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गढ़वाली पहेली |Garhwali puzzle

गढ़वाली पहेली |Garhwali puzzle

स्युण भैलो कु बम बम,

बांज-काफल ग्यानूं कम।
छ्याड़ लछ्यां चुल्हा रम,
कख ल्यौ चौं बम बम बम?

उत्तर: चूल्हा (चूल्हे में आग की आवाज़)

 


कालू घोड़ा, पींठी सवारी,
घड़ी-घड़ी उड़ी जां फुलवारी।

उत्तर: कौआ

 


एक ऐसो बिचारो,
न बासो, न बाऱो।
तिन दिन कै पाहुना,
फेर चलि ग्यो अपणा धाम।

उत्तर: चंद्रग्रहण / सूर्यग्रहण

 


बिना पैरा कै जोतूं खेत,
बिन माटी के ऊगूं फसल।

उत्तर: दिमाग (विचार)

 


आगि बिनां बले बत्ती,
छांयां बिना होय परछाईं।

उत्तर: बिजली (Electric Light)

 


दिन भर रोई, रात भर जागी,
ना कुछ खाई, ना कुछ पी।
फिर भी सब कै मन भांई।

उत्तर: दीया (दीपक)


ओनां घोड़ा बगड़ि गयो,
न टांग, न पूंछ।
थै के चुकचुक चालु रै,
बिना धुंआ, बिना धूप।

उत्तर: रेलगाड़ी


छोटि सी छ्यां, किलकिल बोली,
भोजन देखि ताली गोली।

उत्तर: बच्चा


ठूलू घर, बिनु खंभा,
भित्रूं झांकी देखूं चमचम।

उत्तर: टेलीविज़न


छा बट्टा, छा पाणी,
बणिगे बिन पती।

उत्तर: चाय

 

सफैण धागो, रंग-बिरंगा, पिला, नीलो, लाल; घर काटा पर न लगे, पर सिर पे सबको चाल।
उत्तर: टोपी / पगड़ी

 

ऊँची चोटी, न घास न फूल, सिर पर बर्फ, दिल में ठंडक बड़ी; देखे सब देवता, सदा खड़े कड़ी।
उत्तर: पहाड़ (पहाड़ी चोटियाँ)

 

न बाँह न पैर, घन्टा बाँजे, गली-गली में खबर लाए।
उत्तर: घंटी / दुश्मन (सन्देश) — यहाँ सामान्य उत्तर: घंटी/घोषणा

 

रात में सोए, दिन में जागे; बिना पाँव के दौड़े, बिना हाथ के लड़े।
उत्तर: समय / घड़ी

 

न घर न घाट, न देवर न सास, फेर भी घर-घर में आती और सबको भात पचास।
उत्तर: आग / आग (रसोई)

 

एक झोली सुई-सी, पर सूत नहीं आये; खाए बिन बचन देवे, पानी बिन प्यास बुझाये।
उत्तर: रोटी / चावल (यहाँ संकेत है: रोटी — या अन्न/भोजन)

 

ऊपर चढ़े परतु नीचे दिखे, सूरज से बोले पर सूरज न सुने।
उत्तर: परछाई (साया)

 

एक घर अनेक दरवाज़े, पर कोई बाहर नहीं; हर कोने में दीखै एक छोटा राजा।
उत्तर: शहद का छत्ता / मधुमक्खी का छत्ता

 

न मुंह न आँख, पर सब बोलै; न हाथ न पैर, पर सब काम करै।
उत्तर: किताब / शब्द (यहाँ संकेत: किताब/अक्षर)

 

सवेरे जन्मे, शाम ढले मरै; पर लोग उसे बचाने को टपक-टपक कर लड़े।
उत्तर: मोमबत्ती / दीपक

 

नीला है पर पानी नहीं, ऊपर रहता पर उड़ता नहीं; रात में चमके पर दिन में छिपे।
उत्तर: चाँद / नीलम (यहाँ: चाँद/तारों में से कोई — सामान्य: चाँद)

 

छोटी-सी टोकरी, अंदर अनगिनत आँखें; काटे फिर भी हँसे, मीठा रस सबको दे।
उत्तर: आम/फल (यहाँ: अनार/आम—संदर्भ फल पर निर्भर; सामान्य उत्तर: अनार)

 

काला मुंह, सफैण दांत, दिन-रात करे बस चब-चब-चबांत।
उत्तर: ओखली-मूसल

ऊपर से पीला, भीतर से सफैण; जे खाँवो वो कखै न भैंण।
उत्तर: केला

 

