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हरेला पर्व| | Harela Festival |हरेला पर्व के बारे में संपूर्ण जानकारी|Complete information about Harela festival.

हरेला पर्व के बारे में संपूर्ण जानकारी|Complete information about Harela festival. 

 हरेला पर्व उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण और पारंपरिक त्यौहार है, जो विशेष रूप से कुमाऊँ क्षेत्र में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति, हरियाली और कृषि से जुड़ा हुआ है और वर्षा ऋतु के आगमन तथा नई फसल के स्वागत का प्रतीक है।


🌿 हरेला का अर्थ और महत्व:

  • "हरेला" शब्द का अर्थ होता है "हरियाली"।

  • यह पर्व श्रावण मास की संक्रांति (16 जुलाई के आसपास) को मनाया जाता है, जिसे श्रावण संक्रांति भी कहते हैं।

  • यह कृषि और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा पर्व है, जिसमें लोग हरियाली के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।

  • हरेला शिव-पार्वती के विवाह की स्मृति में भी मनाया जाता है, इसलिए इसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।


🌱 हरेला पर्व की परंपराएं:

  1. बीज बोना (हरेला उगाना):

    • पर्व से 9 या 10 दिन पहले सात अनाजों (जैसे गेहूं, जौ, धान, मक्का आदि) को मिट्टी में बोया जाता है।

    • इसे घर के आंगन में या लकड़ी की टोकरी में उगाया जाता है।

    • दसवें दिन इन अंकुरित पौधों को काटा जाता है — इन्हें ही "हरेला" कहते हैं।

  2. हरेला का आशीर्वाद:

    • बड़े बुजुर्ग छोटे बच्चों और घर के सदस्यों के सिर पर हरेला रखकर आशीर्वाद देते हैं — "जीते रहो, बढ़ते रहो, फलो-फूलो।"

  3. वृक्षारोपण:

    • अब यह पर्व पर्यावरण जागरूकता से भी जुड़ चुका है। कई जगहों पर स्कूलों, गाँवों, और घरों में पेड़ लगाने की परंपरा भी शुरू की गई है।


📅 कब मनाया जाता है?

  • मुख्य रूप से श्रावण संक्रांति (16 जुलाई के आस-पास) को मनाया जाता है।

  • कुमाऊँ क्षेत्र में तीन बार मनाया जाता है:

    1. चैत्र हरेला (नव संवत्सर पर)

    2. श्रावण हरेला (मुख्य पर्व)

    3. आश्विन हरेला (शरद ऋतु में)


🌸 सांस्कृतिक महत्व:

  • यह पर्व गाँव-घर, कृषि और परिवार की समृद्धि का प्रतीक है।

  • गीत, नृत्य और लोककला के माध्यम से इसे हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

  • लोकगीतों में पर्यावरण, प्रकृति और देवी-देवताओं की स्तुति की जाती है।


हरेला पर्व का इतिहास उत्तराखंड की प्राचीन कृषि संस्कृति, प्रकृति पूजा, और लोक परंपराओं से जुड़ा हुआ है। यह पर्व कुमाऊँ क्षेत्र (जैसे – अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर) और अब गढ़वाल क्षेत्र में भी पर्यावरण संरक्षण और हरियाली का प्रतीक बनकर मनाया जाता है।


🌿 हरेला का इतिहास: एक विस्तृत विवरण

🕉️ 1. पौराणिक संदर्भ:

  • शिव-पार्वती विवाह से जुड़ी एक मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। उसी की स्मृति में हरेला पर्व मनाया जाता है।

  • पर्व के दिन पृथ्वी की हरियाली और उपजाऊ शक्ति की पूजा की जाती है। इसे धरती माता की उपासना भी माना जाता है।


🌾 2. कृषि आधारित इतिहास:

  • उत्तराखंड एक कृषि प्रधान राज्य रहा है। यहाँ वर्षा ऋतु में नई फसल बोई जाती है।

  • हरेला पर्व नवीन कृषि चक्र की शुरुआत का प्रतीक है। किसान इस पर्व को अच्छी फसल के लिए शुभ संकेत मानते हैं।

  • बीजों को बोना और हरे अंकुरों को देखना, भविष्य की समृद्ध फसल का संकेत माना जाता है।


🌳 3. लोकसंस्कृति और परंपरा में स्थान:

  • यह पर्व सदियों से परिवार, समाज और प्रकृति के सामंजस्य को दिखाता है।

  • लोकगीतों में हरेला का सुंदर चित्रण होता है, जैसे:

    "लागु हरेला, लागु देवधारा,
    फुलु फले उttarayakhanda ko sansara..."

