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कुमाऊँनी लोकोक्तियाँ (Kumauni Lokoktiyan|Kumauni proverbs |
"बकरी की मइया कब तलक खैर मनाई?"
ब्याख: गलत काम करन वालाक दिन जादा नी चलां।
"जैसी करणी वैसी भरणी।"
ब्याख: जइसे काम, तइसे फल।
"धन बिना धना कौड़ी।"
ब्याख: धन बिना मानुष की कोइ कीमत न छ।
"जो बुन्यो उही काटो।"
ब्याख: जइसे करम करछ, तइसे फल पाछ।
"एक लठि दुइ स्यांप।"
ब्याख: एक उपाय स’ दुइ समस्यान हल।
"नाच न आव, आंगन
टेढ़ो।"
ब्याख: आपन गलती दूसराक माथां डालन।
"निगलौं कि उगलौं।"
ब्याख: न अपनाउन सकन, न छोड़न सकन।
"खाली डार भुताई ढल।"
ब्याख: जो ब्यक्ती समय में संचित न करछ, पछताइछ।
"कां खनां कां बखनां।"
ब्याख: न खाई सकन, न बाँटि सकन – बड़ी उलझन।
"सुणि सुणि कान पक्या।"
ब्याख: एक्कै बात बार-बार सुनन स’ जी पक जाल।
"भूखा
भूत नै नाचै।"
ब्याख: जब पेट खाली हो, त’ मन काम म’ न लागै।
"ढोल गाजे, कुत्तो
भौंकैं।"
ब्याख: बड़का काम म’ छोटा बुरो बोलनै छोडै न।
"घर कौ बेदी गाम मैं धामी।"
ब्याख: अपने घर म’ साधारण और बाहर मं ज्ञानी बनण।
"जैंख बैल कां बीछ्या न होय।"
ब्याख: जो काम असंभव छ, उ नै होय सकै।
"जै बांटि खाण, तै
सुखी रैण।"
ब्याख: बाँटिके खाण वालू सदा सुख म’ रैठ।
"बैल बिन हल नी चैल।"
ब्याख: जरूरी साधन बिन काम नै होय सकै।
"आप बाचौं, आप
भसौं।"
ब्याख: आपन गलती खुद भुगत।
"बूढ़ी घाघरी का घाघर।"
ब्याख: पुरानी चीजक पुनः उपयोग।
"कानी गो बड़ो देखनै।"
ब्याख: जैं मं गुण हो, तै असली छ।
"धणिया गो बाड़, ब्वारि खाण।"
ब्याख: पराय चीज मं अपन अधिकार ठानण।
"ओखर की
बाट, घुंघच्यौं
काँट।"
ब्याख: बिन कारण दुसरां पे आरोप।
"छौंक धणिक दिन चार।"
ब्याख: झूठ-ढोंग क दिन कम होय।
"गधे न्है गहना।"
ब्याख: जौं समझ न हो, त गहना भी निरर्थक।
"हाथ मं लठ, डर कूं
क ठठ।"
ब्याख: ताकत वाल स सब डरां।
"छिपकली गै छत छोड़ि।"
ब्याख: आफत बखत सब भागण।
"तपसी मं बमसी।"
ब्याख: सीधां मं चालाक।
"सौंरी कां ख्याल, बौर कां हाल।"
ब्याख: नासमझ क गलत चाल।
"सुकिलो डाड़ मं भूत।"
ब्याख: साफ चिज मं संदेह।
"बूढ़ा नाच न जानै, अंगन टेढ़ो।"
ब्याख: अपनी गलती दूसरां पे थोपण।
"पैठुं पैं गुड़, बाहरि पैं कड़ुआ।"
ब्याख: भीतर मं मीठास, बाहर मं कठोरता।
"मुँह मं राम, बगुला
भगत।"
ब्याख: दिखावटी धर्म।
"भैंसि के आगे बीन बजाना।"
ब्याख: मूर्ख स बात करनै क फायदा न।
"एक आंथी, दूई
कां ठांठी।"
ब्याख: थोड़ मं बड़ाई दिखाण।
"जाड़ो मं आग, बिन मं
भाग।"
ब्याख: कठिन समय मं सहारा।
"घण्या भौत, सांच
बौत।"
ब्याख: झूठ ज्यादातर होय, सांच एक।
"तू नी बांचै, मै नी
गांचै।"
ब्याख: दोनों एक-दूसर पे दोष।
"गुड़ खाण, ना खाण, गवाही देण।"
ब्याख: बिना ज्ञानक बोलण।
"जै खाए लात, तै
बजाए बात।"
ब्याख: दुख सह के अनुभव होय।
"बिन मांगी बूढ़ा बरात।"
ब्याख: बिना जरूरतक सलाह।
"बाघ आयो, बाघ
आयो – गधेरौ खाय गयो।"
ब्याख: बार-बार झूठ बोलेवालौ पर कोइ विश्वास न राखै।
"तिख न हो त खुख क्यों हो?"