ना टांग, ना हाथ, पर घर-घर घूमी; एक बाड़ में बंद, पर सबको छू मी।
उत्तर: हवा

 

पानी में जन्म, पानी में रहै; बिना पानी के मरै।
उत्तर: मछली

 

न हाथ, न पैर, न कान, न नाक; पर जगे तो हड़कंप मचाक।
उत्तर: आग

 

एक थैली में अनगिनत बियाण, खाए तो मीठो लगै, पर काटण में जी जलै।
उत्तर: मिर्च

 

दिन भर चालै, रात भर चालै; पर जगह से कभी न हिलै।
उत्तर: घड़ी

 

न माँ, न बाप, न भाई, न बहन; पर हर घर में है इसका वतन।
उत्तर: दीपक

 

पानी बिना पोहै, बिना आग पके; कच्चा खा, पक्का खा, हर कोई चखे।
उत्तर: दूध

 

ऊपर से हरा, भीतर से लाल; मीठो रस, बियाण बेमिसाल।
उत्तर: तरबूज

 

पैर नहीं, पर भागे बहुत तेज; कान नहीं, पर सुने सब भेद।
उत्तर: हवा

 

एक बक्सा, सौ ताले; बिना चाबी सब खुले।
उत्तर: अंडा

 

जंगल का राजा, बिना जंगल; घर में बंधा, करता दंगल।
उत्तर: बैल

 

ऊँचा पेड़, न पत्ता न डाल, पर सबको छाँव दे रोज़ अठाल।
उत्तर: छाँवदार पत्थर / चट्टान (या बड़ा पेड़ — सामान्य: चट्टान)

 

न घर में ताला, पर सब चीज़ रखे; खोलो तो मिले, बंद करो तो निकले।
उत्तर: पेटी / संदूक (या द्वार/दरवाज़ा — पर सही सामान्य: संदूक/पेटी)

 

एक देह लंबी, पर न आँख न कान; पर सबका मन vrol करै, रस का सामान।
उत्तर: बाज़ार/हाट (या फलवाला — संकेत: फल/फलवाला)

 

सुबह-सुबह सफ़ेद चादर ओढ़े, पर सूरज आते ही गायब हो जावे।
उत्तर: ओस / कुहरा (सही: ओस/कुहरा)

 

न आँख, न कान, पर सब कुछ बताय; न मुंह, पर गीत सुनाय।
उत्तर: रेडियो / मोबाइल (सामान्य: रेडियो)

 

एक छतरी, पर बारिश न रोके; हर घर में लगे, पर खिड़की न बोले।
उत्तर: परदा / परदा (दरी)

 

दो छोटे हाथ, बड़ा काम करै; धान-पत्थर सब उठाय सदा बरसात।
उत्तर: बैलगाड़ी / हाथी (सन्दर्भ: बैल/बैलगाड़ी)

 

लाल-लाल बिलकुल, अंदर अमृत का रस; काटते ही बिखरे, मिठास की मस्ती पस।
उत्तर: आम / अनार (संदर्भ के अनुसार: आम)

 

रात-रात जागे, दिन में सोये; पर घर उजालो करै, अँधेरा भागाये।
उत्तर: दीपक/लैंप

 

न रूप न रंग, पर बिन इसके न रोटी पकै; गर्मी दे पर पिघल न जाय।
उत्तर: चूल्हा / आग (सही: आग/चूल्हा)

 

एक कुआँ बिना पानी, पर हर मन भीतर डाल दे; सूखा हो जाये तो सब रोये।
उत्तर: यादें/याद (काव्यात्मक) — (या नदी का सूखा होना)

 

छोटी-छोटी पाँव, पर घर-घर जाए; बिना बोले सबको खबर दे।
उत्तर: चिट्टी/पत्र (या डाकिया) — (सामान्य: डाक/पत्र)

 

ऊपर से सख्त, अंदर से मीठा; जे खाए मुँह मचलै; मौसम में खूब चले हर मीठा।
उत्तर: शरीफा/खजूर/नाशपाती (क्षेत्र अनुसार) — सरल: खजूर/फल

 

न तरवार न तलवार, पर कटे काट दे; न नदी न खड्ड, पर सबको बाट दे।
उत्तर: क्षुधा/भूख (कवितात्मक: भूख) — (या किरदार: दरार/चाकू)