  • परिवार के बुजुर्ग घर के बच्चों को हरेला लगाकर आशीर्वाद देते हैं।


🌍 4. पर्यावरणीय दृष्टिकोण (आधुनिक काल):

  • पहले हरेला केवल हरियाली और फसल से जुड़ा था, लेकिन अब यह पर्व वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण आंदोलन का हिस्सा बन चुका है।

  • उत्तराखंड सरकार और विभिन्न संस्थाएं हर साल हरेला पर्व पर लाखों पौधे लगाती हैं।

  • यह पर्व अब "हरियाली का त्योहार" बन गया है जो क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग जैसे मुद्दों के समाधान से भी जुड़ा है।


🗓️ 5. ऐतिहासिक मान्यता:

  • इतिहासकार मानते हैं कि हरेला पर्व की शुरुआत कत्युरी राजाओं के समय से हुई थी, जो कुमाऊँ क्षेत्र में शासन करते थे।

  • उनके काल में प्राकृतिक पूजन को राजकीय संरक्षण प्राप्त था। हरेला पर्व को सामूहिक उत्सव के रूप में मनाया जाता था।


हरेला पर्व पर पर्यावरण, हरियाली और सांस्कृतिक चेतना को जागरूक करने के लिए कई सुंदर और प्रेरणादायक नारे (Slogans) बोले जाते हैं। नीचे कुछ लोकप्रिय और नए बनाए गए हरेला के नारे दिए गए हैं:


हरेला पर्व के प्रमुख नारे (Slogans on Harela Festival)

🌿 "हरेला आए हरियाली लाए, पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ!"

🌱 "धरती का श्रृंगार हैं पेड़, हरेला पर करें उपहार ये पेड़!"

🌿 "हरियाली है जीवन की जान, आओ मिलकर करें वृक्षारोपण!"

🌱 "हरेला पर्व की यही पुकार, पेड़ लगाना हम सबका अधिकार!"

🌿 "पेड़ बचाओ, पेड़ लगाओ – हरेला पर्व को सफल बनाओ!"

🌱 "हरेला पर्व की यही है पहचान, हरियाली से बढ़ेगी शान!"

🌿 "जहाँ पेड़, वहाँ प्राण – यही है हरेला का सच्चा सम्मान!"

🌱 "वृक्ष लगाओ, जीवन पाओ – हरेला का संदेश अपनाओ!"

🌿 "पेड़ लगाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे – हरेला पर्व को सार्थक बनाएंगे!"


🌿 हरेला आया, हरियाली लाया 🌿

(कविता)

हरेला आया, खुशियाँ लाया,
हरियाली का उपहार लाया।
धरती मुस्काई, अम्बर छाया,
पेड़ों ने फिर गीत सुनाया।

बीजों से जीवन झाँक रहा है,
धरती माँ को नमन कर रहा है।
कृषक बोए उम्मीद की फसलें,
हरी-भरी हों जीवन की रस्सलें।

घर आँगन में बोए अंकुर,
हरियाली से हों सब सुंदर।
बुजुर्ग लगाएँ माथे पर टीका,
आशीर्वादों का हो सच्चा संगीत।

पेड़ लगाओ, प्रकृति बचाओ,
हरेला पर्व का मान बढ़ाओ।
जल, जंगल, ज़मीन बचाएँ,
प्रकृति से हम प्रेम निभाएँ।

रेला है संस्कार हमारा,

हरियाली से जीवन प्यारा।





हरेला पर्व के प्रेरणादायक स्लोगन

🌿 1. "हरेला पर्व मनाएं, हरियाली अपनाएं!"
🌱 2. "हर एक घर में वृक्ष लगाओ, हरेला पर्व सफल बनाओ!"
🌿 3. "हरेला है प्रकृति का त्योहार, पेड़ लगाओ बार-बार!"
🌱 4. "धरती बोले हरियाली लाओ, पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ!"
🌿 5. "हरेला आए, खुशहाली लाए!"
🌱 6. "बचपन से सिखाओ ये ज्ञान, पेड़ हैं जीवन का आधार!"
🌿 7. "पेड़ लगाना है महान, यही है हरेला का संदेश महान!"
🌱 8. "हरेला पर्व का यही संदेश – वृक्ष लगाओ, जीवन रचो विशेष!"
🌿 9. "वृक्ष लगाओ, धरती बचाओ – हरेला पर्व मनाओ!"
🌱 10. "पेड़ हैं प्रकृति की शान, आओ करें इनका सम्मान!"


🌿 हरेला पर्व पर नारे (Naray on Harela Festival)

1️⃣ "हरेला है हरियाली का त्योहार, वृक्ष लगाकर करें सत्कार!"
2️⃣ "पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ – हरेला पर्व का संदेश फैलाओ!"
3️⃣ "हरेला लाए हरियाली की बहार, वृक्षारोपण करें बार-बार!"
4️⃣ "धरती माँ को दो उपहार, लगाओ पेड़ हर बार!"
5️⃣ "पेड़ बचाओ – पानी बचाओ – धरती को फिर से हरा बनाओ!"
6️⃣ "हरेला पर्व की यही पुकार – पर्यावरण से करो प्यार!"
7️⃣ "हरेला पर्व है प्रकृति का मान, आओ मिलकर करें इसका सम्मान!"
8️⃣ "हर आँगन हो हरियाली से हरा, यही है हरेला का सच्चा नारा!"
9️⃣ "पेड़ हैं जीवन का आधार – हरेला पर करें इनका सत्कार!"
🔟 "हरियाली से है जीवन प्यारा – हरेला पर्व दो प्रकृति को सहारा!"



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