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स्वतन्त्रता संग्राम में उत्तराखण्ड की महिलाओं का योगदान /Contribution of women in freedom struggle

स्वतन्त्रता संग्राम में उत्तराखण्ड की महिलाओं का योगदान 

  • जोहार की रूपा देवी ने समाज सेवा में अपना जीवन लगा दिया। इसे शौकान्चल का भूषण कहा गया।
  • गांधी जी 1915 में हरिद्वार आये, गांधी जी के कुमाऊँ आने की खुशी में अल्मोड़ा में महिलाओं ने गांधी निधि के तहत चंदा इकट्ठा किया 1929 में कस्तूरबा गांधी, नेहरू, सुचेता कृपलानी आदि नैनीताल के ताकुला में पहुँचे
  • 15 जून 1929 को गांधी जी भुवाली और 17 जून को ताड़ीखेत पहुंचे। वहां दुर्गादेवी पंत ने गांधी जी को 113 रू की थैली भेंट की
  • 22 जून को गांधी जी ने मोहन जोशी के प्रयासों से बागेश्वर में स्वराज्य भवन का शिलान्यास किया
  • गांधी जी 13 जून से 4 जुलाई तक कुमाऊँ में रहे, यहां से गांधी जी को हरिजन कोष के लिए 24000 रू० प्राप्त हुए
  • अमृत बाजार पत्रिका में अल्मोड़ा के बिश्नी देवी शाह को कुमाऊँ स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका वाला बताया गया 
  • नमक सत्याग्रह के समय अल्मोड़ा के नगरपालिका भवन में बिशनी देवी शाह के नेतृत्व में कुन्ती वर्मा और जीवन्ती, मंगला आदि महिलाओं ने झण्डा फहराया
  • 1932 में राज्य की 8 महिलाओं को फतेहगढ़ जेल और पद्मा जोशी को लखनऊ जेल तथा कुन्ती वर्मा को जिंदा या मुर्दा। पकड़ने का आदेश जारी हुआ
  • 20 नवम्बर 1932 में कुर्माचल महिला सुधार सम्मेलन अल्मोडा के एक मैदान में हुआ और दुर्गा देवी पंत को अध्यक्ष बनाया गया
  • भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान मालती देवी के नेतृत्व में देश सेवक संगठन की महिलाओं ने रेल सम्पति को क्षति पहुँचायी
  • 1941 में गांधी जी ने अपनी विदेशी शिष्य सरला बहन जो मूल रूप से इंग्लैंड से आई जिनका नाम हाइलामाइन था, उसने कौसानी में लक्ष्मी आश्रम की स्थापना की
  • लक्ष्मी आश्रम से जुडी दो सगी बहने कमला व बसंती ने सर्वोदय का प्रचार-प्रसार किया
  • गांधी जी की शिष्या मीरा बहन ने ऋषिकेश में पशुलोक आश्रम की स्थापना की थी। मीरा बहन का वास्तविक नाम मेडलेनस्लेड था
  • तुलसी देवी रावत 1948 से 1960 तक जोहार महिला संगठन की मंत्री रही, इन्होने 1948 में महिला जागृति पत्रिका भी निकाली

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