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उत्तराखंड में तत्कालीन शराब नीति क्या है|कोई व्यक्ति अपने घर अधिकतम कितनी शराब की बोतल ले जा सकता है| चुनाव के दौरान शराब नीति क्या कहती है | पुलिस द्वारा कौन सी धाराएं लगाई जा सकती | चुनाव में शराब बांटना – Representation of the People Act, 1951 के अंतर्गत |What is the current liquor policy in Uttarakhand? How many bottles of liquor can a person take home? What does the liquor policy say during elections? Which sections can be imposed by the police? Distributing liquor during elections – under the Representation of the People Act, 1951

 




🧾 1. नीति का उद्देश्य और राजस्व लक्ष्य

  • आबकारी नीति‑2025 लागू की गई ताकि मद्यनिषेध की भावना (संवेदनशीलता) का सम्मान करते हुए अधिकतम राजस्व प्राप्त किया जा सके (Uttarakhand Broadcast)।

  • वित्तीय वर्ष 2025‑26 के लिए ₹5,060 करोड़ का राजस्व लक्ष्य रखा गया है (Amar Ujala)।

  • वर्ष 2023‑24 में लक्ष्य ₹4,000 करोड़ के मुकाबले ₹4,038.69 करोड़ की प्राप्ति हुई; वर्ष 2024‑25 में ₹4,439 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष लगभग ₹4,000 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ (Amar Ujala)।


🚫 2. धार्मिक स्थलों के पास शराब दुकानों पर प्रतिबंध

  • सरकार ने निर्णय लिया है कि धार्मिक स्थलों के पास शराब की सभी दुकानों के लाइसेंस रद्द किए जाएँगे (Navbharat Times, Asianet News Hindi)।

  • नीति की समीक्षा में इस प्रावधान को सामाजिक संवेदनशीलता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है (Uttarakhand Broadcast)।

  • इसके तहत संबंधित आबकारी अधिकारियों को सम्बंधित दुकानों को स्थायी रूप से बंद करने का आदेश जारी किया गया है (Dainik Bhaskar)।




🏪 3. उप‑दुकानों एवं मेट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था समाप्त

  • नीति में उप‑दुकानों (sub‑shops) का प्राविधान समाप्त कर दिया गया है, जिससे शराब व्यवसाय अधिक पारदर्शी हो सके (Uttarakhand Broadcast)।

  • मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था भी पूरी तरह हटा दी गई है ताकि अनियमित व्यापार रोका जा सके (Uttarakhand Broadcast)।


💵 4. ओवररेटिंग पर सख्त कार्रवाई (MRP उल्लंघन)

  • नीति में स्पष्ट प्रावधान है कि यदि कोई दुकान एमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब बेचती है, तो उसका लाइसेंस तत्काल रद्द किया जाएगा (upuklive website)।

  • यह सुविधा डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं की रक्षा होगी (Uttarakhand Raibar)।


👤 5. स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता एवं रोजगार प्रोत्साहन

  • थोक शराब लाइसेंस (bulk liquor licences) केवल उत्तराखंड के स्थायी निवासी ही प्राप्त कर पाएंगे, जिससे स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे (upuklive website, ETRetail.com)।

  • आवेदन प्रक्रिया, लॉटरी, पहली‑पहुँच‑पहली‑सेवा (first arrival first serve), और अधिकतम दर प्रस्ताव जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से लाइसेंस आवंटित किए जाएंगे (Uttarakhand Raibar)।



6. स्थानीय कृषि एवं बागवानी उत्पादों को बढ़ावा

  • पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट प्रदान की जाएगी; विशेष रूप से जो स्थानीय फलों से वाइन बनाती हैं (upuklive website, Uttarakhand Raibar)।

  • माल्ट और स्प्रिट उद्योगों को विशेष सुविधाएं दी जाएंगी ताकि उनमें निवेश बढ़े और रोजगार सृजन हो सके (upuklive website)।