ब्याख: परिणाम बिन उपाय क लाभ न।
"पंचो कां पात, टमाको
कां जात।"
ब्याख: सब स अलग अलग गुण होय।
"भेल कां खेत, ल्हां
कां भूत।"
ब्याख: डर देखके भागण।
"जै दिन दुनी रात चौगुनी।"
ब्याख: बहुत तेजी स बढ़ण।
"बोलि मिठी, सो काम
सिधि।"
ब्याख: मीठा बोल स’ काम सध जाल।
"खाट मं ठाट।"
ब्याख: घरक आराम सबस ठाठ।
"थाल मं डाल, बिन
बोलि खाल।"
ब्याख: जो मिलै, चुपचाप स्वीकार कर।
"मुल मं गुल, हुल मं
फूल।"
ब्याख: छोटा मं सुंदरता।
"बूढा गा बचण हार, बुढ़वा मं समझदार।"
ब्याख: अनुभव स ज्ञान होय।
"न बचे दूध, न जले
आग।"
ब्याख: न लाभ हो, न बचाव।
लोकोक्ति: "धूर भी गिंदी खेलू, पछे अपणा लठ्ठ तोड़ू।"
अर्थ: बिना सोचे-समझे किसी के साथ काम करने से खुद का
नुकसान हो जाता है।
लोकोक्ति: "स्यूं भूख लागी छन, लाटू भात सुलायो।"
अर्थ: जब तक ज़रूरत होती है, तब तक साधन नहीं मिलते; जब ज़रूरत खत्म हो जाती है, तब साधन आ जाते हैं।
लोकोक्ति: "जस धरती, तस पाताल।"
अर्थ: जैसी करनी वैसी भरनी।
लोकोक्ति: "घर मा झगड़ो, गौं मा रट्टा।"
अर्थ: घर के झगड़े पूरे गाँव में चर्चा का विषय बन जाते
हैं।
लोकोक्ति: "बिण माटी के उग्या आलू।"
अर्थ: असंभव चीज़ की अपेक्षा करना।
लोकोक्ति: "भुल भुलैठी ढुलै छ।"
अर्थ: जो काम न समझदारी से करें, वह गड़बड़ ही करेगा।
लोकोक्ति: "काठ का हड़िया, हरु दिन पिट्या।"
अर्थ: कमजोर को ही हमेशा दोषी ठहराया जाता है।
लोकोक्ति: "नाच ना जाणन आंगण टेढ़ो।"
अर्थ: खुद की कमी छिपाकर दूसरों को दोष देना।
लोकोक्ति: "ठुल घोड़, ठुल डकार।"
अर्थ: बड़ा दिखावा करने वालों के पास अक्सर काम की बात
नहीं होती।
लोकोक्ति: "घाणु बजन, घासु सजन।"
अर्थ: बाहर से शांत दिखने वाले लोग ही अक्सर गहराई वाले
होते हैं।
यह रहे
कुछ और कुमाऊँनी लोकोक्तियाँ (Kumauni Lokoktiyan) कुमाऊँनी भाषा में, सरल
अर्थ सहित:
कुमाऊँनी: "भ्याकुल कुकुर धूलि में हुलि."
हिंदी अर्थ: व्याकुल कुत्ता धूल में लोटता है।
भावार्थ: जब कोई व्यक्ति अत्यधिक परेशानी में हो, तो वह विवेकहीन हो जाता है।
कुमाऊँनी: "नकुली ब्वारी, गै घर बर्बादी."
