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विजय बहुगुणा | Vijay Bahuguna



 विजय बहुगुणा (जन्म: 28 फरवरी 1947) एक भारतीय राजनेतापूर्व वकील और जज हैंजिन्होंने उत्तराखंड के छठे मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) और बाद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य रहे। वे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी हेमवती नंदन बहुगुणा के सबसे बड़े बेटे हैं। विजय बहुगुणा ने अपने करियर की शुरुआत न्यायपालिका में की और बाद में राजनीति में प्रवेश कियाजहां उन्होंने उत्तराखंड और राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नीचे उनके जीवनशिक्षाकरियर और अन्य पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:

 

 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जन्म और परिवार:

  - विजय बहुगुणा का जन्म 28 फरवरी 1947 को इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज)उत्तर प्रदेश में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

  - उनके पिताहेमवती नंदन बहुगुणाएक स्वतंत्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थेजिन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया था।

  - उनकी माता का नाम कमला बहुगुणा था।

  - उनकी बहनरीता बहुगुणा जोशीभी एक जानी-मानी राजनेता हैंजो उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रह चुकी हैं और बाद में BJP में शामिल हो गईं।

शिक्षा:

  - विजय बहुगुणा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कला स्नातक (B.A.) और कानून में स्नातक (LL.B.) की डिग्री प्राप्त की।

  - उनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जोसेफ कॉलेज (इलाहाबाद)कोल्विन तालुकदार कॉलेज (लखनऊ)और गवर्नमेंट इंटरमीडिएट कॉलेज (इलाहाबाद) में हुई।

 

 व्यक्तिगत जीवन

विवाह और परिवार:

  - विजय बहुगुणा की शादी सुधा बहुगुणा से हुई हैऔर उनके तीन बच्चे हैं: दो बेटे और एक बेटी।

  - उनके सबसे छोटे बेटेसौरभ बहुगुणा, BJP के नेता हैं और उत्तराखंड विधानसभा के सितारगंज (उधम सिंह नगर) निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। उन्होंने 2017 में 50,597 वोटों के साथ जीत हासिल की थी।

रुचियां:

  - विजय बहुगुणा एक उत्साही खिलाड़ी हैं और गोल्फ खेलने के शौकीन हैं।

 

 प्रारंभिक करियर (न्यायपालिका)

वकालत:

  - विजय बहुगुणा ने 24 जनवरी 1969 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकील के रूप में पंजीकरण कराया और मुख्य रूप से सिविल और संवैधानिक मामलों में प्रैक्टिस की।

  - 1986 तक उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की और बाद में सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित हो गए।

  - 41 वर्ष की आयु में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया और उत्तर प्रदेश सरकार के लिए सीनियर काउंसल के रूप में नियुक्त किया गया।

  - उन्होंने अहमदाबाद में बोइंग हवाई दुर्घटना की जांच के लिए पायलट्स एसोसिएशन के वकील के रूप में कार्य किया।

न्यायाधीश:

  - 27 नवंबर 1991 को उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का स्थायी जज नियुक्त किया गया।

  - 27 अप्रैल 1994 को उनका स्थानांतरण बॉम्बे हाई कोर्ट में हुआजहां उन्होंने 15 फरवरी 1995 तक कार्य किया।

  - 1995 में उन्होंने जज के पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में प्रवेश किया।

 

 राजनीतिक करियर

विजय बहुगुणा ने 1998 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और बाद में 2016 में BJP में शामिल हो गए। उनका राजनीतिक सफर निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया जा सकता है:

 

प्रारंभिक राजनीतिक जीवन

लोकसभा चुनाव:

  - 1997 मेंविजय बहुगुणा ने टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहला चुनाव लड़ालेकिन BJP के मनवेंद्र शाह से हार गए।

  - उन्होंने 1998, 1999, और 2004 के लोकसभा चुनावों में भी टिहरी सीट से भाग लियालेकिन सफलता नहीं मिली।

  - 2002 मेंउन्हें एन.डी. तिवारी सरकार में उत्तराखंड राज्य योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया।

  - 2007 मेंटिहरी के महाराज मनवेंद्र शाह की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में विजय बहुगुणा ने उनके बेटे मनुजेंद्र शाह को हराकर टिहरी गढ़वाल सीट से पहली बार लोकसभा में प्रवेश किया।

  - 2009 मेंउन्होंने टिहरी गढ़वाल से फिर से जीत हासिल की और 15वीं लोकसभा में सांसद बने।

 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री कार्यकाल (2012-2014):

  - 13 मार्च 2012 कोविजय बहुगुणा को उत्तराखंड का छठा मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया।

  - उनकी नियुक्ति को लेकर कांग्रेस पार्टी में विवाद हुआक्योंकि हरीश रावत भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे।

  - उनके मंत्रिमंडल में इंदिरा हृदयेश (वित्त और संसदीय कार्य)यशपाल आर्य (राजस्व और आपदा प्रबंधन)और प्रीतम सिंह पंवार (शहरी विकास) जैसे नेता शामिल थे।

  - उनके कार्यकाल में 2013 की उत्तराखंड बाढ़ एक बड़ी चुनौती थी। उनके नेतृत्व में राहत और बचाव कार्यों की व्यापक आलोचना हुईजिसके कारण उनकी लोकप्रियता प्रभावित हुई।