  • निर्यात शुल्क में कटौती के माध्यम से मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित किया गया है (upuklive website)।


🛠️ 7. पारदर्शिता एवं नियमावली

  • नवीनीकरण और लाइसेंस आवंटन की प्रक्रिया 7 मार्च से 16 मार्च 2025 तक निर्धारित की गई; खाली पड़े लाइसेंस आवंटन के लिए लॉटरी 22‑24 मार्च तक की गई थी (Gaurav News)।

  • नीति पूरी तरह पारदर्शी और जवाबदेह प्रक्रिया प्रदान करती है, जिसमें आवेदन, मूल्य प्रस्ताव (MSO), और लॉटरी शामिल हैं (Dainik Bhaskar)।


🧠 8. मिशन ‘Responsible Drinking’ जागरूकता अभियान

  • नीति में जनसाधारण को शराब के दुष्प्रभावों से अवगत करने वाले व्यापक अभियान की व्यवस्था की गई है, ताकि समाज में जिम्मेदार शराब सेवन की भावना उजागर हो सके (Uttarakhand Raibar)।


📅 9. लागू तिथि और प्रगति

  • नीति को मार्च 2025 में मंजूरी दी गई और 7 मार्च से आवंटन प्रक्रिया शुरू की गई (Navbharat Times, Gaurav News)।

  • मई 2025 तक संबंधित जिलों में धार्मिक स्थलों के आसपास की दुकानों को स्थायी रूप से बंद करने के निर्देश जारी कर दिए गए थे (Navbharat Times)।


🧷 संक्षिप्त सारांश तालिका

प्रावधान मुख्य उद्देश्य
धार्मिक स्थलों पर बंदी सामाजिक संवेदनशीलता को कायम रखना
उप‑दुकानों की समाप्ति बिक्री में पारदर्शिता सुनिश्चित करना
ओवररेटिंग पर कार्रवाई उपभोक्ता संरक्षण के लिए MRP का अनुपालन सुनिश्चित करना
स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता स्थानीय रोजगार और आर्थिक समर्थन
कृषि आधारित वाइनरी को छूट बागवानी एवं किसानों को बेहतर आय का अवसर
पारदर्शी लाइसेंस प्रक्रिया भ्रष्टाचार और अनियमितता से दूर व्यापार
जागरूकता अभियान शराब के दुष्प्रभावों से समाज को अवगत करना



कोई व्यक्ति अपने घर अधिकतम कितनी शराब की बोतल ले जा सकता है

उत्तराखंड में घर पर अधिकतम कितनी शराब रखी जा सकती है—इसका उत्तर वर्तमान आबकारी नीति (Excise Policy 2023–24/2025–26) के आधार पर नीचे दिया गया है:


🍾 1. घर में बिना लाइसेंस अधिकतम कितनी शराब रखी जा सकती है?

चूंकि उत्तराखंड की आबकारी नीति में व्यक्तिगत होम-बार लाइसेंस (mini‑bar licence) की व्यवस्था है, इसलिए बिना लाइसेंस किसी व्यक्ति या घर में शराब रखने की स्वीकृत मात्रा बहुत सीमित है।

वर्तमान में, पॉलिसी के अनुसार:

  • बिना लाइसेंस के व्यक्ति अधिकतम 9 लीटर Indian Made Foreign Liquor (IMFL) (लगभग 12 बोतल × 750 ml),

  • 18 लीटर विदेशी मदिरा,

  • 9 लीटर वाइन,

  • और 15.6 लीटर बीयर तक रख सकता है—लेकिन इसके लिए वार्षिक ₹12,000 शुल्क और ₹50,000 गारंटी अनिवार्य है (Amar Ujala, The Indian Express)।


🎫 2. होम-बार लाइसेंस के साथ अनुमति प्राप्त मात्रा

यदि कोई व्यक्ति गारंटी और आयकर दस्तावेज दिखाकर होम-बार लाइसेंस प्राप्त कर लेता है, तब उसे निम्नलिखित मात्रा तक घर पर शराब रखने की अनुमति मिलती है:

  • IMFL (भारतीय स्कॉच, व्हिस्की आदि): 9 लीटर (लगभग 12 बोतल × 750 ml)

  • Importेड (विदेशी) शराब: 18 लीटर (लगभग 24 बोतल × 750 ml)

  • वाइन: 9 लीटर

  • बीयर: 15.6 लीटर
    इसके अतिरिक्त शर्तें:

    • केवल निजी उपयोग के लिए,

    • किसी वाणिज्यिक गतिविधि (पार्टी, बेचने) की अनुमति नहीं,

    • सूचित ड्राई‑डे (निर्धारित अवकाशों पर शराब नहीं रखी जा सकती),

    • 21 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्तियों को परिसर में प्रवेश नहीं करना चाहिए (Amar Ujala)।


📊 सारांश – सबसे ज़्यादा अनुमत मात्रा (लाइसेंसधारी)

मदिरा का प्रकार अधिकतम मात्रा (±)
Indian-made Foreign Liquor 9 लीटर (~12 बोतल × 750 ml)
Foreign/imported Liquor 18 लीटर
Wine 9 लीटर
Beer 15.6 लीटर

इन सीमाओं से ऊपर शराब रखने के लिए होम-बार लाइसेंस और गारंटी अनिवार्य है।


🚫 लाइसेंस के बिना शराब रखने पर्यंत सीमा

फिलहाल, नीति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि कोई भी हो सकता है कि बिना लाइसेंस 9 लीटर IMFL तक रख सके, लेकिन अगर कोई IMFL से अधिक रखता है (जैसे विदेशी शराब, बीयर या वाइन), तो उस पर लाइसेंस अनिवार्य माना जाएगा।

लाइसेंस के बिना सुरक्षित सीमा:

  • IMFL: 9 लीटर,

  • अन्य मदिरा: अपेक्षाकृत सीमित या नहीं स्पष्ट, अत: लाइसेंस ले लेना बेहतर




⚖️ उल्लंघन के दायित्व

यदि कोई व्यक्ति निर्दिष्ट मात्रा से अधिक शराब रखता है:

  • पुलिस या आबकारी विभाग कार्रवाई कर सकता है,

  • ₹2,000 तक का जुर्माना,

  • आईपीसी धारा के तहत दंड,

  • लाइसेंसधारी के लिए, यदि MRP से अधिक मूल्य पर शराब बेची जाती है, तो लाइसेंस रद्द भी हो सकता है (Hindustan Times, Reddit)।


⚖️ ध्यान रखने योग्य अन्य पूर्व की जानकारी

उत्तर प्रदेश की नीति भी इसी तरह से चल रही थी, जिसमें:

  • 6 लीटर प्रति व्यक्ति से अधिक रखने पर लाइसेंस अनिवार्य,

  • वार्षिक शुल्क ₹12,000 और ₹51,000 सुरक्षा राशि अपेक्षित थी।

उत्तराखंड की नीति 2023–24 से इस क्रम को और व्यवस्थित बना रही है।


चुनाव के दौरान शराब नीति क्या कहती है

चुनाव के दौरान उत्तराखंड में शराब से संबंधित आबकारी नियम और मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) निम्न प्रमुख प्रावधानों द्वारा तय होते हैं:


🗳️ 1. ड्राई डे (प्रतिबंधित दिन)

लागू अवधि:

  • विधानसभा एवं लोक सभा चुनाव से 48 घंटे पहले से लेकर मतदान समाप्ति तक,

  • साथ ही मतगणना (Counting Day) के दिन भी शराब की बिक्री पूरी तरह से बंद होती है (Jagran)।

क्या बंद रहेगा:

  • सभी शराब की दुकानें,

  • होटल, रेस्टोरेंट, बार,

  • निजी संस्थान व भवन में शराब बेचना भी निषिद्ध रहेगा (Jagran)।

मुख्य उद्देश्य:

  • मतदाता प्रभावित होने से रोका जा सके,

  • चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और शांतिपूर्ण रहे।


2. प्रत्यक्ष प्रवर्तन और जब्ती

  • जैसे ही MCC लागू होता है, आबकारी विभाग, पुलिस, आयकर विभाग सहित 20+ एजेंसियां निगरानी में सक्रिय हो जाती हैं (Amar Ujala)।

  • कई जिलों में सरकारी कार्रवाई के तहत बड़ी मात्रा में शराब, नकदी और ड्रग्स जब्त की गई हैं:

    • उदाहरणस्वरूप, 12 दिनों में ₹63 लाख की शराब, ₹1.5 करोड़ की ड्रग बरामद हुई थी (Amar Ujala)।

  • ULB चुनावों (Urban local body) से पहले, MCC लागू होने पर ₹32 लाख से अधिक शराब जब्त हो चुकी थी (लगभग 8000 लीटर) (The Times of India)।




3. कानून प्रवर्तन माहौल

  • आवेदनकर्ता ईएसएमएस (Election Seizure Management System) के माध्यम से सीज़र की निगरानी करते हैं—हर एजेंसी अपनी कार्रवाई उस सिस्टम में दर्ज करती है और चुनाव आयोग व राज्य CEO इसकी समीक्षा करते हैं (Amar Ujala)।

  • यदि किसी ने शराब बेची या तस्करी की हो, तो License cancellation, चालान, या आईपीसी न्यायालयीन कार्रवाई भी संभव है।


⚖️ चुनावकालीन नियमों का सारांश

प्रावधान विवरण
ड्राई डे मतदान से 48 घंटे पूर्व से मतदान समाप्ति तक और गणना के दिन शराब की विक्री पूरी तरह बंद
बाजार निगरानी सभी दुकानों, बार, होटल, निजी संस्थानों को बंद रखने का आदेश
जब्ती एवं छापेमारी MCC लागू होते ही भारी मात्रा में शराब, नकदी व ड्रग्स जब्त
समन्वित कार्यवाही आबकारी, पुलिस, आयकर एजेंसियां मिलकर कार्रवाई करती हैं
सीज़र प्रबंधन विषय संबंधित कार्रवाई को ESMS सिस्टम पर दर्ज किया जाता है

चुनाव के दिन से पहले कितनी बोतल अपने घर गाड़ी में ले जा सकता है

चुनाव के दौरान गाड़ी में शराब ले जाने से संबंधित बहुत सख्त नियम होते हैं, जो चुनाव आयोग के Model Code of Conduct (MCC) और राज्य की आबकारी नीति पर आधारित होते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि चुनाव के दिन से पहले पुलिस शराब क्यों जब्त करती है, और आपको क्या करना चाहिए ताकि आप परेशानी से बच सकें।


🧾 1. चुनाव से पहले शराब जब्त क्यों होती है?

कारण:

चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होता है कि:

  • मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए शराब का वितरण न हो।

  • किसी भी पार्टी या व्यक्ति द्वारा शराब का उपयोग वोट खरीदने में न किया जाए।

इसलिए चुनाव की तारीख घोषित होते ही, पुलिस और उड़नदस्ते (Flying Squads) सक्रिय हो जाते हैं और हर गाड़ी, ढाबा, दुकान, गोदाम, घर आदि की सघन जांच करते हैं।


🚫 2. चुनाव से कितने दिन पहले शराब ले जाना/रखना प्रतिबंधित होता है?

अवधि नियम
मतदान से 48 घंटे पहले (अर्थात ड्राई डे) शराब की बिक्री, वितरण, भंडारण और परिवहन पूरी तरह प्रतिबंधित
चुनाव की घोषणा से लेकर मतदान तक शराब ले जाते वक्त परमिट/बिल/लाइसेंस आवश्यक है
  • अगर आपके पास वैध परमिट या होम बार लाइसेंस नहीं है, तो आपकी शराब जब्त की जा सकती है।

  • चुनाव के दौरान सिर्फ निर्धारित मात्रा में शराब ले जानी या रखी जा सकती है।


🛑 3. बिना परमिट या अधिक मात्रा में शराब रखने पर क्या होता है?