 

एक बालक आता, पर बड़ा बनकर चलता; सबको जोड़ दे, फिर अलग कर दे पल में।
उत्तर: स्कूल / पढ़ाई (या समय/विकास — संकेत: बच्चाविकास/पढ़ाई)

 

एक घर में सौ दरवाजे, सब खोल दे हवा; पर कोई भीतर न जाय, बस रोशनी आवा।
उत्तर: खिड़की

 

न हाथ, न पाँव, पर रसोई में करत धरम; दिन-रात पेट भरे सबका पर खुद न खा धरम।
उत्तर: बर्तन / कढ़ाई

 

लाल-लाल फूल, पर खुशबू न दे; खाने में आये, पर बाग में न मिले।
उत्तर: टमाटर

 

ऊँचा-ऊँचा, सीधा-सीधा; पत्ता न डाली, बस डंडा पीला।
उत्तर: बांस

 

माथा सफैण, तन हरा; सब्जी में काम, स्वाद खरा।
उत्तर: मूली

 

ना मुंह, ना कान, पर बातें करे; पास लाओ तो मीठा-मीठा गुनगुन करे।
उत्तर: मधुमक्खी

 

एक पेट में हज़ार आँखें, मीठा रस; काटो तो छींटे, सब जगह बस।
उत्तर: अनार

 

काला बदन, सफैण दांत; दिन भर करे चब-चब-चबांत।
उत्तर: ओखली-मूसल

 

कभी गोल, कभी लंबा; रंग भी बदलै, पर स्वाद वही खरा।
उत्तर: ककड़ी

 

न घर, न घाट, पर घर-घर का साथी; परसात में भी चले, सूखे में भी हाथी।
उत्तर: छाता

 

ऊपर सोना, भीतर चाँदी; छीलो तो मिले रसधानी।
उत्तर: नारियल

 

काला मोती, सफैण जामा; भूख लगे तो सबको भामा।
उत्तर: उड़द की दाल

 

ना घड़ी, ना घंटा, पर वक्त बताय; सुबह-सुबह गीत सुनाय।
उत्तर: मुर्गा

 

छोटा सा घर, पर सौ बच्चे; मारो तो रोएं, छोड़ो तो हंसें।
उत्तर: ढोल

 

पानी बिना पोहै, बिना आग पके; ठंडा-ठंडा सबको चखे।
उत्तर: दही

 

ना मां, ना बाप, पर बेटा-बेटी हजार; सबके पास हो, पर कोई न पहरेदार।
उत्तर: पेड़ के पत्ते

 

दिन भर सोये, रात भर जागे; बिना तेल के न भागे।
उत्तर: दीपक

 

जंगल में राजा, घर में मेहमान; गुस्सा आये तो बिगाड़ दे सामान।
उत्तर: बंदर

न खून, न मांस, पर काटो तो दर्द; घर बनाने में सबका मद्द।
उत्तर: लकड़ी

 

ऊपर लाल, नीचे हरा; काटो तो निकले सफैण धरा।
उत्तर: मूली का फूलदार पौधा

 

ऊपर हरा, भीतर लाल; काटो तो रस, मीठा बेमिसाल।
उत्तर: तरबूज

 

छोटा सा डिब्बा, भीतर मिठास; चूसो तो थक जाओ, पर ना होए उदास।
उत्तर: गन्ना

 

कभी पीला, कभी हरा; चखो तो खट्टा-मीठा करा।
उत्तर: नींबू

 

पानी में पैदा, पानी में जिये; बिना पानी के तुरन्त मरिये।
उत्तर: मछली

 

घर में रहूँ, खेत में काम करूँ; धान-कुटाई में सबका नाम भरूँ।
उत्तर: ओखली

 

सुबह-सुबह जगाऊँ, पर खुद सो जाऊँ; सबको समय बताऊँ।
उत्तर: मुर्गा

 

न पाँव, न हाथ; पर दिन भर खेत में साथ।
उत्तर: हल

 

लाल-लाल चादर, भीतर मीठा; काटते ही रस टपके रीठा।
उत्तर: आम

 

गोल-गोल मटकी, बिना मुँह के; पर सबको पानी पिलाए।
उत्तर: नारियल

 

ना खून, ना आँसू, पर काटो तो बहे; बिना हथियार के सबका मन लुभावे।
उत्तर: गन्ना

 