हिंदी अर्थ: नकली बहू से घर की बर्बादी होती है।
भावार्थ: कपटी या चालाक इंसान परिवार को नुकसान पहुँचा
सकता है।
कुमाऊँनी: "बिन ग्यान का धाण, पाख में धूण."
हिंदी अर्थ: बिना ज्ञान के धान, भूसे के ढेर के समान होता है।
भावार्थ: ज्ञानहीन व्यक्ति किसी काम का नहीं होता।
कुमाऊँनी: "खाली थाली बाजै घना."
हिंदी अर्थ: खाली थाली ज्यादा आवाज़ करती है।
भावार्थ: जो लोग अज्ञानी होते हैं, वे ही अधिक बोलते हैं।
कुमाऊँनी: "सांचै बात लगै च्यांछै."
हिंदी अर्थ: सच्ची बात कटु लगती है।
भावार्थ: सच्चाई अक्सर कड़वी होती है।
कुमाऊँनी: "दूध बिना ग्वाला, बाँस बिना म्याला."
हिंदी अर्थ: दूध बिना ग्वाला व्यर्थ है, बाँस बिना म्याला (बांसुरी) बेकार है।
भावार्थ: हर वस्तु की अपनी उपयोगिता है।
कुमाऊँनी: "आप छु उली, गै चुण्याली."
हिंदी अर्थ: स्वयं को दोष ना देकर दूसरों को दोष देना।
भावार्थ: अपने दोष दूसरों पर डालना गलत है।
कुमाऊँनी: "मूर्ख से बैर करनौ, आपू बिन्सणौ."
हिंदी अर्थ: मूर्ख से दुश्मनी करना खुद को विनाश में डालना
है।
भावार्थ: मूर्ख से झगड़ा करना मूर्खता है।
कुमाऊँनी: "पैंसी थाली में बटकी खाणु."
हिंदी अर्थ: पराई थाली में बटकी (कटोरी) से खाना।
भावार्थ: दूसरे पर निर्भर रहने की आदत ठीक नहीं।
कुमाऊँनी: "छाना हाली में कन्या नाचि."
हिंदी अर्थ: छाना (छत) की हाली में लड़की नाची।
भावार्थ: जब कोई अनुचित स्थान पर अनुचित कार्य करे।
यहाँ
कुछ और कुमाऊँनी
लोकोक्तियाँ (Kumaoni Proverbs) दिए गए हैं जो स्थानीय संस्कृति, जीवन अनुभव और परंपराओं का प्रतिबिंब हैं:
"जै बड्डी बथान, तै बड्डी छान।"
अर्थ: जैसी बड़ी गौशाला, वैसी ही बड़ी छान (चटाई)।
भाव: साधन जितने हों, तैयारी भी उतनी ही होनी चाहिए।
"जस खाया तस गाया।"
अर्थ: जैसा खाया वैसा गाया।
भाव: जैसा व्यवहार किया जाएगा, वैसी ही प्रतिक्रिया मिलेगी।
"छिला गयो बाघ, बाछी
गयो खाळ।"
अर्थ: बाघ चला गया, बाछी (बछड़ा) गई खाल में।
भाव: नुकसान के बाद अफसोस करने से कुछ नहीं होता।
"गोठ म पाणी, मुख म
तितो।"
अर्थ: बाड़े में पानी है लेकिन मुँह में कड़वाहट।
भाव: साधन होने पर भी मन में शांति न होना।
"बकुली जड़ गयो, तब ठुल ठुल बातां।"
अर्थ: बकुली (छोटा पात्र) टूट गया, तब बड़ी-बड़ी बातें।
भाव: जब कुछ नहीं बचा तब ज्ञान बांटना।
"कुकुर को कन, बाघ को
मन।"
अर्थ: कुत्ते का कान, बाघ का मन।
भाव: सतर्कता और निर्णय शक्ति की तुलना।
"किलै जांदी हाड़ी, रीं गयो क्वी लाड़ी।"
अर्थ: क्यों जाती है नदी, ले गई किसी की लकड़ी।
भाव: प्राकृतिक आपदा किसी का भी नुकसान कर सकती है।
"जस घास, तस
गास।"
अर्थ: जैसा घास, वैसा गाय का दूध।
भाव: इनपुट वैसा ही आउटपुट देता है।