स्थिति कार्रवाई
गाड़ी में शराब है, लेकिन बिल नहीं शराब जब्त, FIR दर्ज, वाहन सीज हो सकता है
मात्रा सीमा से अधिक शराब इसे मतदाता को प्रभावित करने की मंशा माना जाएगा
ड्राई डे के दौरान शराब ले जाना आबकारी अधिनियम व MCC उल्लंघन, जेल/जुर्माना दोनों संभव

📊 4. कितनी शराब ले जाना/रखना सुरक्षित है?

श्रेणी मात्रा (उत्तराखंड में) शर्त
IMFL (Indian Made Foreign Liquor) 9 लीटर बिना लाइसेंस
Foreign liquor 18 लीटर Home Bar लाइसेंस आवश्यक
बीयर 15.6 लीटर Home Bar लाइसेंस आवश्यक
वाइन 9 लीटर Home Bar लाइसेंस आवश्यक

⚠️ ड्राई डे के दौरान यह भी अवैध हो जाता है।


🚔 5. पुलिस आपकी गाड़ी क्यों रोकती है?

  • चुनाव आयोग ने सभी जिलों को निर्देश दिए होते हैं कि शराब, नकदी और हथियारों की जांच की जाए।

  • सीसीटीवी कैमरों, चेक पोस्ट और उड़नदस्तों की मदद से गाड़ियों को रोका जाता है।

  • बिल नहीं होने पर वह माल जब्त किया जाता है, भले ही वह शराब 1 या 2 बोतल ही क्यों न हो।




✅ 6. सुरक्षित क्या है?

  • शराब कभी भी गाड़ी में खुले रूप में न रखें

  • खरीद की रसीद (Invoice) साथ रखें।

  • यदि चुनाव अवधि चल रही है, तो शराब ले जाना पूरी तरह से टालें

  • ड्राई डे में शराब न घर में रखें, न गाड़ी में।


📚 निष्कर्ष

स्थिति क्या करें
चुनाव से पहले शराब खरीदना है बिल लें, तय सीमा में रखें
गाड़ी में शराब ले जा रहे हैं बिल साथ रखें, मात्रा सीमित हो
मतदान से 48 घंटे पहले शराब न रखें, न ले जाएं
गाड़ी चेकिंग हो रही है सहयोग करें, वैध कागज दिखाएं

पुलिस द्वारा कौन सी धाराएं लगाई जा सकती है।

बिल्कुल, चुनाव के दौरान शराब जब्ती और वितरण के संदर्भ में भारतीय न्याय संहिता (Indian Penal Code, IPC) की तीन महत्वपूर्ण संहिताएँ (Sections) हैं, जिन्हें चुनावी अपराधों (electoral offences) में लागू किया जाता है। इनमें शराब वितरण के माध्यम से मतदाताओं को प्रभावित करने संबंधी अपराध शामिल हैं।


📚 IPC की तीन प्रमुख संहिताएँ (Election‑related)

1. Section 171B – Bribery (दलबाज़ी)

  • यदि कोई व्यक्ति गतिविधि या वस्तु (शराब, नकद, उपहार) देकर मतदाता को मतदान करने या न करने के लिए प्रभावित करने का प्रयास करता है, तो यह bribery माना जाता है।

  • चुनाव के दौरान यदि शराब वितरित की जाती है, तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है।
    — यह अपराध चुनाव आयोग के Model Code of Conduct के उल्लंघन के साथ-साथ IPC के तहत आता है।
    (The Hindu)

सजा: Section 171E के तहत – अधिकतम 1 साल की सजा, जुर्माना, या दोनों।
(A Lawyers Reference, indiacases.com)


