पंवार वंश से सम्बन्धित प्रश्नोतरी
- गढ़वाल का महर्षि कहा गया तारादत गैरोला
- गढ़वाल जनजागरण का पितामाह- तारादत गैरोला
- पंवार वंश में राजा के बाद दूसरा बड़ा पद वजीर या मुख्तार -
- राजस्व का प्रमुख अधिकारी - दश्तरी सेना को वेतन देने वाला अधिकारी - बख्शी
- 1791 में गोरखों ने किस गढ़ पर आक्रमण किया - लंगूर गढ
- खुडबुडा युद्ध के बारे में जानकारी मिलती है - वैली आफ दून
- गोरखा आक्रमण के समय लंढौर के गुर्जर शासक ने प्रद्युम्न की सहायता की - रॉय दयाल सिंह
- किस लेखक द्वारा प्रद्युम्न शाह के कार्यकाल को कुशासन में डुबा हुआ बताया था शिव प्रसाद डबराल पाली गांव का युद्ध हुआ- 1786 में हर्षदेव जोशी व मोहन सिंह
- जयकृत शाह के समय तानाशाही की तरह कार्य करने लगा कृपा राम डोभाल -
- किस पुस्तक से ज्ञात होता है कि फतेहशाह ने गुरू रामराय को गुरुद्वारा के लिए तीन गाँव दान दिए- मेमवायर्स आफ देहरादून पूछी कर लिया जाता था- गाय व भैंसो से
- राजा भवानी शाह द्वारा नया भूमि बंदोबस्त लागू हुआ - 1861
- किसने श्रीदेव सुमन की हडताल को ऐतिहासिक अनशन की संज्ञा दी- शेखर पाठक
- अखिल पर्वतीय सम्मेलन कब हुआ- 20 मार्च 1938
- श्री देव सुमन को सर्वप्रथम टिहरी जेल में डाला गया -30 दिसम्बर 1943
- बाल सभा की स्थापना की गयी- 1935 में सत्य नारायण रतूडी आजाद पंचायत की सभाए होती थी- चंदा दोजरी, लाखामण्डल
- सकलाना विद्रोह हुआ- 11 जनवरी 1948
- टिहरी में अंतिम सरकार की स्थापना - 15 फरवरी 1948
- व्यास घाटी का अंतिम गाँव - कुंटी
- गढ़वाली फौज का स्थायी लेफ्टनेंट कर्नल किस गढनरेश को बनाया गया - नरेन्द्र शाह
- परमार शासक की तुलना औरगजेब से की- मेदनी शाह
- ट्रैवल्स इन इंडिया पुस्तक के लेखक- ट्रैवेनियर
- चीन पर लालछाप पुस्तक के लेखक श्री शांता प्रसाद
- कर्णावती व मुगल सेना के बीच युद्ध का वर्णन मिलता है -
- स्टोरियो द मंगोर पुस्तक में जिसके लेखक निकोलस मनूची पृथ्वीपति शाह के समय सिरमौर के शासक- मन्धाता प्रकाश
- एनड्राडे व अजवेडो यात्री गढ़वाल आए- महिपति शाह
- महिपति शाह के तिब्बत अभियान का वर्णन मिलता है - अर्ली जैसुएट ट्रैवल्स इन इंडिया
- सावरी ग्रंथ का मुख्य विषय था- तांत्रिक विद्या द अर्ली ट्रैवल्स इन इंडिया के लेखक- एम फोस्टर
- गढ़वाल का ऐसा मन्दिर जिसकी शैली गुजरात एवं राजस्थान के सोलंकी मंदिरो से मिलती है- आदिबद्री
- शराब बनाने की कला को - कलाल
- भूमि माप की बडी व छोटी ईकाई- मुट्ठी (छोटी) व ज्यूला (बड़ी)
- चालीस टका का होता था - रूपया दस टका होता था- एक तिमासी
- पंवार कालीन टकसाल थी- श्रीनगर
- वस्त्र सिलने का काम करते थे- ओजी
- काष्ठ भांड बनाने वाले -चुनार या चम्यार
- बांस व रिंगाल का काम करने वाले- रूढया
- परगना का शासक - थोकदार
- परगना की सबसे छोटी ईकाई - पट्टी
ब्रिट्रिश कमाऊँ
- 1871 में देहरादून को सहारनपुर से अलग करके एक स्वतंत्र जिला बनाया गया
- कुमाऊँ कमिश्नरी का गठन 1815-16 को होने के बाद वर्तमान देहरादून जिले को मेरठ कमिश्नरी के अधीन सहारनपुर जिले से संयुक्त किया गया, 1825 में देहरादून का जौनसार भाबर से सहारनपुर तक कुमाऊँ कमिश्नरी में सम्मिलित किया गया 1829 में पुनः कुमाँऊ से पृथक कर दिया गया
- गार्डनर के समय 9 तहसीले थी
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