"नून लै गयो, प्यासे
मून लै गयो।"
अर्थ: नमक ले गया, प्यासा मुँह भी ले गया।
भाव: एक साथ दोहरा नुकसान।
"आळी बिंदी, गाड़ी
झिंझी।"
अर्थ: एक पगडंडी की गलती, पूरी गाड़ी उलझी।
भाव: एक छोटी गलती से बड़ा नुकसान हो सकता है।
यहाँ
कुछ और कुमाऊँनी लोकोक्तियाँ (Kumaoni Lokoktiyan) दी जा रही हैं, जो
कुमाऊँनी जनजीवन, अनुभव और व्यावहारिक ज्ञान को
दर्शाती हैं:
लोकोक्ति: “जस गरम दूध, तस ठंडो पानी।”
अर्थ: जो बात या परिस्थिति पहले बहुत गंभीर या कष्टदायक
लगती थी, वही समय के साथ आसान या सामान्य लगने
लगती है।
लोकोक्ति: “ज्युँ जड़ि बास, त्युँ जुड़ि मति।”
अर्थ: जिस तरह बांस की जड़ गहराई में होती है, उसी तरह बुद्धि भी गहराई में छिपी होती है; हर कोई समझ नहीं सकता।
लोकोक्ति: “भूख लगणी सुलभ, खाणा दुर्लभ।”
अर्थ: भूख लगना तो आसान है, लेकिन पेट भर खाना पाना मुश्किल है – मेहनत करनी
पड़ती है।
लोकोक्ति: “नाचणी ठुमक, भूंखि गुनगुन।”
अर्थ: जैसे नाचने वाली अपने ठुमकों से लोगों को लुभाती
है, वैसे ही भूखा भी खाने के बारे में ही
सोचता और बात करता है।
लोकोक्ति: “जै दिन मूस भागो, तै दिन बिल्ली लंगड़ाई।”
अर्थ: जब भाग्य अच्छा होता है, तब शत्रु भी दुर्बल हो जाता है।
लोकोक्ति: “धारै धार, स्यालै त्यार।”
अर्थ: जो जैसा करता है, वैसा ही फल पाता है।
लोकोक्ति: “गधैलै बठ्यू पैंजण, किलि दिखौन?”
अर्थ: गधे को पायल पहनाने का कोई मतलब नहीं – यह गलत
जगह शोभा दिखाने जैसा है।
लोकोक्ति: “दूध में पानि, बात
में मानी।”
अर्थ: बातों में सच्चाई होनी चाहिए जैसे दूध में पानी
अलग नजर आ जाता है।
लोकोक्ति: “बिना सीरी का खेत, बिना घूरा का गेहूँ।”
अर्थ: जैसे बिना मेड़ के खेत का कोई भरोसा नहीं, वैसे ही बिना तैयारी के काम अधूरा रहता है।
लोकोक्ति: “घुघुती ज्यूँ छायाँ मा।”
अर्थ: जैसे घुघुती पक्षी छाया में बैठती है, वैसे ही सच्चा सुख शांति में ही मिलता है।
“जै खुटि उ गै खुटि”
अर्थ: जैसा किया वैसा ही फल मिलेगा।
“धूणि धूणि कै छै हाणि”
अर्थ: हर बार टालने से नुकसान होता है।
“मुस्सर कै घर मा दूधु नि रै”
अर्थ: जिसे सँभालना न आता हो, उसके पास कुछ भी टिकता नहीं।
“भौं से बाघ नि डरै”
अर्थ: छोटी चीज़ें बड़ी समस्याओं को नहीं रोक सकतीं।
“एकै कू घाव ब्वार ब्वार रै”
अर्थ: बार-बार एक ही गलती करना ठीक नहीं।
“कान फोड़ि कै ढोल नि बाजै”
अर्थ: ज़रूरत से ज़्यादा प्रयास भी बेकार हो सकता है।
“धुवा नि लागै त आग नि होइ”
अर्थ: जहाँ आग होती है वहीं धुआँ होता है – बिना वजह
अफवाह नहीं फैलती।
“कूदि कै बिरालि दूध नि पित”
अर्थ: उतावलापन हानि करता है।
“बिनु बिठौली छाछ नि मिलै”
अर्थ: बिना मेहनत कुछ हासिल नहीं होता।