  - 31 जनवरी 2014 कोबाढ़ प्रबंधन की आलोचना और पार्टी के आंतरिक दबाव के कारण उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके बाद हरीश रावत ने 1 फरवरी 2014 को मुख्यमंत्री पद संभाला।

 

BJP में शामिल होना

- 2016 में कांग्रेस से बगावत:

  - 2016 मेंविजय बहुगुणा ने हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत का नेतृत्व किया।

  - उन्होंने नौ अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ BJP में शामिल होने का फैसला कियाजिसके कारण उत्तराखंड में राजनीतिक संकट पैदा हुआ और राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

  - बगावत का कारण हरीश रावत पर खनन और शराब माफिया को बढ़ावा देने का आरोप और सरकार के अल्पमत में होने का दावा था।

  - हरीश रावत ने आरोप लगाया कि BJP ने बहुगुणा को 25 करोड़ रुपये देकर सरकार गिराने की कोशिश कीजिसके जवाब में बहुगुणा ने रावत को मानहानि का नोटिस भेजा।

- BJP में भूमिका:

  - 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में BJP ने उन्हें टिकट नहीं दियालेकिन उनके बेटे सौरभ बहुगुणा को सितारगंज से टिकट देकर जीत हासिल की।

  - 2016 मेंउन्हें BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया।

  - हाल के वर्षों में उनकी राजनीतिक सक्रियता कम रही हैऔर 2024 में कुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया कि BJP ने उन्हें “पन्ना प्रमुख” बनायाहालांकि यह जानकारी आधिकारिक रूप से पुष्ट नहीं है।

 

 विवाद

- 2013 उत्तराखंड बाढ़:

  - विजय बहुगुणा के कार्यकाल में 2013 की उत्तराखंड बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्यों की आलोचना हुई। हरीश रावत ने बाद में दावा किया कि बहुगुणा के आदेश पर खोज अभियान जल्दी बंद कर दिए गएजिसके कारण कई पीड़ितों का पता नहीं चल सका।

- 2016 में कांग्रेस से बगावत:

  - बहुगुणा की अगुवाई में 2016 की बगावत ने उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता पैदा की। हरीश रावत ने उन पर BJP के साथ साठगांठ का आरोप लगाया।

  - बहुगुणा ने दावा किया कि रावत की सरकार अल्पमत में थी और उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दियाजिसके कारण राष्ट्रपति शासन लागू हुआ।

पन्ना प्रमुख विवाद:

  - 2024 मेंकुछ X पोस्ट्स में दावा किया गया कि BJP ने विजय बहुगुणा को “पन्ना प्रमुख” (एक छोटा-सा संगठनात्मक पद) नियुक्त कियाजिसे उनके राजनीतिक पतन के रूप में व्यंग्यात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया। हालांकिइस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।

 

 उपलब्धियां और विरासत

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री:

  - विजय बहुगुणा उत्तराखंड के पहले पूर्व जज थेजो किसी राज्य के मुख्यमंत्री बन गए।

  - उनके कार्यकाल में उत्तराखंड में कई विकास परियोजनाएं शुरू की गईंहालांकि बाढ़ प्रबंधन की आलोचना ने उनकी छवि को प्रभावित किया।

न्यायपालिका में योगदान:

  - उन्होंने इलाहाबाद और बॉम्बे हाई कोर्ट में जज के रूप में और सुप्रीम कोर्ट में वकील के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

लोकसभा सांसद:

  - टिहरी गढ़वाल से दो बार (2007 और 2009) लोकसभा सांसद के रूप में चुने गए।

राजनीतिक विरासत:

  - उनके बेटे सौरभ बहुगुणा ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और वर्तमान में BJP के विधायक हैं।

परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि:

  - हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे प्रभावशाली राजनेता के बेटे होने के कारणविजय बहुगुणा की राजनीति में गहरी पकड़ रही। उनकी बहन रीता बहुगुणा जोशी भी एक प्रमुख राजनेता हैं।

 

 हाल की गतिविधियां

- 2025 में:

  - 14 मई 2025 कोविजय बहुगुणा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उनके आवास पर शिष्टाचार भेंट कीजहां उन्होंने राज्य के समसामयिक मुद्दों पर चर्चा की।

  - 28 फरवरी 2025 कोपुष्कर सिंह धामी ने उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं।

 

 निष्कर्ष

विजय बहुगुणा एक बहुमुखी व्यक्तित्व हैंजिन्होंने न्यायपालिका और राजनीति दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उत्तराखंड के छठे मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल चुनौतीपूर्ण रहाविशेष रूप से 2013 की बाढ़ के कारण। हालांकि 2016 की बगावत और BJP में शामिल होने के बाद उनकी राजनीतिक सक्रियता कम हो गईलेकिन उनकी विरासत उनके बेटे सौरभ बहुगुणा के माध्यम से उत्तराखंड की राजनीति में जारी है। उनकी पृष्ठभूमि और अनुभव उन्हें उत्तराखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण हस्ती बनाते हैंभले ही हाल के वर्षों में उनकी सक्रियता सीमित रही हो।

 

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