दिन में जन्म, रात में मौत; पर हर रात फिर नया जीवन।
उत्तर: दीपक

 

ऊपर से पत्ता, नीचे से कांटा; देखो तो अच्छा, छुओ तो हांटा।
उत्तर: गुलाब का पौधा

 

काला बदन, सफैण दांत; चुपचाप खाए, ना मुँह से बात।
उत्तर: ओखली-मूसल

 

न जमीन, न आसमान; पर बीच में सबको थामे।
उत्तर: हवा

 

घर में बैठा, सबको घुमाए; खुद हिले बिना सब घुमाए।
उत्तर: चक्की

 

पानी में जन्म, धूप में सुखाए; बिना खाए सबको भाए।
उत्तर: नमक

 

कभी मीठा, कभी खट्टा; बरसात में खजाना सच्चा।
उत्तर: जामुन

 

घर में आये, खेत में काम करे; रात को सोये, दिन में जागे।
उत्तर: बैल

 

न पैर, न पंख; पर खेत में उड़ान भरते।
उत्तर: बीज

 

न माँ, न बाप; पर संतानों का घर; हर साल नया परिवार।
उत्तर: पेड़

 

बिना पंख उड़ती जाए,
न ज़मीन छुए, न छत पे आए।
उत्तर: हवा


एक घर में पाँच बहन,
रंग-बिरंगी सबकी छवि;
कभी नीली, कभी हरी,
कभी पीली, कभी भरी।
उत्तर: उंगलियाँ (पाँचों उंगलियाँ)


न मुंह, न बोल,
पर बातें हजार करे;
संग रखो तो ज्ञान दे,
छोड़ो तो मौन भरे।
उत्तर: किताब


दिन भर गुम, रात को चमके,
अंधियारे में संग दमके।
उत्तर: तारा


दो ही पाँव, बिना जूते;
पर सबको चलते देखे।
उत्तर: कुर्सी


ऊपर से पत्थर, नीचे से जल;
खोलो तो गीला, बंद करो तो बल।
उत्तर: नल (टोंटी)


चार पांव का राजा आया,
घर में शोर मचाया।
उत्तर: बकरा


गोल-गोल चले,
पर एक जगह टके;
कभी रोटी बनाए,
कभी सब्जी पकाए।
उत्तर: तवा


कभी पीली, कभी लाल,
मीठी लगे तो दिल बेहाल;
पेड़ में लटके मस्ती से,
हर बच्चे की मुँह में आए।
उत्तर: इमली


पानी बिना पैदा होऊँ,
पर प्यास बुझा दूँ;
सिर से काटो,
मीठा रस बहा दूँ।
उत्तर: गन्ना


न पंख, न इंजन,
पर उड़ान में तेज;
सावन में आए,
मन में ले जाए शांति का सन्देश।
उत्तर: पतंग


एक गुफा में रहता राजा,
न बाहर निकले,
पर सबके तन में प्रवेश कर जाए।
उत्तर: साँस / वायु


न लकड़ी, न पत्थर,
पर दरवाज़ा बनाए;
बिना कील के सब थामे।
उत्तर: जोड़ (लकड़ी का फर्नीचर जोड़)


एक डोरी लंबी-सी,
साथ में लटके सौ ताले;
बिना चाबी सब खुले।
उत्तर: माला / पुष्पमाला


घर में नहीं, खेत में होवे;
खा लो तो मुँह में मिठास छोड़े।
उत्तर: गाजर


छोटा सा हूँ,
पर करूँ बड़ा काम;
ना होऊँ तो सब ठप।
उत्तर: कील


ना खिड़की, ना दरवाज़ा,
पर सबका अन्दर-बाहर कराऊँ;
मन का हूँ, तन से नहीं।
उत्तर: सोच / विचार


एक आँख से देखे सब,
कभी पास, कभी दूर;
बूढ़ा हो या जवान,
सभी रखें इसे जरूर।
उत्तर: चश्मा


कभी अकेला,
कभी जोड़ी में;
संग रहूं तो ठंडा,
छूटूं तो जल जाऊं।
उत्तर: बर्फ


गोल चेहरा, सफ़ेद रंग;
रात को निकले, दिन में ढके;
सबको ताके, पर कोई न छू सके।
उत्तर: चाँद

 


गोल-गोल रंग-बिरंगे,
धागे में बंध जाएं;
गले में पहनो ऐसे,
जैसे फूल खिल जाएं।
उत्तर: माला (फूलों की / मोतियों की)