2. Section 171F – Undue Influence or Personation (अनुचित प्रभाव या मतदाता की नकल)

  • अगर कोई व्यक्ति मतदाता को धमकी देकर, बहकाकर, भय दिखाकर मतदान हेतु प्रभावित करता है, तो इस सेक्शन के तहत अपराध माना जाता है।

  • शराब वितरण को कई बार मतदाताओं को प्रभावित करने की रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यह व्यवस्था लागू हो सकती है।
    (A Lawyers Reference, A Lawyers Reference)

सजा: अधिकतम 1 साल की जेल या जुर्माना या दोनों।
(A Lawyers Reference)


3. Section 171H – Illegal Payments in Connection with an Election (चुनाव से जुड़ा अवैध भुगतान)

  • यदि कोई व्यक्ति उम्मीदवार से लिखित अनुमति के बिना चुनाव प्रचार या सार्वजनिक बैठक आदि के लिए खर्च करता है—जैसे सार्वजनिक भोजन, शराब, भंडारे आदि—तो यह अपराध होता है।

  • चुनाव से ठीक पहले शराब बांटना या मुफ्त वितरण illegal payment माना जाता है।
    (A Lawyers Reference)

सजा: अधिकतम ₹500 जुर्माना, कारावास की सजा नहीं।
(A Lawyers Reference, indiacases.com)


🔍 इन धाराओं का चुनावी संदर्भ (शराब जब्ती के दौरान)

परिस्थिति लागू धारा कारण
मतदाता को शराब देकर प्रभावित करना Section 171B यह सीधे bribery (दलबाज़ी) बनता है
धमकी, भय, प्रलोभन के जरिये मतदाता नियंत्रण करना Section 171F Undue Influence के अंतर्गत
चुनाव प्रचार या सभा में अनुमति से अधिक शराब खर्च Section 171H Illegal payment माना जाएगा

🗳️ MCC (Model Code of Conduct) से जुड़ा नियम

  • चुनाव घोषणा होते ही MCC लागू हो जाता है, जिसमें मतदान से पहले 48 घंटे और वोटिंग डे पर शराब वितरण पूर्ण रूप से निषिद्ध होता है।

  • इस स्थिति में पकड़ी गई शराब को illegal inducement माना जाता है, और उपर्युक्त IPC Sections के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है।
    (The Hindu, Hindustan Times, drishtijudiciary.com)


🔒 पुलिस द्वारा कार्रवाई में धाराओं का इस्तेमाल

  • पुलिस FIR दर्ज कर सकती है अगर शराब वितरण या स्टॉकिंग चुड़ाने वाले उद्देश्य के साथ हो।

  • तलाशी और जब्ती के दौरान वह इन IPC Sections का हवाला दे सकती है।

  • उदाहरण: किसी वाहन में भारी मात्रा में शराब पाए जाने पर जवाबदेही स्पष्ट होती है—मतदाता प्रभावित करने का संदेह होने पर Section 171B/171F लागु होते हैं।


🧠 निष्कर्ष

  • Section 171B – शराब/गतिविधि के ज़रिए मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए।

  • Section 171F – धमकी या अनुचित प्रभाव से मतदान प्रभावित करने के लिए।

  • Section 171H – चुनाव से जुड़े खर्चों में बिना अनुमति शराब बांटना।

Representation of the People Act, 1951 (जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951) चुनावों से जुड़ी एक मुख्य क़ानूनी व्यवस्था है जो भारत में चुनावों की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है। इसके तहत कई प्रावधान हैं जो चुनावों के दौरान शराब वितरण, मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश, रिश्वत, धमकी, या गैरकानूनी गतिविधियों को गंभीर अपराध मानते हैं।

यहां हम इस अधिनियम के महत्वपूर्ण सेक्शनों को चुनाव के दौरान शराब वितरण और मतदाता प्रभावित करने के संदर्भ में विस्तार से समझेंगे:


🔍 चुनाव में शराब बांटना – Representation of the People Act, 1951 के अंतर्गत

🔸 Section 123 – Corrupt Practices (भ्रष्ट आचरण)

