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मुरली मनोहर जोशी: राष्ट्रवादी चिंतन और भारतीय राजनीति का एक प्रखर व्यक्तित्व |Murli Manohar Joshi: A strong personality of nationalist thinking and Indian politics

Murli Manohar Joshi: A strong personality of nationalist thinking and Indian politics



🟠 मुरली मनोहर जोशी: राष्ट्रवादी चिंतन और भारतीय राजनीति का एक प्रखर व्यक्तित्व

🔸 प्रस्तावना

भारत के राजनीतिक इतिहास में कुछ ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने न केवल संसद के गलियारों में बल्कि शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना के क्षेत्र में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है। डॉ. मुरली मनोहर जोशी एक ऐसा ही नाम है जो भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) और शिक्षा नीति में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। वह विचारशील नेता, विद्वान, प्रोफेसर और कट्टर राष्ट्रवादी के रूप में पहचान रखते हैं।


🔸 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

मुरली मनोहर जोशी का जन्म 5 जनवरी 1934 को नैनीताल (तत्कालीन संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत) में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका परिवार उत्तराखंड के अल्मोड़ा क्षेत्र से संबंध रखता है। बचपन से ही उनका झुकाव अध्ययन और राष्ट्रवादी विचारधारा की ओर था।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल में पूरी की और बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में स्नातक किया। उन्होंने यहीं से भौतिक विज्ञान में एम.एससी. किया और इसके बाद एक शोधवृत्ति के तहत कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय से Ph.D. प्राप्त की।


🔸 शैक्षणिक करियर

डॉ. जोशी एक अत्यंत योग्य प्रोफेसर रहे हैं। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग में प्राध्यापक के रूप में नियुक्त हुए थे। उनकी शिक्षा और अध्यापन के प्रति गहरी रुचि थी, जो आगे चलकर उन्हें एक ऐसे शिक्षा मंत्री के रूप में उभारती है, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध था।


🔸 राजनीतिक जीवन की शुरुआत

उनका राष्ट्रवादी विचारधारा की ओर झुकाव उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखाओं तक ले गया। वह युवावस्था से ही संघ के स्वयंसेवक रहे और यहीं से उनका राजनीतिक मार्ग प्रशस्त हुआ।

1950 के दशक में वे भारतीय जनसंघ से जुड़े, जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी में बदल गया। जनसंघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के माध्यम से उन्होंने छात्रों के बीच कार्य किया।


🔸 आपातकाल और गिरफ्तारी

1975 में जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित किया, तब वह उन प्रमुख विपक्षी नेताओं में से थे, जिन्होंने उसका पुरज़ोर विरोध किया। वे मीसा कानून के अंतर्गत गिरफ़्तार हुए और जेल भेजे गए। यह घटना उनके राजनीतिक जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।


🔸 भारतीय जनता पार्टी में भूमिका

1980 में जब भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ, तब मुरली मनोहर जोशी इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे बीजेपी के वैचारिक आधार के निर्माण में अहम भूमिका निभाने लगे। उन्होंने संगठन, नीति निर्धारण और विचारधारा के स्तर पर पार्टी को मजबूत किया।

वे 1991 से 2004 तक लगातार लोकसभा सदस्य रहे। 1992 में उन्होंने भारतीय राजनीति को नई दिशा देने वाले एकता यात्रा का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय ध्वज फहराना था।


🔸 एकता यात्रा (Ekta Yatra – 1991-92)

डॉ. जोशी ने जनवरी 1992 में कश्मीर के आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्रों में भारत का झंडा फहराने का संकल्प लिया। उन्होंने कन्याकुमारी से लेकर श्रीनगर तक की यात्रा की और 26 जनवरी 1992 को लाल चौक (श्रीनगर) में राष्ट्रीय ध्वज फहराया।

यह यात्रा उस समय देश में राष्ट्रवाद की भावना और अलगाववाद के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विजय मानी गई। इस यात्रा ने उन्हें पार्टी और जनता में अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया।


🔸 केंद्र सरकार में मंत्री पद

➤ मानव संसाधन विकास मंत्री (1998–2004)

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जब भाजपा सत्ता में आई, तो डॉ. जोशी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD) का प्रभार सौंपा गया। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में भारतीय मूल्यों और संस्कृति को जोड़ने पर जोर दिया।