“छिलकण भित्र च्यूर नि ह्वै”
अर्थ: दिखावे से असली योग्यता नहीं पता चलती।
यहाँ
कुछ और कुमाऊँनी लोकोक्तियाँ (Kumaoni Lokoktiyan) उनके अर्थ सहित प्रस्तुत हैं:
“दूध देनै गोरु लात मारि”
अर्थ: जो भला करता है, वही बाद में नुकसान पहुँचा देता है।
“थै छै
तै भै छै”
अर्थ: जैसा सोचोगे, वैसा ही होगा।
“ओलि मा उबेर, बगैर
मा डुबेर”
अर्थ: सही समय पर काम करना लाभदायक होता है, गलत समय पर हानिकारक।
“दुरि कै डांठ मीठ लागछ”
अर्थ: दूर की चीज़ें हमेशा आकर्षक लगती हैं।
“बगुला भगत”
अर्थ: ऊपर से संत, भीतर से चालाक।
“चोर कै दाढ़ी मा तिनकु”
अर्थ: अपराधी हमेशा डर के कारण सतर्क रहता है।
“कांठि नि होइ कै लोहा जौळै”
अर्थ: कमजोर को सहारा देने पर वह और नुकसान करने लगता
है।
“बाचलु गाड़ नै बजै”
अर्थ: जो बचा रहना चाहता है, वह शोर नहीं करता – समझदार व्यक्ति शांत रहता है।
“भल मनख कै बैरी बुरो समै”
अर्थ: अच्छे व्यक्ति का भी बुरा समय दुश्मन बन जाता है।
“छिप छिप कै रोटी नि सिकै”
अर्थ: छुप-छुप कर काम करने से सफलता नहीं मिलती।
यह रहे
कुमाऊँनी लोकोक्तियों के अगले 10 उदाहरण
उनके अर्थ सहित:
“धुनि मा पिस्यो, ना घर को, ना घाट
को”
अर्थ: जो दोनों ओर से हानि उठाता है, उसका कोई ठिकाना नहीं होता।
“खुट्टा ढाँपण सिट्टी फाटी”
अर्थ: कम साधनों में गुज़ारा करने की कोशिश में कहीं न
कहीं किल्लत आ ही जाती है।
“अपनै घर को बिरालो भी बाघ लागछ”
अर्थ: घर की चीज़ भी बड़ी लगती है — अपने का भी डर लगता
है जब वो सामने हो।
“भूख्या कै बर्तन भी बाजन लागन्”
अर्थ: जब कोई परेशानी में होता है, तो छोटी-छोटी बातें भी बड़ी लगती हैं।
“एक चेलि बैना कै, एक द्यूनि कै”
अर्थ: एक समस्या पर ध्यान दो, तभी दूसरी आ जाती है।
“ब्वारि ज्वै कै करलै, काँ ब्वारी रहि गइ काँ ज्वै”
अर्थ: झगड़े में दोनों का नुकसान होता है।
“गोभी मा नमक जैं”
अर्थ: जैसे सब्जी में नमक जरूरी होता है, वैसे ही कुछ बातें भी ज़रूरी होती हैं।
“बिनु बाजा ब्यान न हुछ”
अर्थ: बिना तैयारी के कार्य सफल नहीं होते।
“पाणी धारे रै छै, घसिया भूलि गय”
अर्थ: जब सुविधा मिलने लगती है, तब परिश्रम करने वाला भूल जाता है।
“लाटि खाणु लाटै मा”
अर्थ: जो बोओगे, वही काटोगे।
यह रहे
कुमाऊँनी लोकोक्तियों के अगले 10 उदाहरण
उनके अर्थ सहित:
“ढूसी कै स्याली, भुक्या कै भात”
अर्थ: जो पहले से तृप्त है उसे और नहीं चाहिए, और जो भूखा है उसे थोड़ा भी पर्याप्त लगता है।
“च्याँखु बजै जब ढोल सुणि”
अर्थ: जो बड़े की नकल करता है, पर वैसा प्रभाव नहीं डाल पाता।
“भूत लाटि खाँछ, बळि छाँया सि डरै”
अर्थ: जो असली डर से नहीं डरता, वह बेवजह की बातों से डरता है।
“नङ्गा कै घर मा दरवाजौ कि कील?”
