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दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे: मुख्य जानकारी| Delhi-Dehradun Expressway: Key details

 

 दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे: मुख्य जानकारी| Delhi-Dehradun Expressway: Key details|


दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारत की राजधानी दिल्ली को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से जोड़ना और यात्रा के समय को कम करना है। यह परियोजना न केवल यात्रियों की सुविधा के लिए है, बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक विकास, पर्यटन, और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भी डिज़ाइन की गई है। नीचे इस एक्सप्रेसवे के बारे में संपूर्ण जानकारी और इसके उद्देश्य दिए गए हैं:

 

 दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे: मुख्य जानकारी

1. लंबाई और मार्ग:

   - कुल लंबाई: लगभग 210 किलोमीटर।

   - मार्ग: यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के बागपत, बड़ौत, शामली, और सहारनपुर होते हुए देहरादून तक जाता है। यह गणेशपुर, मोहंद, और आशारोड़ी जैसे क्षेत्रों से भी गुजरता है।

   - लेन: यह 6 से 12 लेन का एक्सप्रेसवे है, जिसमें कुछ हिस्सों में विस्तार की संभावना है।

 

2. यात्रा समय में कमी:

   - वर्तमान में दिल्ली से देहरादून की यात्रा में 6.5 घंटे से अधिक समय लगता है, जो इस एक्सप्रेसवे के चालू होने के बाद घटकर 2.5 से 3 घंटे रह जाएगा।

   - दूरी भी 235-258 किलोमीटर से घटकर लगभग 180-213 किलोमीटर हो जाएगी।

 

3. निर्माण चरण:

   - एक्सप्रेसवे को चार चरणों में बनाया जा रहा है:

     - पहला चरण: अक्षरधाम से ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे तक (32 किमी), जो लगभग पूरा हो चुका है।

     - दूसरा चरण: बागपत से सहारनपुर तक (118 किमी), जिसका कुछ हिस्सा खुल चुका है।

     - तीसरा चरण: सहारनपुर से देहरादून तक।

     - चौथा चरण: गणेशपुर से देहरादून तक (20 किमी), जिसमें 12 किमी लंबा एलिवेटेड वन्यजीव कॉरिडोर शामिल है।

   - निर्माण प्रगति: 93% काम पूरा हो चुका है, और जुलाई-अगस्त 2025 तक पूरे एक्सप्रेसवे के चालू होने की उम्मीद है।

 

4. लागत:

   - परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 13,000 करोड़ रुपये है।

 

5. उद्घाटन:

   - पहले चरण का उद्घाटन अप्रैल 2025 तक संभावित है, जबकि पूर्ण परियोजना जुलाई-अगस्त 2025 में जनता के लिए खुल सकती है।

   - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन की संभावना है।

 

6. विशेषताएं:

   - एलिवेटेड वन्यजीव कॉरिडोर: यह एक्सप्रेसवे राजाजी नेशनल पार्क से गुजरता है, जहां 12 किमी लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया गया है, जो एशिया का सबसे बड़ा वन्यजीव कॉरिडोर है। यह वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव-जानवर टकराव को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

   - सुरंग: मोहंद में एक 340 मीटर लंबी सुरंग बनाई गई है।

   - आधुनिक सुविधाएं: प्रत्येक 25-30 किमी पर रेस्ट स्टॉप्स, आपातकालीन सेवाएं, रेस्तरां, और पेट्रोल पंप।

   - स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम: उच्च सुरक्षा मानकों और सेंसर आधारित तकनीक का उपयोग, जो ध्वनि प्रदूषण को कम करता है।

   - डाटकाली मंदिर फ्लाईओवर: देहरादून में डाटकाली मंदिर के लिए एक विशेष क्रॉस फ्लाईओवर बनाया जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा होगी।

   - प्रकृति के नजारे: पहाड़ों और जंगलों से गुजरने वाली सड़क यात्रियों को प्राकृतिक दृश्यों का आनंद देगी।

 

7. पर्यावरणीय उपाय:

   - वन्यजीवों के लिए विशेष कॉरिडोर और सेंसर-आधारित लाइट्स जो प्रकाश को जंगल में फैलने से रोकती हैं।

   - भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की सलाह पर पर्यावरणीय मानकों का पालन।

 

8. टोल शुल्क:

   - दिल्ली सीमा के अंदर एक्सप्रेसवे का उपयोग टोल-मुक्त होगा।

   - टोल शुल्क की आधिकारिक जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसे किफायती रखने की योजना है।

 

 उद्देश्य

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के निर्माण के पीछे निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य हैं:

1. यात्रा समय में कमी:

   - दिल्ली और देहरादून के बीच यात्रा समय को 6.5 घंटे से घटाकर 2.5-3 घंटे करना, जिससे यात्रियों को सुविधा हो।

 

2. आर्थिक विकास:

   - पश्चिमी उत्तर प्रदेश (बागपत, शामली, सहारनपुर) और उत्तराखंड के क्षेत्रों में व्यापार, माल ढुलाई, और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना।

   - स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार।

 

3. पर्यटन को बढ़ावा:

   - देहरादून, मसूरी, ऋषिकेश, और हरिद्वार जैसे पर्यटन स्थलों तक पहुंच को आसान बनाना, जिससे उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा मिले।

 

4. पर्यावरण संरक्षण:

   - वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एलिवेटेड कॉरिडोर और सुरंग का निर्माण, जो इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच संतुलन बनाए रखता है।

 

5. ट्रैफिक जाम से राहत:

   - दिल्ली, गाजियाबाद, और लोनी जैसे क्षेत्रों में ट्रैफिक जाम को कम करना, जिससे स्थानीय और लंबी दूरी के यात्रियों को लाभ हो।

 

6. आधुनिक बुनियादी ढांचा:

   - भारत के सड़क नेटवर्क को आधुनिक और सुरक्षित बनाना, जिसमें स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम और यात्री सुविधाएं शामिल हैं।

 

 प्रभाव और लाभ

- पर्यटकों के लिए: मसूरी, ऋषिकेश, और हरिद्वार जैसे स्थानों तक तेज और आरामदायक यात्रा।

- व्यापारियों के लिए: सहारनपुर और देहरादून के व्यापारियों को दिल्ली से जोड़कर कारोबार में सुविधा।

- स्थानीय लोगों के लिए: बागपत, शामली, और सहारनपुर जैसे क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और विकास में सुधार।

- रोज़गार सृजन: परियोजना से संबंधित निर्माण और रखरखाव कार्यों से रोजगार के अवसर।

- पर्यावरणीय लाभ: वन्यजीव संरक्षण के लिए विशेष उपाय, जैसे एलिवेटेड कॉरिडोर और सेंसर-आधारित तकनीक।

 

 चुनौतियां और समस्याएं

- कुछ क्षेत्रों में जमीन अधिग्रहण और स्थानीय किसानों की समस्याएं, जैसे बागपत में चक मार्ग बंद होने की शिकायतें।

- तकनीकी कमियों और सुरक्षा ऑडिट के कारण उद्घाटन में देरी।[]

- डाटकाली मंदिर क्षेत्र में फ्लाईओवर निर्माण के कारण कुछ हिस्सों का उद्घाटन मार्च-अप्रैल 2025 तक टल गया।

 

 वर्तमान स्थिति (जुलाई 2025 तक)

- परियोजना का 93% काम पूरा हो चुका है, और जुलाई-अगस्त 2025 में पूर्ण उद्घाटन की उम्मीद है।

- एनएचएआई और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परियोजना की प्रगति की समीक्षा की है, और इसे समय पर पूरा करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।

 

 निष्कर्ष

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे भारत के सबसे आधुनिक और महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं में से एक है। यह न केवल दिल्ली और देहरादून के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा, बल्कि पर्यटन, व्यापार, और क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा देगा। पर्यावरण संरक्षण के साथ आधुनिक तकनीक का समन्वय इस परियोजना को विशेष बनाता है।


 

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