इस सेक्शन के अंतर्गत चुनाव के दौरान शराब, पैसा, या अन्य लालच देकर मतदाता को प्रभावित करने की कोशिश करना "भ्रष्ट आचरण" (corrupt practice) माना जाता है।

इसमें क्या आता है:

  • किसी व्यक्ति को शराब, पैसा, भोजन, कपड़े या अन्य कोई वस्तु देना ताकि वह विशेष उम्मीदवार को वोट दे या न दे।

  • शराब बांटना "Treating" के अंतर्गत आता है।

📌 "Treating" का अर्थ:
किसी उम्मीदवार द्वारा या उसके behalf पर मुफ्त भोज, शराब आदि देना।

सज़ा:

  • यदि कोई उम्मीदवार या उसका एजेंट इस धारा के तहत दोषी पाया गया तो उसका चुनाव रद्द किया जा सकता है

  • साथ ही 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लग सकता है (Disqualification under Section 8A)।


🔸 Section 125 – Promoting Enmity (घृणा फैलाना)

हालांकि यह सेक्शन मुख्य रूप से धर्म, जाति, भाषा आदि के नाम पर घृणा फैलाने को लेकर है, परंतु यदि कोई शराब वितरण के साथ विशेष समुदाय को लक्षित कर रहा हो, तो यह धारा भी लग सकती है।


🔸 Section 135C – Liquor Sale Prohibition near Poll Day

इस धारा के अनुसार:

  • चुनाव से 48 घंटे पहले और मतदान के दिन, किसी भी राज्य में शराब की बिक्री, वितरण या सार्वजनिक रूप से सेवन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होता है।

📌 इसे Dry Day कहा जाता है।

  • यह चुनाव आयोग के Model Code of Conduct (MCC) और राज्य आबकारी अधिनियमों के अनुसार होता है।

उल्लंघन करने पर:

  • शराब जब्त की जाती है।

  • गिरफ्तारी संभव।

  • IPC और RPA दोनों के तहत केस चल सकता है।


🛑 यदि गाड़ी से शराब ले जा रहे हों:

  • चुनाव के दौरान वाहन से शराब ले जाना भी संदेहास्पद माना जाता है, खासकर:

    • यदि मात्रा निजी सीमा से अधिक हो

    • वाहन पर कोई बिल/परमिट नहीं हो

    • शराब सील बंद नहीं हो

ऐसे मामलों में:

  • पुलिस RPA की Section 123, 135C और IPC की Section 171B, 171F आदि के तहत FIR दर्ज कर सकती है

  • वाहन ज़ब्त, चालक की गिरफ्तारी और चुनाव आयोग को रिपोर्ट दी जा सकती है।


🔒 अतिरिक्त धाराएँ (Representation of People Act के अंतर्गत):

सेक्शन उद्देश्य
Section 8 आपराधिक मामलों में दोषी व्यक्ति को चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराना
Section 8A भ्रष्ट आचरण (जैसे शराब वितरण) पर चुनाव आयोग द्वारा अयोग्यता की घोषणा
Section 77 उम्मीदवार के चुनाव खर्च की सीमा में शराब का वितरण शामिल नहीं किया गया तो अयोग्यता
Section 136 चुनाव अपराधों के लिए दंड

✅ निष्कर्ष

मुद्दा संबंधित धाराएँ
चुनाव के दौरान शराब बांटना RPA Section 123 (Treating), IPC 171B
मतदान से 48 घंटे पहले शराब वितरण RPA Section 135C
शराब देकर वोट मांगना RPA Section 123(1) – Corrupt Practice
दोषी पाए जाने पर Section 8A – Disqualification up to 6 years

📌 चुनाव आयोग की सख्ती

  • चुनाव आयोग इन प्रावधानों के तहत flying squads और surveillance teams लगाता है।

  • शिकायतों के आधार पर तुरंत कार्रवाई होती है।

  • उम्मीदवार की उम्मीदवारी तक रद्द की जा सकती है।


Source :- ChatGPT 

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