बुक्सा जनजाति
- बोक्सा लोग ऊधमसिंह नगर जिले नैनीताल जिले के रामनगर में वास करते है बाजपुर, काशीपुर और
- ऊधमसिंह नगर व नैनीताल के बोक्सा बाहुल क्षेत्र को बुकसाड़ कहा जाता है, बुकसाड़ शब्द का प्रयोग आइने अकबरी पुस्तक में मिलता हैं
- अंग्रेज अधिकारी इलियट के अनुसार बोक्सा लोग सर्वप्रथम चम्पावत के बनबसा में बसे थे।
- बुक्सा पौड़ी जिले के कोटद्वार भाबर क्षेत्र व देहरादून के विकास नगर व सहसपुर विकासखण्डो में निवास करतें है देहरादून जिले में महर बोक्सा निवास करते है
- राज्य के 173 ग्रामों में बोक्सा जनजाति के लोग निवास करते है
- बोक्सा लोग स्वयं को पंवार राजपूत बताते है
बोक्सा जनजाति की विशेषता
- चेहरा चौड़ा, नाक चपटी व होंठ पतले बोक्सा जनजाति की पहचान होती है
- बोक्साओं की कोई निश्चित बोली नहीं है, मगर बोक्सा लोगों द्वारा
- भॉवरी, रचभैंसी व कुम्मयॉ बोली बोलते हैं
- बोक्सा जनजाति 5 गोत्रों या उपजातियों में विभक्त है- यदुवंशी, राजवंशी, पंवार, पतराजा व तनवार।
- बोक्सा जनजाति में पुत्रियों को भी सम्पति का अधिकारी मानते हैं। बोक्सा जनजाति का परिवार पितृसत्तात्मक होता है
बोक्सा जनजाति की धार्मिक व्यवस्था
- काशीपुर की चौमुंडा देवी बोक्सा लोगों की सबसे बड़ी देवी है
- बुकसाड के बोक्सा साकरिया देवता की पूजा करते है
- साकारिया देवता को ग्राम देवता भी कहा जाता है।
- बोक्सा जनजाति ग्राम खेड़ी देवी की पूजा करते है
- बोक्सा जनजाति हुल्का व ज्वाल्पा देवी की भी पूजा करते है
- बोक्सा जनजाति में जादू-टोना व तंत्र-मंत्र का अधिक प्रचलन है।
- तंत्र मंत्र के ज्ञाता व्यक्ति को भरारे या तांत्रिक कहते है
- चैती बोक्सा जनजाति का प्रमुख त्योहार है
- होंगण, गोटरे व ढल्या भी बोक्साओं के प्रमुख त्योहार है
राजनैतिक व्यवस्था
- बोक्सा जनजाति में विरादरी पंचायत होती है, जो न्याय व कानून व्यवस्था के लिए उत्तरदायी थी विरादरी पंचायत में 5 सदस्य होते हैं, विरादरी पंचायत का सबसे बडा अधिकारी तख्त होता है
- तख्त के नीचे एक मुंसिफ, एक दरोगा व दो सिपाही होते है
- बोक्सा जनजाति के लोग गांव के लिए मंझरा कहते है
- विरादरी पंचायत के सभी सदस्य वंशानुगत होते है
- वर्तमान में विरादरी पंचायत के स्थान पर कुमाऊँ में बोक्सा परिषद् की स्थापना की गई
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