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मोनिशा कल्टेनबोर्न |
मोनिशा कल्टेनबोर्न: फार्मूला वन की पहली महिला टीम प्रिंसिपल का प्रेरणादायक सफर
मोनिशा कल्टेनबोर्न का नाम जब भी लिया जाता है, तो वह केवल एक महिला के रूप में नहीं, बल्कि एक अग्रणी और प्रेरणास्पद नेतृत्वकर्ता के रूप में याद की जाती हैं, जिन्होंने पुरुष-प्रधान मोटरस्पोर्ट उद्योग में अपनी अलग पहचान बनाई। भारतीय मूल की इस ऑस्ट्रियाई नागरिक ने फार्मूला वन जैसे ग्लैमर और तकनीकी दक्षता से भरपूर खेल में एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। इस लेख में हम उनके जीवन, करियर, संघर्षों और उपलब्धियों का संपूर्ण विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
मोनिशा कल्टेनबोर्न का जन्म 10 मई 1971 को भारत के लखनऊ शहर में हुआ था। वह एक पंजाबी परिवार से संबंधित हैं। जब वह केवल आठ साल की थीं, तो उनका परिवार भारत से ऑस्ट्रिया चला गया। उनके माता-पिता ने बेहतर जीवन और शिक्षा की संभावनाओं के लिए यह निर्णय लिया।
मोनिशा ने अपने बचपन का अधिकांश समय ऑस्ट्रिया में बिताया और वहीं पर उन्होंने शिक्षा प्राप्त की। उनका पालन-पोषण एक बहुसांस्कृतिक माहौल में हुआ, जिसने उनमें दोनों भारतीय और यूरोपीय मूल्यों का समावेश किया।
शिक्षा
मोनिशा ने ऑस्ट्रिया में स्कूलिंग पूरी करने के बाद, University of Vienna से लॉ (कानून) में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने London School of Economics से इंटरनेशनल लॉ में मास्टर डिग्री (LL.M.) की।
उनकी शिक्षा का कानूनी क्षेत्र से जुड़ाव और वैश्विक दृष्टिकोण उन्हें एक बहुपरिस्थितीय करियर की ओर ले गया, जो आगे चलकर मोटरस्पोर्ट जैसे जटिल और प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में उनकी सफलता का आधार बना।
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मोनिशा कल्टेनबोर्न |
प्रारंभिक करियर
शिक्षा पूर्ण करने के बाद, मोनिशा ने कुछ समय के लिए United Nations Industrial Development Organization (UNIDO) और Friedrich Schiller University Jena जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम किया। बाद में वह Fritz Kaiser Group नामक एक वित्तीय और कानूनी परामर्श कंपनी से जुड़ गईं, जो फॉर्मूला वन टीम 'Sauber' के सह-मालिकों में से एक थी।
यहीं से उनकी फॉर्मूला वन की दुनिया में एंट्री हुई।
Sauber टीम के साथ शुरुआत
1998 में मोनिशा कल्टेनबोर्न ने 'Sauber Formula One Team' से जुड़ाव शुरू किया। प्रारंभ में उन्होंने टीम की कानूनी मामलों की देखरेख की, लेकिन समय के साथ उन्होंने प्रबंधन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी प्रतिभा और समर्पण को देखते हुए टीम प्रबंधन ने उन्हें 2000 में ‘Head of Legal Department’ बना दिया।
कुछ वर्षों के भीतर, उन्होंने टीम में अपनी सशक्त भूमिका को स्थापित कर लिया। वह न केवल कानूनी सलाहकार रहीं, बल्कि रणनीतिक निर्णयों में भी उनकी भागीदारी बढ़ने लगी।
टीम प्रिंसिपल बनना: एक ऐतिहासिक क्षण
2010 में Sauber टीम के संस्थापक Peter Sauber ने टीम को वापस खरीदने का निर्णय लिया और तब उन्होंने मोनिशा कल्टेनबोर्न को CEO (Chief Executive Officer) नियुक्त किया। यह उस समय का एक ऐतिहासिक निर्णय था क्योंकि फार्मूला वन के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा था कि किसी महिला को इस स्तर पर नियुक्त किया गया हो।
2012 में जब पीटर साबर ने रिटायरमेंट लिया, तब मोनिशा कल्टेनबोर्न को Team Principal बना दिया गया — और वे बनीं Formula One की पहली महिला Team Principal।
यह न केवल उनके लिए बल्कि पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्पद क्षण था।
फार्मूला वन में नेतृत्व