एक आंख, बिना पलक,
हर बात की खबर रखे;
चुपचाप सब देखे,
पर कुछ न बोले।
उत्तर: कैमरा


पैर नहीं, पर भागे तगड़े;
शरीर नहीं, पर शब्दों से लड़े।
उत्तर: ख़बर / समाचार


एक पेड़, बिना डाली-पत्ती;
मीठा रस दे, करे सब सत्ती।
उत्तर: गुड़ / गन्ना


चार पाँव, लेकिन जानवर नहीं;
पीठ पे बैठो, चलता नहीं।
उत्तर: मेज़ / चौकी


सिर पर बैठा, मुँह में डाले;
पर खुद कुछ न खाए।
उत्तर: टोपी


आया आसमान से,
गोल है उसका तन;
कभी दे ठंडी राहत,
कभी करे तपन।
उत्तर: सूरज


न पत्थर, न लोहा;
पर सबका रास्ता रोके।
उत्तर: ताला


न जीभ, न कान;
फिर भी करे ज्ञान का दान।
उत्तर: किताब


ऊपर बर्फ, नीचे घास;
बीच में पगडंडी पास।
उत्तर: पहाड़ / हिमालय


दो हैं पर हाथ नहीं,
न बोलें फिर भी बातें करें।
उत्तर: आँखें


पेट में कुछ नहीं,
फिर भी सबका बोझ उठाए।
उत्तर: टोकरा / झोला


सीधा-सा शरीर,
काम करे लकड़ी की तरह;
कभी पीटने, कभी तानने।
उत्तर: डंडा


छोटा-सा गोंद सा,
पर दुनिया की ताकत उसमें समाई;
गाड़ी चलती, रॉकेट उड़ती।
उत्तर: पेट्रोल / ईंधन


सिर पर बैठता,
सर्दी से बचाता;
रंग-बिरंगे रूप में आता।
उत्तर: ऊनी टोपी / स्वेटर


पहाड़ों में जन्म,
मीठा उसका स्वभाव;
चाय में घुलकर,
बनाए सबको लाजवाब।
उत्तर: शहद


बिना पैर के दौड़े,
बिना मुंह के बोले;
घर-घर में है,
पर कोई न पकड़े।
उत्तर: बिजली


माथा तिकोना, तन पतला;
बात करे तो चिंगारी निकले।
उत्तर: माचिस


चुपचाप बैठे,
पर बजते भी हैं;
जोड़ों में रहते,
मस्ती से गूंजते हैं।
उत्तर: घुंघरू


कभी मीठा, कभी खट्टा;
पेट के लिए राजा,
पर ज्यादा खाओ तो बना दे रोगी।
उत्तर: आम / इमली (संदर्भ अनुसार)

 


घर में बैठा, पर खेत की बात करे;
धूप में चमके, पर खुद न जल करे।
उत्तर: हल


चटपटा स्वाद, छोटी सी जान;
अक्सर अचार में, मचाए तूफान।
उत्तर: मिर्ची


न बोले, न सुने,
पर सबका मनोरंजन करे।
उत्तर: टी.वी.


दिखने में गड्ढा,
पर मीठा हो जैसे खजाना;
गर्मी में सब इसे ढूंढे,
रसीला है इसका बहाना।
उत्तर: तरबूज


हर मौसम में काम आवे,
गरमी में सबको ठंडक देवे।
उत्तर: पंखा


एक पैर, लेकिन खड़ा नहीं होता;
सबको उठाए, खुद कभी न रोता।
उत्तर: बाल्टी


पीठ पर बोझ उठावे,
पर थकता न कभी;
घूम-घूम सबका साथी,
छोटा लेकिन बड़ा काम करे।
उत्तर: झोला / बैग


न धूप से जले,
न पानी से भीगे;
बिन शरीर के,
मन को छू जाए।
उत्तर: गीत / संगीत


बिना पैरों के चलता जाए,
बिना मुंह के बोल सुनाए;
सबको साथ जोड़ लाए।
उत्तर: मोबाइल


न जड़ है, न डाली;
फिर भी फल देवे प्याली।
उत्तर: बाजार (जहाँ फल बिकते हैं)


चुपचाप बैठा,
जब बोले तो आवाज़ डरावनी करे;
खेत में आवाज सुनते ही,
सब दौड़ लगावे रे।
उत्तर: बिजूका (काँव-काँव वाला पुतला)


