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अजीत कुमार डोभाल: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का जीवन, रणनीति और योगदान| Ajit Kumar Doval: Life, Strategy and Contribution of India's National Security Advisor

Ajit Kumar Doval: Life, Strategy and Contribution of India's National Security Advisor



अजीत कुमार डोभाल: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का जीवन, रणनीति और योगदान

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने में कुछ ऐसे व्यक्तित्व होते हैं जो पर्दे के पीछे रहकर देश को सुरक्षित रखते हैं। अजीत कुमार डोभाल, ऐसे ही एक असाधारण खुफिया अधिकारी, रणनीतिकार और वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) हैं, जिन्होंने भारत की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा रणनीति को एक नया आयाम दिया है।


🔹 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि:

अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को घिंडी, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) में हुआ था। वे एक गढ़वाली ब्राह्मण परिवार से आते हैं। उनके पिता श्री गोविंद बल्लभ डोभाल भारतीय सेना में एक जूनियर अफसर (Subedar Major) थे।

शिक्षा:

उन्होंने अजमेर मिलिट्री स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद अग्रेजी साहित्य में स्नातक किया। फिर उन्होंने अगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। वे आईएएस की जगह भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए चुने गए और 1968 बैच के केरल कैडर के IPS अधिकारी बने।


🔹 खुफिया सेवाओं में अद्वितीय करियर

IB (Intelligence Bureau) में सेवा:

डोभाल ने अपने IPS करियर का अधिकांश हिस्सा इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में बिताया, जहाँ उन्होंने लगभग 33 वर्षों तक सेवा की। उन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियानों में विशेष विशेषज्ञता हासिल की।

जासूसी अभियानों की विशेषताएं:

  • उन्होंने पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • पूर्वोत्तर भारत में विद्रोहियों के विरुद्ध कई गुप्त मिशन चलाए।

  • 1988 में मिजोरम के विद्रोही संगठन को हथियार डालने के लिए राजी किया।

पाकिस्तान में गुप्त मिशन:

डोभाल ने पाकिस्तान में सात वर्षों तक एक गुप्त एजेंट के रूप में काम किया, जहाँ वे भारतीय नागरिक नहीं बल्कि एक पाकिस्तानी मुस्लिम बनकर रह रहे थे। यह एक ऐतिहासिक मिशन था जो भारतीय खुफिया सेवा की कार्यक्षमता का प्रमाण बन गया।


🔹 ऑपरेशन ब्लू स्टार और स्वर्ण मंदिर में भूमिका

1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद, स्वर्ण मंदिर में आतंकियों का कब्जा फिर से हो गया था। तब डोभाल भेष बदलकर एक पंजाबी तीर्थयात्री बनकर मंदिर में घुसे और खालिस्तानी आतंकवादियों की गतिविधियों पर जानकारी एकत्र की। इस आधार पर भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लैक थंडर (1988) सफलतापूर्वक चलाया।


🔹 कारगिल युद्ध और कश्मीर में योगदान

1999 के कारगिल युद्ध के दौरान, डोभाल ने पाकिस्तान के आतंकी समूहों के इरादों की जानकारी पहले ही इकट्ठा कर ली थी। इसके अलावा, उन्होंने कश्मीर में कई आतंकवादी समूहों को भारत समर्थक बनाने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने ऐसे कमांडरों को प्रभावित किया जो बाद में भारत सरकार से समझौता करने पर सहमत हुए।


🔹 मालदीव संकट (1988) में भूमिका

1988 में मालदीव में विद्रोह होने पर भारत ने ऑपरेशन कैक्टस शुरू किया। उस समय डोभाल ने वहां मौजूद स्थिति की गहराई से जानकारी लेकर ऑपरेशन को रणनीतिक सफलता दिलाई। यह भारत के बाह्य सामरिक दबदबे की शुरुआत का प्रतीक बना।


🔹 रिटायरमेंट के बाद की भूमिका

विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन:

2009 में रिटायरमेंट के बाद डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन से जुड़े, जहाँ उन्होंने रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर रिसर्च और लेखन कार्य किया। उन्होंने चीन, पाकिस्तान और साइबर सुरक्षा पर कई नीतिगत सुझाव सरकार को दिए।


🔹 राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के रूप में नियुक्ति

2014 में नियुक्ति:

2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद अजीत डोभाल को भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया गया। वे NSA बनने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं। इससे पहले यह पद सेना या विदेश सेवा के अधिकारियों को दिया जाता था।


🔹 NSA के रूप में प्रमुख उपलब्धियाँ

1. सर्जिकल स्ट्राइक (2016):

29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक किया। इस ऑपरेशन की योजना और निगरानी अजीत डोभाल और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने की थी।

2. बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019):

पुलवामा हमले के बाद, 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप पर एयर स्ट्राइक किया। इस पूरे मिशन की रणनीति और क्रियान्वयन में डोभाल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।

3. डोकलाम स्टैंडऑफ (2017):

भारत और चीन के बीच डोकलाम में बढ़ते तनाव के समय डोभाल ने चीनी NSA से बातचीत कर टकराव को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया

4. कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने की रणनीति:

2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले डोभाल ने कई बार कश्मीर का दौरा किया, सुरक्षा एजेंसियों से बैठक की और रणनीति बनाई। उन्होंने स्थानीय लोगों से बातचीत भी की ताकि शांति बनी रहे।


🔹 व्यक्तिगत विशेषताएं और कार्यशैली

  • डोभाल को एक "साइलेंट ऑपरेटर" कहा जाता है जो बिना प्रचार के बड़े निर्णय लेते हैं।

  • उन्हें "भारतीय जेम्स बॉन्ड" भी कहा गया है।

  • उनकी रणनीतियों में राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है।

  • वे राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रहते हैं और निष्पक्ष निर्णयकर्ता माने जाते हैं।


🔹 पुरस्कार और सम्मान

  • कीर्ति चक्र (भारत का दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, जो आमतौर पर सेना को मिलता है)

  • यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले पुलिस अधिकारी बने।


🔹 प्रमुख कथन

“भारत की सुरक्षा सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा नहीं, बल्कि एक विचार की सुरक्षा है।”
— अजीत डोभाल


🔹 आलोचना और विवाद

हालांकि डोभाल को एक कुशल रणनीतिकार माना जाता है, लेकिन कई बार उन्हें उनके "रियलपॉलिटिक" दृष्टिकोण के लिए आलोचना का सामना भी करना पड़ा। जैसे:

  • कश्मीर में इंटरनेट बंद करने की रणनीति

  • मानवाधिकारों पर कुछ निर्णय

लेकिन इन निर्णयों को उन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा को सर्वोच्च रखते हुए लिया।


🔹 निष्कर्ष

अजीत डोभाल भारत के उन चुनिंदा व्यक्तित्वों में से एक हैं जिन्होंने एक पुलिस अधिकारी से लेकर भारत के सबसे शक्तिशाली रणनीतिकार बनने तक का सफर तय किया। उनके अनुभव, साहस और निर्णायक नेतृत्व ने भारत की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा को मजबूत बनाया है।

उनका जीवन हर भारतीय युवा के लिए एक प्रेरणा है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो राष्ट्र सेवा के क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहते हैं।


🔚 अंत में

आज जब भारत को बहुआयामी खतरों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे समय में डोभाल जैसे नेतृत्वकर्ता भारत को सुरक्षित रखने की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण, विवेक और नीतिगत दृष्टिकोण भविष्य में भी देश को मार्गदर्शन देता रहेगा।



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