मोनिशा के नेतृत्व में Sauber टीम ने कई तकनीकी और रणनीतिक सुधार किए। हालांकि टीम को फॉर्मूला वन की टॉप टीमों जैसे Ferrari या Mercedes के बराबर संसाधन नहीं मिलते थे, फिर भी उनकी रणनीतियों और निर्णयों ने Sauber को एक प्रतिस्पर्धी टीम के रूप में बनाए रखा।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
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2012 में Kamui Kobayashi और Sergio Pérez जैसे ड्राइवरों के साथ शानदार परफॉर्मेंस।
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Sauber को वित्तीय संकट से उबारने में अहम भूमिका।
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महिला नेतृत्व के महत्व को मोटरस्पोर्ट जैसी पुरुष प्रधान दुनिया में स्थापित करना।
संघर्ष और चुनौतियाँ
उनका कार्यकाल बिना संघर्षों के नहीं रहा। वित्तीय चुनौतियाँ, प्रायोजकों की कमी और FIA के साथ नीतिगत मुद्दे उन्हें लगातार जूझने पड़े। 2015 और 2016 के बीच टीम गंभीर आर्थिक संकट में आ गई थी।
इसके बावजूद, मोनिशा ने टीम को स्थिर बनाए रखा और नए निवेशकों की सहायता से टीम को उबारने की कोशिश की।
लेकिन अंततः 2017 में जब Sauber टीम को Longbow Finance ने खरीदा, तो मोनिशा को टीम से हटना पड़ा। इस निर्णय को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ थीं।
Sauber के बाद जीवन
Sauber से अलग होने के बाद मोनिशा ने KDC Racing नामक एक रेसिंग टीम की सह-स्थापना की जो जूनियर सिंगल सीटर रेसिंग में प्रतिभावान ड्राइवरों को प्रशिक्षण देती है। यह उनके लिए एक नया अध्याय था, जहाँ वे भविष्य की पीढ़ियों को तैयार करने में योगदान दे रही हैं।
साथ ही, वह कई मोटरस्पोर्ट संगठनों और बोर्ड्स का हिस्सा रही हैं और महिलाओं को मोटरस्पोर्ट में प्रोत्साहित करने के अभियानों से जुड़ी रही हैं।
महिला सशक्तिकरण और वैश्विक पहचान
मोनिशा कल्टेनबोर्न को विश्व स्तर पर एक trailblazer (पथप्रदर्शक) माना जाता है। उन्होंने न केवल मोटरस्पोर्ट में महिलाओं की भूमिका को नई ऊँचाई दी, बल्कि यह भी साबित किया कि नेतृत्व और प्रबंधन केवल लिंग पर निर्भर नहीं करता।
उन्होंने कई मंचों पर महिलाओं की भागीदारी को लेकर भाषण दिए हैं, और महिला इंजीनियरों, मैनेजरों और रेसिंग उत्साही युवतियों के लिए एक आदर्श बन चुकी हैं।
पुरस्कार और सम्मान
मोनिशा को उनके योगदान के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया है:
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Top 100 Most Influential Women in Sport
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Motorsport Industry Association Award
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महिला नेतृत्व और STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यशालाओं की संचालनकर्ता
व्यक्तिगत जीवन
मोनिशा ऑस्ट्रिया में पली-बढ़ी हैं, लेकिन उनके भारतीय जड़ें आज भी उनके व्यक्तित्व में झलकती हैं। वह ऑस्ट्रियाई नागरिक हैं और उन्होंने एक जर्मन नागरिक से विवाह किया है। उनके दो बच्चे हैं।
अपने पेशेवर जीवन के अलावा, मोनिशा को पढ़ना, यात्रा करना और क्लासिकल म्यूजिक सुनना पसंद है।
निष्कर्ष
मोनिशा कल्टेनबोर्न का जीवन एक प्रेरणास्पद गाथा है — एक भारतीय मूल की महिला जो यूरोप में पली-बढ़ी, जिसने फार्मूला वन जैसे कठिन क्षेत्र में न केवल खुद को स्थापित किया, बल्कि एक इतिहास रच दिया। उन्होंने साबित किया कि साहस, शिक्षा, समर्पण और नेतृत्व किसी भी क्षेत्र में सफलता की कुंजी हो सकते हैं।
उनका सफर उन सभी युवतियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो किसी भी क्षेत्र में अपना मुकाम बनाना चाहती हैं।
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