ना शरीर, ना खून;
पर गर्मी में सबसे ज़रूरी जुनून।
उत्तर: छाया / पेड़


माथा छोटा, शरीर लंबा;
बिना पंख के उड़े आकाश में।
उत्तर: धुआँ


न पहरेदार, न दरवाज़ा;
फिर भी सबसे बड़ा खज़ाना।
उत्तर: दिमाग


सर्दी में साथी,
बरसात में मददगार;
सबसे मुलायम,
घर का यार।
उत्तर: रजाई


दिनभर बड़बड़ करे,
पर कोई बात न समझे;
जिसे चलाने वाला बोले,
वही उसकी भाषा समझे।
उत्तर: ट्रैक्टर


बिन तेल के जले,
बिन बात के बोले;
रात को साथी,
दिन को सोवे।
उत्तर: टॉर्च


जंगल में घर,
काँटों का किला;
पर भीतर बसे,
शहद का गिला।
उत्तर: मधुमक्खी का छत्ता


ना पंख, ना पर,
उड़े फिर भी नभ पार;
चाँद-सितारे छू आए,
धरती से करे प्यार।
उत्तर: रॉकेट / उपग्रह


बोल नहीं सकता,
पर दिल की बात कहे;
कभी प्रेम में, कभी युद्ध में,
अपना रंग दिखाए सहे।
उत्तर: झंडा

 


घर में बैठा, पर खेत की बात करे;
धूप में चमके, पर खुद न जल करे।
उत्तर: हल


चटपटा स्वाद, छोटी सी जान;
अक्सर अचार में, मचाए तूफान।
उत्तर: मिर्ची


न बोले, न सुने,
पर सबका मनोरंजन करे।
उत्तर: टी.वी.


दिखने में गड्ढा,
पर मीठा हो जैसे खजाना;
गर्मी में सब इसे ढूंढे,
रसीला है इसका बहाना।
उत्तर: तरबूज


हर मौसम में काम आवे,
गरमी में सबको ठंडक देवे।
उत्तर: पंखा


एक पैर, लेकिन खड़ा नहीं होता;
सबको उठाए, खुद कभी न रोता।
उत्तर: बाल्टी


पीठ पर बोझ उठावे,
पर थकता न कभी;
घूम-घूम सबका साथी,
छोटा लेकिन बड़ा काम करे।
उत्तर: झोला / बैग


न धूप से जले,
न पानी से भीगे;
बिन शरीर के,
मन को छू जाए।
उत्तर: गीत / संगीत


बिना पैरों के चलता जाए,
बिना मुंह के बोल सुनाए;
सबको साथ जोड़ लाए।
उत्तर: मोबाइल


न जड़ है, न डाली;
फिर भी फल देवे प्याली।
उत्तर: बाजार (जहाँ फल बिकते हैं)


चुपचाप बैठा,
जब बोले तो आवाज़ डरावनी करे;
खेत में आवाज सुनते ही,
सब दौड़ लगावे रे।
उत्तर: बिजूका (काँव-काँव वाला पुतला)


ना शरीर, ना खून;
पर गर्मी में सबसे ज़रूरी जुनून।
उत्तर: छाया / पेड़


माथा छोटा, शरीर लंबा;
बिना पंख के उड़े आकाश में।
उत्तर: धुआँ


न पहरेदार, न दरवाज़ा;
फिर भी सबसे बड़ा खज़ाना।
उत्तर: दिमाग


सर्दी में साथी,
बरसात में मददगार;
सबसे मुलायम,
घर का यार।
उत्तर: रजाई


दिनभर बड़बड़ करे,
पर कोई बात न समझे;
जिसे चलाने वाला बोले,
वही उसकी भाषा समझे।
उत्तर: ट्रैक्टर


बिन तेल के जले,
बिन बात के बोले;
रात को साथी,
दिन को सोवे।
उत्तर: टॉर्च


जंगल में घर,
काँटों का किला;
पर भीतर बसे,
शहद का गिला।
उत्तर: मधुमक्खी का छत्ता


ना पंख, ना पर,
उड़े फिर भी नभ पार;
चाँद-सितारे छू आए,
धरती से करे प्यार।
उत्तर: रॉकेट / उपग्रह


बोल नहीं सकता,
पर दिल की बात कहे;
कभी प्रेम में, कभी युद्ध में,
अपना रंग दिखाए सहे।
उत्तर: झंडा