अर्थ: जिसके पास कुछ नहीं है, उसके लिए सुरक्षा की बात व्यर्थ है।
“हुक्का बाटुला नि, धुँवा को डर”
अर्थ: जो स्वयं गलती करता है, वह परिणाम से डरता है।
“धुवा नि बणै, आग न
देखी”
अर्थ: बिना कारण के कोई बात नहीं फैलती।
“जसै को काम, तसै को
नाम”
अर्थ: जैसा कर्म, वैसा फल और नाम होता है।
“ब्वारी राँड नि, कान छैँ राँडि कै”
अर्थ: दोष किसी और को दिया जाता है, असल में गलती कहीं और होती है।
“डम्मा कै दम, हसिया
कै धार”
अर्थ: छोटी चीज़ों में भी ताकत हो सकती है।
“गोठ मा झगड़, गोरु
बाँच”
अर्थ: झगड़ा व्यर्थ होता है, असली बात कहीं और होती है।
यह रहे
कुमाऊँनी लोकोक्तियों के अगले 10 उदाहरण
उनके अर्थ सहित:
“लँगड़ै लँगड़ि, बकरी चाँग”
अर्थ: असमर्थ व्यक्ति ऊँची उम्मीद करता है।
“बानर कै हाथ मा नारियल”
अर्थ: जो किसी वस्तु को सँभालने योग्य नहीं है, उसके पास वह वस्तु होना व्यर्थ है।
“काँठै कै बैल, खेत नि
जोतै”
अर्थ: जो दिखावे में तो अच्छा है, पर असल काम में बेकार है।
“बिन काँटै न फूले फुल”
अर्थ: बिना कठिनाइयों के सुंदर फल या सफलता नहीं मिलती।
“न घिऊ न तेल, राँड़
नचै खेल”
अर्थ: बिना संसाधनों के ही दिखावा करना।
“काठ कै पुतलै, हाँसै
कु न रोवै”
अर्थ: भावनाशून्य व्यक्ति न कभी हँसता है, न रोता।
“कुकुर स्याल सँग गै, मुँह लाले ल्यै”
अर्थ: बुरे संगत का बुरा असर अवश्य होता है।
“जसै ब्वारि, तसै
बारि”
अर्थ: जैसा व्यवहार या स्थिति, वैसा परिणाम।
“न कौ ऐ नि, न बौ ऐ
नि, ऐगै त्
धप”
अर्थ: जो न पहले आया, न बुलाया गया, फिर भी
जब आया तो अफरा-तफरी मचा दी।
“घुघुती रोटी लैलि गै”
अर्थ: छोटी बात को बड़ा बना देना।
यह रहे
कुमाऊँनी लोकोक्तियों के अगले 10 उदाहरण
उनके अर्थ सहित:
“बूढ़ा घोड़ो, घास नि
चबाय”
अर्थ: जब इंसान बहुत बूढ़ा हो जाता है, तो वह अपने पुराने काम करने में असमर्थ हो जाता
है।
“छिलकै मा घी नि होय”
अर्थ: बाहरी दिखावे से असली मूल्य नहीं पता चलता।
“बिन नाली को खेत सड़ि जाला”
अर्थ: किसी कार्य में उचित व्यवस्था न हो तो सब व्यर्थ
हो जाता है।
“डाँड़ मै गै, बाघ कै
डर भूलि गै”
अर्थ: नई जगह या स्थिति में पहुँचकर पुराने डर या
चिंताओं को भूल जाना।
“किरकीरी भान्सै कै बिनास”
अर्थ: छोटी सी गलती से पूरे काम का नाश हो जाना।
“साप कै डरै, लट्ठी
से डरस”
अर्थ: एक अनुभव के कारण अन्य चीजों से भी डर लगने लगना।
“घुरि गा भैंस पानी मा”
अर्थ: बार-बार वही गलती करना या पुरानी स्थिति में लौट
आना।
“कौं ब्वारि, कौं
ब्वारो”
अर्थ: कोई एक ठीक नहीं, सब एक जैसे दोषी या अयोग्य हैं।
“घर नि साज, दुनिया
साजै”
अर्थ: खुद का जीवन अस्त-व्यस्त है, फिर भी दूसरों को उपदेश देना।
“झाड़
झंखाड़ मा बाघ”
अर्थ: छोटे दिखने वाले स्थान में भी बड़ा खतरा हो सकता
है।
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