔷 8. कान के गहने (झुमके, कुंडल)

  • झुमके: भारी और कलात्मक डिज़ाइन के होते हैं।

  • कुंडल: सोने या चांदी के होते हैं, और दिन-प्रतिदिन पहने जाते हैं।


🔷 9. नाक की कील (लालटोप)

  • विवरण: कुछ महिलाएं नथ के साथ-साथ बायीं नासिका में कील भी पहनती हैं।

  • लालटोप एक स्थानीय डिज़ाइन होती है।


🔷 10. हार / माला (पौंची, तागड़ी, हंसुली)

  • पौंची: गले में पहनी जाने वाली चांदी या सोने की भारी माला।

  • हंसुली: चांदी की मोटी गले की हंसिया-आकार की माला, जिसे कांठा भी कहा जाता है।


📜 सांस्कृतिक महत्व:

  • यह गहने केवल श्रृंगार का माध्यम नहीं, बल्कि पारिवारिक संपत्ति, समृद्धि, और परंपरा के प्रतीक होते हैं।

  • यह गहने उत्तराखंडी लोकगीतों और लोक-नृत्यों में भी प्रमुखता से दिखते हैं।

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