उपलब्धियाँ:

  • एनसीईआरटी (NCERT) की पुस्तकों में पाठ्यक्रमों को भारतीय दृष्टिकोण से पुनर्लेखन कराया।

  • संस्कृत और भारतीय परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं शुरू कीं।

  • तकनीकी शिक्षा के विस्तार के लिए IITs और IIMs के नेटवर्क को मजबूत किया।

  • सरस्वती योजना, विद्या भारती जैसी शिक्षण संस्थाओं को समर्थन मिला।

➤ विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री

इसके अतिरिक्त, उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा ओशन डेवलपमेंट विभाग का कार्यभार भी सौंपा गया। उन्होंने भारत की तकनीकी प्रगति को वैश्विक मंच पर आगे बढ़ाने में योगदान दिया।


🔸 विवाद और आलोचना

उनके कार्यकाल के दौरान कुछ विवाद भी हुए:

  • पाठ्यक्रमों में बदलाव को लेकर उन्हें "सैफ्रोनाइज़ेशन" (भगवाकरण) का आरोप झेलना पड़ा।

  • वैज्ञानिक सोच के स्थान पर धार्मिक संस्कृति को शिक्षा में आगे बढ़ाने के आरोप लगाए गए।

  • उनके समर्थन में यह तर्क दिया गया कि भारतीय परंपरा और गौरव को शिक्षा में स्थान देना आवश्यक था।


🔸 विचारधारा और दर्शन

डॉ. जोशी भारतीय परंपरा, संस्कृति और सनातन मूल्यों के प्रबल समर्थक रहे हैं। उनका मानना रहा है कि भारत को एक आत्मनिर्भर, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और वैचारिक रूप से स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विकसित होना चाहिए।

वे हिंदुत्व के सांस्कृतिक पक्ष को लेकर मुखर रहे हैं और हमेशा भारतीयता को प्राथमिकता देने की वकालत करते आए हैं। उनका विश्वास रहा है कि शिक्षा और विज्ञान दोनों का उपयोग राष्ट्र के निर्माण में होना चाहिए।


🔸 पुरस्कार और सम्मान

  • लोकसभा के वरिष्ठतम सांसदों में से एक के रूप में सम्मानित।

  • RSS और ABVP द्वारा कई बार उनके कार्यों को सराहा गया।

  • अनेक विश्वविद्यालयों द्वारा मानद डिग्रियां और पुरस्कार प्राप्त हुए।


🔸 पुस्तकें और लेखन

डॉ. जोशी एक विचारशील लेखक भी हैं। उन्होंने कई विषयों पर लेख और भाषण दिए हैं:

  • भारतीय शिक्षा प्रणाली

  • विज्ञान और तकनीकी विकास

  • राष्ट्रवाद और राजनीति

  • संस्कृति और सनातन परंपरा

उनके विचार और भाषण आज भी अनेक राजनीतिक और अकादमिक मंचों पर उद्धृत किए जाते हैं।


🔸 निजी जीवन

मुरली मनोहर जोशी का जीवन सादगी और आदर्शों से भरा हुआ रहा है। वे एक पारिवारिक व्यक्ति हैं। उनकी पत्नी, बच्चों और पारिवारिक जीवन के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं है क्योंकि उन्होंने निजी जीवन को राजनीति से अलग रखा।


🔸 वर्तमान स्थिति

2024 तक, वे सक्रिय राजनीति से धीरे-धीरे दूर हो चुके हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी और संघ के विचारधारा के एक मार्गदर्शक पुरुष के रूप में माने जाते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में वे आज भी सम्मान के पात्र हैं।


🔸 निष्कर्ष

डॉ. मुरली मनोहर जोशी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचार हैं। उन्होंने भारतीय राजनीति, शिक्षा, राष्ट्रवाद और संस्कृति को एक दिशा देने का कार्य किया है। उनका जीवन उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो राष्ट्र सेवा, शिक्षा और आदर्शों को प्राथमिकता देना चाहते हैं।

उनकी राष्ट्रनिष्ठा, विद्वता और सादगी उन्हें भारतीय राजनीति के एक युगद्रष्टा के रूप में स्थापित करती है।



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